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खुशखबरी: केंद्र सरकार ने त्वरित गन्ना भुगतान के लिए सरप्लस चीनी के निर्यात को लेकर उठाया अहम कदम..
केन्द्र के गन्ना बकायों का समयबद्ध भुगतान सुनिश्चित करने के लिए सरप्लस चीनी के निर्यात और चीनी को इथेनॉल में परिवर्तित करने को सुगम बनाने से गन्ना किसानों को बड़ी राहत मिली...
- 60 एलएमटी के निर्यात लक्ष्य की तुलना में लगभग 70 एलएमटी के अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए गए
- 16.08.2021 तक चीनी मिलों से 60 एलएमटी से ज्यादा का उठान किया गया
- 2020-21 में चीनी मिलों द्वारा लगभग 91,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड मूल्य के गन्ने की खरीद की गई
भारत सरकार गन्ना किसानों के गन्ना बकाये का समयबद्ध भुगतान सुनिश्चित करने और कृषि अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरप्लस चीनी के निर्यात और चीनी को इथेनॉल में परिवर्तित करने को प्रोत्साहन देने के लिए सक्रियता के साथ कदम उठा रही है। पिछले कुछ वर्षों में, देश में चीनी का उत्पादन घरेलू खपत से ज्यादा रहा है। केन्द्र सरकार चीनी मिलों को सरप्लस चीनी को इथेनॉल में परिवर्तित करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है और चीनी के निर्यात को सहज बनाने के लिए चीनी मिलों को वित्तीय प्रोत्साहन उपलब्ध कराया है, जिससे उनकी लिक्विडिटी की स्थिति में सुधार हो और उन्हें गन्ना किसानों के गन्ना मूल्य के समयबद्ध भुगतान में सक्षम बनाया जा सके।
पिछले 3 सत्रों 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में, क्रमशः लगभग 6.2 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी), 38 एलएमटी और 59.60 एलएमटी चीनी का निर्यात किया गया। वर्तमान चीनी सत्र 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) में, सरकार चीनी के 60 एलएमटी निर्यात को सुगम बनाने के लिए 6,000 रुपये प्रति एमटी की दर से सहायता उपलब्ध करा रही है। 60 एलएमटी के निर्यात लक्ष्य की तुलना में, लगभग 70 एलएमटी के अनुबंधों पर हस्ताक्षर हो चुके हैं, चीनी मिलों से 60 एलएमटी से ज्यादा चीनी का उठान हो चुका है और 16.08.2021 तक 55 एलएमटी से ज्यादा का निर्यात हो चुका है।
कुछ चीनी मिलों ने आगामी चीनी सत्र 2021-22 में निर्यात के लिए अग्रिम अनुबंधों पर हस्ताक्षर भी किए हैं। चीनी के निर्यात से मांग-आपूर्ति का संतुलन बनाए रखने और चीनी की घरेलू एक्स-मिल कीमतों को स्थिर रखने में सहायता मिली है।
अतिरिक्त चीनी की समस्या का स्थायी समाधान खोजने के क्रम में, सरकार चीनी मिलों को अतिरिक्त गन्ने से इथेनॉल बनाने को प्रोत्साहित कर रही है, जिसे पेट्रोल के साथ मिलाया जाता है। इससे न सिर्फ हरित ईंधन का उद्देश्य पूरा होता है, बल्कि कच्चे तेल के आयात के मद में विदेशी मुद्रा की भी बचत होती है साथ ही मिलों द्वारा इथेनॉल की बिक्री से मिले राजस्व से चीनी मिलों को किसानों के गन्ना बकाया के भुगतान में भी सहायता मिलती है। पिछले 2 चीनी सत्रों 2018-19 और 2019-20 में, लगभग 3.37 एलएमटी और 9.26 एलएमटी चीनी