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Gorakhpur Crime News: गोरखपुर के गैंगस्टर विनोद उपाध्याय का UP STF ने किया एनकाउंटर; सुल्तानपुर में किया ढेर, 1 लाख का था ईनामी
Gorakhpur Crime News: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के गैंगस्टर विनोद उपाध्याय को यूपी एसटीएफ ने शुक्रवार तड़के एनकाउंट में मार गिराया है. विनोद उपाध्याय पर एक लाख रुपये का ईनाम रखा गया था. बताया जा रहा है कि यूपी एसटीएफ को विनोद उपाध्याय के सुल्तानपुर में होने की खबर मिली थी.
जानकारी के बाद यूपी एसटीएफ की टीम मौके पर पहुंची जिसके बाद विनोद उपाध्याय ने फायरिंग शुरू कर दी. इसके बाद यूपी एसटीएफ ने जवाबी कार्रवाई की. इस दौरान गैंगस्टर को गोली लगी, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया. बताया जा रहा है कि अस्पताल में इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया.
बता दें कि विनोद उपाध्याय उत्तर प्रदेश का कुख्यात शार्प शूटर और माफिया था. गोरखपुर पुलिस ने विनोद पर पिछले साल सितंबर में एक लाख रुपये का ईनाम भी रखा था. पुलिस को कई मामलों में विनोद उपाध्याय की तलाश थी. जानकारी के मुताबिक, विनोद उपाध्याय पर गोरखपुर के अलावा बस्ती, संत कबीर नगर, लखनऊ समेत अन्य राज्यों में अलग-अलग धाराओं में मामले दर्ज थे, जिसमें हत्या जैसे संगीन मामले शामिल हैं.
जानकारी के मुताबिक, विनोद उपाध्याय को ढेर करने वाली यूपी एसटीएफ की टीम की कमान एसटीएफ मुख्यालय के डिप्टी एसपी दीपक सिंह संभाल रहे थे. फिलहाल, विनोद के शव को नजदीकी अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए लाया गया है.
जानकारी के मुताबिक, गैंगस्टर विनोद उपाध्याय के खिलाफ अलग-अलग जिलों के थानों में कुल 35 से अधिक मामले दर्ज थे. एसटीएफ समेत गोरखपुर क्राइम ब्रांच की टीम विनोद उपाध्याय की तलाश में जुटी थी. बताया जा रहा है कि मारा गया गैंगस्टर विनोद उपाध्याय अयोध्या के पुरवा इलाके का रहने वाला था. बता दें कि प्रयागराज में पिछले साल अतीक और अशरफ हत्याकांड के बाद यूपी सरकार ने राज्य के 61 माफिया और बाहुबलियों की लिस्ट जारी की थी, जिसमें विनोद उपाध्याय का नाम था.
कौन था विनोद उपाध्याय?
2004 में विनोद उपाध्याय किसी मामले में जेल में बंद था. जेल में नेपाल के भैरहवा का शातिर अपराधी जीतनारायण मिश्रा भी सजा काट रहा था. किसी बात को लेकर दोनों के बीच विवाद हुआ तो जीतनारायण ने विनोद को थप्पड़ जड़ दिया. इस दौरान विनोद शांत रहा, कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई. कुछ समय बाद विनोद को जमानत मिली और थोड़े दिनों बाद जीतनारायण को गोरखपुर जेल से बस्ती जेल में ट्रांसफर करने की खबर आई.
बताया जाता है कि अगस्त 2005 में जीतनारायण को जमानत मिली. घर जाने के लिए वह अपने रिश्तेदार के साथ संतकबीर नगर पहुंचा. यहां बखीरा में जैसे ही जीतनारायण मिश्रा अपने रिश्तेदार के साथ उतरा, ताबड़तोड़ फायरिंग होने लगी. फायरिंग की घटना में जीतनारायण और उसके रिश्तेदार की मौत हो गई. कहा जाता है कि ये हमला विनोद उपाध्याय ने ही कराया था. कहा जाता है कि विनोद गोरखपुर यूनिवर्सिटी का छात्र था. यहां पढ़ाई के बाद उसने कुछ गुर्गों के साथ मिलकर एक गैंग बना ली.
विनोद उपाध्याय, गोरखपुर में कभी एकतरफा राज करने वाले हरिशंकर तिवारी का चेला था. कहा जाता है कि हरिशंकर तिवारी के एक और चेले श्रीप्रकाश शुक्ला के एनकाउंटर के बाद करीब 1999 में विनोद उपाध्याय का नाम सामने आया. दरअसल, विनोद की नजर FCI और रेलवे के टेंडर पर थी. टेंडर को लेकर मारपीट के एक मामले में विनोद का नाम सामने आया था. ठेकेदारी के बाद जब कुछ पैसे उसने जुटाए तो राजनीति में कदम रखा. विनोद बसपा में शामिल हुआ और उसे गोरखपुर का प्रभारी बना दिया गया. 2007 में विनोद को बसपा ने गोरखपुर सिटी विधानसभा सीट से टिकट दे दिया, लेकिन वो चुनाव हार गया.