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सावन मास हो और घेवर ना हो...मौसमी फल से मौसमी मिठाई घेवर, जानिए- घर पर बनाएं मार्केट जैसा स्वादिष्ट घेवर | Ghewar Recipe
सामान्यतः घेवर का विशेष महत्व पूर्वी राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में देखने को मिलता है आप इस स्वादिस्ट मिठाई का आनंद सिर्फ और सिर्फ श्रवण मास में ही ले सकते है यह विशेष करके एक त्यौहारिक मिठाई है. त्योहारों से घेवर का सम्बन्ध तीज और रक्षाबंधन जैसे महत्वपूर्ण पर्वों से है. ये दो ऐसे त्योहार हैं जो घेवर के बिना अधूरे माने जाते हैं. इस मिठाई का आनंद श्रवण, भादों मास में ही लिया जा सकता है उसके बाद लगभग यह वर्ष भर के लिए विलुप्त हो जाती है.
अब सवाल उठता है कि घेवर की उत्पत्ति कहां हुई तो इस बारे में कोई विस्तृत इतिहास मौजूद नहीं है लेकिन जहां तक है इसकी उत्पत्ति राजस्थान से मानी जाती है परन्तु बर्तमान में घेबर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ एक जनपदों में चाव से अलग-अलग तरीके से बनाया और खाया जाता है जालीदार शक्ल और सूरत के कारण अंग्रेजी भाषी लोग इसे हनीकॉम्ब डेजर्ट के नाम से जानते हैं.
पारंपरिक तौर पर घेवर मैदे और अरारोट के घोल विभिन्न सांचों में डालकर बनाया जाता है फिर इसे चाशनी में डाला जाता है. वैसे समय के साथ इसमें बनाने के तरीके में तो नहीं लेकिन सजाने में काफी एक्सपेरिमेंट्स हुए हैं. जिसमें मावा घेवर मलाई घेवर और पनीर घेवर खास है लेकिन समय के साथ घेवर बनाने सजाने व परोसने में कई परिवर्तन हुए पर इसका स्वाद वैसा ही है.
घेवर बहुत ही स्वादिष्ट रेसिपी है, और अगर आप इस बार घेवर को घर पर बनाना चाहते हैं तो इस आसान रेसिपी को फॉलो कर सकते हैं।
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