से एथेनॉल बनाया गया है। वर्तमान चीनी सत्र 2020-21 में, 20 एलएमटी से एथेनॉल बनाए जाने का अनुमान है। आगामी चीनी सत्र 2021-22 में, लगभग 35 एलएमटी चीनी को परिवर्तित किए जाने का अनुमान है और 2024-25 तक 60 एलएमटी चीनी को एथेनॉल में परिवर्तित करने का अनुमान है, जिससे अतिरिक्त गन्ना/ चीनी के साथ ही देरी से भुगतान की समस्या का समाधान हो जाएगा क्योंकि किसानों को तत्काल भुगतान मिल जाएगा। हालांकि, 2024-25 तक अतिरिक्त डिस्टिलेशन क्षमता जुड़ जाएगी, इसलिए चीनी का निर्यात अतिरिक्त 2-3 साल तक जारी रहेगा।
पिछले 3 चीनी सत्रों में चीनी मिलों/ डिस्टिलरियों ने तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को इथेनॉल की बिक्री से लगभग 22,000 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया है। वर्तमान चीनी सत्र 2020-21 में, चीनी मिलों द्वारा ओएमसी को एथेनॉ की बिक्री से लगभग 15,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिल रहा है, जिससे चीनी मिलों को किसानों को गन्ना बकाये का समय से भुगतान करने में सहायता मिली है।
पिछले चीनी सत्र 2019-20 में, लगभग 75,845 करोड़ रुपये के देय गन्ना बकाये में से 75,703 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया और सिर्फ 142 करोड़ रुपये का बकाया लंबित है। हालांकि, वर्तमान चीनी सत्र 2020-21 में, चीनी मिलों द्वारा लगभग 90,872 करोड़ रुपये के गन्ने की खरीद की गई जो अभी तक का रिकॉर्ड है। इसमें से लगभग 81,963 करोड़ रुपये के गन्ना बकाये का किसानों को भुगतान कर दिया गया और 16.08.2021 को सिर्फ 8,909 करोड़ रुपये का गन्ना बकाया लंबित है। निर्यात और गन्ने से इथेनॉल बनाने में बढ़ोतरी से किसानों को गन्ना मूल्य भुगतान में तेजी आई है।
पिछले एक महीने में चीनी के अंतर्राष्ट्रीय मूल्य में खासी बढ़ोतरी हुई है और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय रॉ शुगर की मांग खासी ज्यादा है, इसे देखते हुए सीएएफएंडपीडी मंत्रालय ने सभी चीनी मिलों के लिए परामर्श जारी किया है कि आगामी चीनी सत्र 2021-22 की शुरुआत से ही रॉ शुगर के उत्पादन की योजना बनाई जानी चाहिए और चीनी के ऊंचे अंतर्राष्ट्रीय मूल्य व वैश्विक कमी का फायदा लेने के लिए आयातकों के साथ अग्रिम अनुबंध करने चाहिए। चीनी का निर्यात और चीनी से इथेनॉल बनाने वाली चीनी मिलों को घरेलू बाजार में बिक्री के लिए अतिरिक्त मासिक घरेलू कोटा के रूप में प्रोत्साहन भी दिया जाना चाहिए।
अधिकतम चीनी से एथेनॉल बनाने और अधिकतम चीनी के निर्यात से चीनी मिलों की तरलता में सुधार में मिलेगी जिससे वे किसानों के गन्ना बकाये का समय से भुगतान करने में सक्षम होंगी, बल्कि इससे घरेलू बाजार में चीनी की एक्स-मिल कीमतों में स्थिरता भी आएगी। इससे चीनी मिलों के राजस्व में सुधार होगा और सरप्लस चीनी की समस्या का भी समाधान होगा। मिश्रण के स्तर में सुधार के साथ, फोसिल ईंधन के आयात पर निर्भरता में कमी आएगी और वायु प्रदूषण में भी कमी आएगी, इससे कृषि अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा।
-पीआईबी दिल्ली इनपुट के साथ