राष्ट्रीय

महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में कब्रगाह बना गाँव, 72 घंटे, 43 मकान, 27 मौते, 81 लोग अभी तक लापता

Shiv Kumar Mishra
23 July 2023 5:23 AM GMT
महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में कब्रगाह बना गाँव, 72 घंटे, 43 मकान, 27 मौते, 81 लोग अभी तक लापता
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Graveyard village in Maharashtra's Raigad district, 72 hours, 43 houses, 27 deaths, 81 people still missing

महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में एक गांव कब्रगाह बन गया है. बारिश और भूस्खलन की मार झेल रहे इरसालवाड़ी गांव में महज तीन दिन में 27 लोगों का शव बरामद किया गया है. तीसरे दिन यानी शनिवार को रायगढ़ जिला प्रशाशन ने अधिकारिक तौर पर जानकारी दी है कि अब भी 78 लोग लापता है. मतलब 78 लोग मलबे में अब भी दबे हैं. ऐसे में यह साफ है कि मौसम का यही हाल रहा तो अगले एक हफ्ते तक रेस्क्यू चलता रहेगा

इन 78 लोगों की तलाश कल फिर शुरू की जाएगी. NDRF का कहना है सर्च जारी रखना है कि नहीं, ये जिला प्रशासन तय करेगा. एनडीआरएफ की चार टीमें तीन दिन से डेरा डाली हुई हैं. हालांकि जिन लोगों की बॉडी मिल रही है, उन्हें वही सामुहिक तौर पर अभी तक दफन किया गया है.

बाहरी लोगों के आने पर लगी रोक

वहीं बाहरी लोगों, पर्यटक, ट्रैकर सहित सभी के लिए यहां आने पर रोक लगा दी गयी है. सिर्फ एजेंसियों से जुड़े लोग ही इरसाल वाडी में दाखिल हो सकते हैं. यह निर्णय लगातार हो रहे भूस्खलन के कारण लिया गया है. वहीं धारा 144भी लागू कर दी गई है.

गांव की कुल जनसंख्या 229

जानकारी के मुताबिक जिला प्रशासन ने शनिवार को गांव से संबंधित डेटा रिलीज किया और बताया कि यहां कुल 43 मकान थे. इसमें कुल जनसंख्या 229 है, जिसमे 27 की मौत हुई है. इसके अलावा 78 लोग लापता है. उन्हें माना जा रहा है कि ये सब लोग मलबे में दफन हो गए हैं. यहां बड़ी संवेदनशील बात यह भी है कि जिन लोगों की मौत हो गई है उनके परिवार के लोग उनको आखिरी बार देख भी नहीं पा रहे हैं. क्योंकि शव को नीचे लाने की कोई व्यवस्था नहीं है, इसलिए मृतकों को वहीं दफना दिया जा रहा है. खराब मौसम की वजह से हेलीकॉप्टर से भी रेस्क्यू संभव नहीं हो पा रहा है

दुर्गम पहाड़ी पर बसा है गांव

दरअसल इरसालवाड़ी गांव इरशाद किले की तलहटी में एक दुर्गम पहाड़ी पर स्थित है. यहां पहुंचने के लिए कोई वाहन जाने लायक सड़क ही नहीं है. दो-दो किलोमीटर की तीन पहाड़ियों को पार करके इस गांव तक लोग पहुंचते हैं. यहां पिछले तीन दिनों 17 जुलाई से 19 जुलाई तक 499 मिमी रिकॉर्ड बारिश दर्ज की गई है. इस गांव में मुख्य रूप से ठाकर नामक आदिवासी समुदाय रहता है. यहां 20 जुलाई को भूस्खलन की सूचना कंट्रोल रूम को मिली थी.

81 लोग अब भी लापता

एनडीआरएफ के एक अधिकारी के अनुसार, सुबह खोज और बचाव अभियान फिर से शुरू होने के बाद से अब तक कोई शव बरामद नहीं हुआ है। अधिकारियों ने पहले कहा था कि भूस्खलन में मरने वालों की संख्या शनिवार को 27 हो गई, जबकि 81 लोगों का अभी तक पता नहीं चल पाया है।

17 घर पूरी तरह से मलबे में दबे

मुंबई से लगभग 80 किमी दूर स्थित खालापुर तहसील के अंतर्गत एक पहाड़ी ढलान पर स्थित आदिवासी गांव में भूस्खलन 19 जुलाई की रात को हुआ। अधिकारियों ने बताया कि गांव के 48 में से कम से कम 17 घर पूरी तरह या आंशिक रूप से भूस्खलन के मलबे में दब गए।

मैन्युअल रूप से चलाया जा रहा अभियान

खराब रोशनी और खराब मौसम के कारण शनिवार रात को खोज एवं बचाव अभियान बंद कर दिया गया था और रविवार सुबह फिर से शुरू किया गया। बचाव अभियान मैन्युअल रूप से चलाया जा रहा है क्योंकि पक्की सड़क के अभाव में मिट्टी खोदने वालों और खुदाई करने वालों को आसानी से गांव तक नहीं ले जाया जा सकता है। अधिकारियों ने बताया कि अब तक बरामद किए गए 27 शवों में से 12 महिलाएं, 10 पुरुष और चार बच्चे हैं, जबकि एक व्यक्ति अज्ञात है।

एक ही परिवार के 9 सदस्यों की मौत

अधिकारी ने बताया कि इस आपदा में एक ही परिवार के नौ सदस्यों की मौत हो गई। शनिवार को, शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने इरशालवाड़ी के निवासियों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जाना चाहिए। सिर्फ इरसाहलवाडी नहीं। ऐसे सभी इलाकों को आसपास के गांवों या क्षेत्रों में पुनर्वासित किया जाना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में रहने वाले गांवों को सुरक्षित स्थानों पर पुनर्वास करने की योजना बनाई है।

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