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इन खाली बर्तनों में कितने पैसे डाल रहे हैं?

Shiv Kumar Mishra
13 May 2020 8:17 AM GMT
इन खाली बर्तनों में कितने पैसे डाल रहे हैं?
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अगर भारत में पीपीई किट बनते ही नहीं थे तो निर्यात कैसे कर रहे थे जिसे प्रतिबंधित किया गया। सच तो यह है कि लॉक डाउन से पहले हाईवे पर पैदल चलने वालों का रेला नहीं होता है। 50 दिन होने को आए उनके लिए भाषण में कुछ नहीं था।

संजय कुमार सिंह

भक्त मित्रों को शिकायत है कि 20 लाख करोड़ के धुंआधार पैकेज की घोषणा के बावजूद ट्वीट पर उपहासात्मक, गरिमाहीन टिप्पणियां की गईं। पर @anitajoshua के ट्वीट से पता चलता है कि भाषण की शुरुआत ही झूठ से की गई थी। नौ बजे प्राइम टाइम में ही रवीश कुमार ने कह दिया कि देश में पीपीई किट नहीं बनने की बात गलत है। प्रधानमंत्री ने कहा था, जब कोरोना संकट शुरू हुआ तब भारत में एक भी पीपीई किट नहीं बनती थी। एन95 मास्क का भारत में नाम मात्र का उत्पादन होता था। सच्चाई यह है कि डीजीएफटी ने एक महीने में तीन अधिसूचनाएं जारी करके निर्यात नीति संशोधित की और इनके निर्यात को प्रतिबंधित किया। अगर भारत में पीपीई किट बनते ही नहीं थे तो निर्यात कैसे कर रहे थे जिसे प्रतिबंधित किया गया। सच तो यह है कि लॉक डाउन से पहले हाईवे पर पैदल चलने वालों का रेला नहीं होता है। 50 दिन होने को आए उनके लिए भाषण में कुछ नहीं था।

दूसरी ओर, ऊपर से नीचे तक विदेशी उत्पादों से लदा रहने वाला व्यक्ति दूसरों को लोकल यानी स्थानीय सामान इस्तेमाल करने की सलाह दे गया। ऐसा नहीं है कि वे निजी तौर पर विदेशी सामानों का इस्तेमाल करते हैं और इसे उनका निजी मामला मान कर छोड़ देना चाहिए। वे कई मौकों पर विदेशी ब्रांडों का प्रचार करते नजर आए हैं। पांच ट्रिलियन की इकनोमी जीरो की गिनती के चक्कर में पांच टन की हो गई थी। इस बार भाई लोगों ने संबित पात्रा को बता दिया कि 20 लाख करोड़ में कितने शून्य होते हैं ताकि वे अपना मजाक न बनवा लें। पर सवाल यही है कि गरीब को क्या मिलेगा और कैसे मिलेगा?

द टेलीग्राफ ने पूछा है कि प्रधानमंत्री जी, इन खाली बर्तनों में आप कितने पैसे डाल रहे हैं? रायटर की यह तस्वीर पहले भी यहीं छप चुकी है। अखबार ने लिखा है कि मंगलवार को प्रधानमंत्री के संबोधन से कुछ ही पहले राहुल गांधी ने गांव वापस जा रहे प्रत्येक प्रवासी मजदूरों के खाते में कम से कम 7,500 रुपए सीधे ट्रांसफर किए जाएं। पर प्रधानमंत्री ज्यादा विवरण में गए ही नहीं और कह दिया कि हरेक वर्ग के लिए कुच महत्वपूर्ण निर्णय की घोषणा आर्थिक पैकेज में की जाएगी। उन्होंने मजदूरों, प्रवासी मजदूरों, पशु पालकों और मछुआरों के नाम लिए। इसके साथ ही अखबार ने लिखा है कि हर मिनट की देरी महंगी पड़ रही है। प्रधानमंत्री के भाषण के तुरंत बाद खबर आई कि मंगलवार को 300 किलोमीटर पैदल चलने के बाद तेलंगाना में 21साल के एक प्रवासी मजदूर की मौत हो गई। मौत का कारण लू लगने की संभावना बताई जा रही है। युवक इतवार को हैदराबाद से उड़ीशा के मलकानगिरि के लिए पैदल निकले समूह का भाग था। सोमवार दोपहर के बाद से इनलोगों ने कुछ खाया नहीं था। प्रेस ट्रस्ट ने अधिकारियों के हवाले से यह बात कही।

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