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MSP लूट खुलासा: धान की सरकारी खरीद पर सरकार अर्ध सत्य बोल रही है: योगेंद्र यादव

Shiv Kumar Mishra
1 April 2021 11:19 AM IST
MSP लूट खुलासा: धान की सरकारी खरीद पर सरकार अर्ध सत्य बोल रही है: योगेंद्र यादव
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फसल: धान समय अवधि : 1 अक्टूबर से 26 मार्च 2021

धान की सरकारी खरीद पर सरकार अर्ध सत्य बोल रही है: योगेंद्र यादव

जय किसान के एमएसपी लूट कैलकुलेटर से घबराकर सरकार ने धान की सरकारी खरीद पर जारी किए आंकड़े

जय किसान आंदोलन ने फिर इस सरकारी अर्ध सत्य का किया भंडाफोड़

जय किसान आंदोलन द्वारा पिछले 2 सप्ताह से चलाएं एमएसपी लूट कैलकुलेटर का परिणाम सामने आने लगा है कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने एमएसपी थी एमएसपी है एमएसपी रहेगी के शीर्षक से एक विज्ञापन जारी किया है इस विज्ञापन में उन्होंने दावा किया है कि सरकार ने इस सीजन में 29 मार्च तक 692 मिलियन टन (करोड़ क्विंटल) धान की सरकारी खरीद की है जो कि पिछले साल इसी अवधि में की गई सरकारी खरीद से 14% अधिक है। जबकि यह सिर्फ आधा सच है

इस सरकारी अर्धसत्य का भांडा फोड़ करते हुए योगेंद्र यादव ने ध्यान दिलाया कि यह सरकारी आंकड़ा तीन महत्वपूर्ण बातों को छुपाता है।

1. इस साल आवक जल्दी होने की वजह से खरीद भी जल्दी हुई है और अब भी सरकार अपने ही 738 मिलियन टन के लक्ष्य से पीछे चल रही है। अधिक खरीद का दावा सीजन पूरा होने पर ही किया जा सकता है।

2. राष्ट्रीय स्तर पर अधिक खरीद का यह आंकड़ा केवल बिहार, मध्यप्रदेश और पंजाब जैसे कुछ राज्यों में ज्यादा खरीद पर आधारित है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बंगाल, छत्तीसगढ़ और हरियाणा जैसे देश के अनेक राज्यों में पिछले वर्ष से काफी कम खरीद हुई है।

3. धान की यह सरकारी खरीद देश में कुल धान के उत्पादन का सिर्फ 38% ही है अगर सरकार 738 मिलियन टन खरीद के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर भी लेती है तब भी वह देश के कुल धान उत्पादन का 41% ही बनेगा। यानी कि किसी भी हाल में धान की फसल में देश के बहुसंख्यक किसानों को एमएसपी का फायदा नहीं मिल रहा।

सरकारी आंकड़े एक बार फिर यह साबित करते हैं कि देश के अधिकांश किसानों के लिए एमएसपी कागज पर ही थी कागज पर ही है और सरकारी रवैया के अनुसार कागज पर ही रहेगी। इसलिए जय किसान आंदोलन पिछ्ले 2 हफ्ते से एमएसपी लूट कैलकुलेटर चला रहा है और मांग कर रहा है कि किसन को एमएसपी का कानूनी हक मिले ताकि सिर्फ कुछ प्रतिशत किसान ही इस एमएसपी का लाभ ना उठाएं बल्कि देश के हर किसान को एमएसपी मिल सके।



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