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बीमारी के वैश्विक ठेकेदार अरबपति बिल गेट्स ने भारत की यूनिक हैल्थ आईडी प्रणाली की सराहना करते हुए कहा कि यह न्यायसंगत, सुलभ स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने और भारत के स्वास्थ्य लक्ष्यों पर प्रगति में तेजी लाने में मदद करेगा।
मोदी जी ने भी उनके इस धन्यवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे की बेहतरी के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की अपार संभावनाएं हैं और भारत इस दिशा में कड़ी मेहनत कर रहा है।
कुछ लोग इतने बेवकूफ है कि उन्हें अब भी बिल गेट्स मसीहा नजर आता है, जबकि डिजिटल हैल्थ मिशन ओर यूनिक हैल्थ आईडी वाला काम पूरी तरह से प्रीप्लान तरीके से हुआ है
कोरोना काल की शुरुआत के ठीक तीन महीने पहले नवम्बर 2019 में जब बिल गेट्स भारत मे आए थे और उसी दौरे पर नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने बिल गेट्स की मौजूदगी में 'हेल्थ सिस्टम फॉर ए न्यू इंडिया: बिल्डिंग ब्लॉक्स- पोटेंशियल पाथवेज टू रिफॉर्म' रिपोर्ट पेश की थी। अगले दिन ही स्वास्थ्य मंत्रालय और गेट्स बीएमजीएफ के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुए. और जनवरी 2020 में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के बीच समझौता ज्ञापन को पूर्व प्रभाव से मंजूरी दे दी थी, यह रिपोर्ट भारत के आगामी हेल्थ सिस्टम का रोडमैप थी इस राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन की आधारशिला उसी दिन रख दी गई थी
ठीक ऐसा ही कुछ आप तीन कृषि कानूनों के बारे मे बिल गेट्स के नवम्बर दौरे के संदर्भ में देख सकते हैं
आपको याद होगा कि कुछ दिनों पहले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में कहा था कि 'कोरोना के बाद एक नई विश्व व्यवस्था उभरेगी, भारत को आत्मनिर्भर होना होगा'
तो यह सब उसी की तैयारी है।
वैश्विक तौर पर इसकी शुरुआत बहुत पहले से ही ID2020 के रूप में हो चुकी थी ID2020 एलायंस में रॉकफेलर फाउंडेशन GAVI ओर बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, शामिल हैं यह परियोजना तो टीकाकरण को डिजिटल हैल्थ आईडी से जोड़ने की पहली योजना थी यह साफ है कि ये एक इंटरनेशनल एजेंडा है।
यह बात कही लिख कर रख लीजिए कि यह जो नयी यूनिक हैल्थ आईडी बनाई जा रही है यह आपकी पहचान का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज बनने जा रही है, आपके बच्चे जब अपना रिज्यूम लिखेंगे तो उसमें यह यूनिक आईडी भी उसमे सबसे पहले लिखेंगे
चीन में कई जगहो पर ऐसी व्यवस्था लागू की जा चुकी है जिसके अंतर्गत नागरिकों को सार्वजनिक परिवहन में और काम करने के लिए अपनी हैल्थ की स्थिति दर्शाने के लिए एक हरे रंग का क्यूआर कोड दिखाना जरूरी होता है।
हमारे पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ट्वीट कर एक स्किन बॉडी सेंसर टैटू का जिक्र कर चुके हैं जिसकी सहायता से व्यक्ति के हैल्थ रिकॉर्ड का डेटा आसानी से प्राप्त हो सकता है ओर यही भविष्य है।