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86 वर्षीय पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टी एन शेषन का निधन

Special Coverage News
10 Nov 2019 5:20 PM GMT
86 वर्षीय पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टी एन शेषन का निधन
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एक आदमी जिसने चुनाव आयोग को एक चेहरा दिया और इससे भी महत्वपूर्ण बात चुनाव आयोग की रीढ़, बने दुर्जेय टीएन शेषन अब नहीं रहे है। 15 दिसंबर 1932 को जन्में 86 वर्षीय शेषन का आज तमिलनाडू में हार्ट अटैक से निधन हो गया। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ एस वाई कुरैशी ने टीएन शेषन का निधन होने की घोषणा करते हुए कहा कि वह अपने सभी उत्तराधिकारियों के लिए एक सच्चे किंवदंती और मार्गदर्शक बल थे। मैं उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं।

टी एन शेषन (पूरा नाम, तिरुनेलै नारायण अइयर शेषन), भारत के दसवें मुख्य चुनाव आयुक्त थे। इनका कार्यकाल 12 दिसम्बर 1990 से लेकर 11 दिसम्बर1996 तक था। इनके कार्यकाल में स्वच्छ एवं निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न कराने के लिये नियमों का कड़ाई से पालन किया गया जिसके साथ तत्कालीन केन्द्रीय सरकार एवं ढीठ नेताओं के साथ कई विवाद हुए।

टी एन शेषन का जन्म केरल के पलक्कड़ जिले के तिरुनेलै नामक स्थान में हुआ था। उन्होने मद्रास के क्रिश्चियन कॉलेज से स्नातक परीक्षा उतीर्ण की। वहीं पर कुछ समय के लिये वे व्याख्याता (लेक्चरर) भी रहे।

देश के इस दसवें मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 1990 से 96 तक था। शेषन को आजाद भारत के ऐसे नौकरशाह के रूप में याद किया जाएगा, जिसके पास मौलिक सोच थी और जो देश को भ्रष्टाचार और मुक्त करने की दिशा में विवादास्पद होने की हद तक जा सकते थे। उनके आलोचक उन्हें सनकी कहते थे, लेकिन भ्रष्टाचार मिटाने के लिए वह किसी के भी खिलाफ जाने का साहस रखते थे। देश के हर वाजिब वोटर के लिए मतदाता पहचान पत्र उन्हीं की पहल का नतीजा था। पद से मुक्त होने के बाद उन्होंने देशभक्त ट्रस्ट बनाया। वर्ष 1997 में उन्होंने राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा, लेकिन के आर नारायणन से हार गए। उसके दो वर्ष बाद कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन उसमें भी पराजित हुए।

वर्ष 1990 में टीएन शेषन के मुख्य चुनाव आयुक्त बनने के पहले तक निर्वाचन आयोग की भूमिका से आम आदमी प्राय: अपरिचित था लेकिन शेषन ने इसे जनता के दरवाजे पर ला खड़ा किया। इससे जनता की उम्मीदें और बढ़ीं। इसे और गतिशील और पारदर्शी बनाने के लिए इसका स्वरूप बदलने की जरूरत महसूस की गई और इसे बदला भी गया। आयोग कई तरह के आरोपों से भी घिरता रहा लेकिन उस समस्या का भी हल ढूंढा गया।

टी एन शेषन ने भारत के भूत एवं भविष्य से सम्बन्धित एक पुस्तक लिखी जो बहुत लोकप्रिय हुई।

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