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ई-कॉमर्स के अनैतिक कार्यों पर आईफा ने उठाए गंभीर सवाल,आईफा ने वित्त मंत्रालय को लिखा पत्र
अखिल भारतीय किसान महासंघ ( ऑल इंडिया फार्मर्स एलायंस/आइफा) ने कुछ ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों द्वारा किए जा रहे अनैतिक व्यापारिक तौर-तरीकों के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की है। पिछले हफ्ते आईफा की ओर से वित्त मंत्रालय को लिखे पत्र में, सोशल कॉमर्स प्लेटफॉर्मों, मीशो सहित कुछ अन्य संस्थाओं की संदिग्ध और अनैतिक गतिविधियों की लंबी श्रृंखला का भी विवरण दिया, जैसा कि पिछले एक साल में ईटी ET और कुछ सजग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में व्यापक रूप से रिपोर्ट भी किया गया था। गौरतलब है की डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सक्रिय मल्टीलेवल मार्केटिंग (MLM) कंपनियों द्वारा निवेशकों को लगातार ठगे जाने के कारण यह प्लेटफार्म पहले से ही बदनाम हो रहा था। अब इसमें मीशो तथा इस तरह की कंपनियों ने ग्राहकों को सीधे-सीधे ठगकर तथा सेवा में लगातार कमी कर इस बहुउपयोगी प्लेटफार्म के प्रति गंभीर अविश्वास पैदा करने का कार्य किया है।
एक प्रेस बयान में "अखिल भारतीय किसान महासंघ", आईफा के राष्ट्रीय संयोजक डॉराजाराम त्रिपाठी ने कहा कि हमारे देश में आज ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत तेजी से अपनी पहुंच बढ़ा रहे हैं, और ये आपूर्ति श्रृंखला के सशक्त माध्यम बनकर किसानों और भारतीय कृषि को बहुत बड़े पैमाने पर लाभान्वित करने की क्षमता भी रखते हैं।
लेकिन अगर ई कामर्स के इस संभावना से भरे नये प्लेटफार्म्स पर धोखाधड़ी की गतिविधियां होने लगती हैं और शहरी उपभोक्ताओं के लिए ऐसे प्लेटफॉर्मों और स्टार्टअप द्वारा अनैतिक उपाय अपनाए जाने शुरू हो जाते हैं, फिर तो कम जागरूक और कम शिक्षित या अशिक्षित ग्रामीण उपभोक्ताओं, विशेष रूप से किसानों का बहुत बड़े पैमाने पर ठगे जाना तय है, इसलिए इन घटनाओं से ग्रामीण उपभोक्ताओं तथा किसानों को बचाने के लिए तत्काल समुचित तथा प्रभावी कदम उठाना जरूरी है। डॉ त्रिपाठी ने इस संबंध में अपनी गहरी चिंता और पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि ई-कॉमर्स लाभदायक प्रणाली है, इसके शुरुआती दौर में ही इस तरह के अनैतिक क्रियाकलाप, धोखाधड़ी एक ऐसी बेहद ही संभावनाशील प्रणाली की भ्रूणहत्या कर देंगे, जो कि सही मायनों में देश की सम्पूर्ण आपूर्ति श्रृंखला प्रणाली में क्रांति ला सकती है, विशेषकर देश के ग्रामीण उपभोक्ताओं तथा देश की जनसंख्या का सबसे बड़े हिस्सा भारत के किसानों को व्यापक रूप से लाभान्वित कर सकती है।
इस तारतम्य में बेंगलुरू स्थित सोशल कॉमर्स प्लेटफॉर्म मीशो के विशेष मामले का संदर्भ आया है - जिसे कि विदेशी निवेशकों के एक समूह द्वारा वित्त पोषित किया गया था - यह 2015 में शुरू किया गया था, ऑनलाइन विक्रय के साथ ही यह विपणन तथा लाभ हेतु प्लेटफार्म प्रदान करने का दावा करता है, जिसके माध्यम से व्यवसायी और व्यक्ति सीधे ग्राहकों को अपने उत्पाद बेच सकते हैं। पिछले एक साल में, मीशो के बारे में धोखाधड़ी की गतिविधियों की एक लंबी श्रृंखला की सूचना मिली है, जो स्टार्टअप और ऐसी अन्य कंपनियों की व्यावसायिक तौर तरीकों पर गंभीर सवाल उठाती है, और यह बताती है कि ये कंपनियां कैसे देश भर के नागरिकों को प्रभावित कर रही हैं।
आईफा ने सरकार को मीशो की इन गंभीर गतिविधियों के बारे में लिखा है कि, चूंकि कंपनी का मुख्य रूप से देश के छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राहकों को लक्षित करने पर ध्यान केंद्रित है। अतः इन ग्राहकों का एक बड़ा हिस्सा सीमांत और कृषि परिवारों से संबंधित ,है जो इस तरह की सुविचारित व्यापारिक मकड़ जाल से खुद को बचाने के तरीकों से अच्छी तरह से अवगत तथा पर्याप्त जागरूक नहीं हैं। इसलिए, आईफा देश के प्रमुख किसान संगठनों का राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करने वाले एक जिम्मेदार संगठन के रूप में, इन गतिविधियों की ओर सरकार के ध्यान को आकृष्ट करते हुए इनके अनैतिक कृत्यों को सरकार के ध्यान में ला रही है साथ ही आईफा सरकार से यह मांग भी करती है, कि ऐसी कंपनियों को इनकी धोखाधड़ी के तौर तरीकों से अनजान भोले भाले ग्राहकों को धोखा देने से रोकने के लिए मंत्रालय द्वारा तत्काल कदम उठाए जाएं ,अन्यथा व्यापार तथा आपूर्ति के एक बेहद संभावनाशील सशक्त माध्यम ई-कॉमर्स सिस्टम से छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों के उपभोक्ताओं का विश्वास ही उठ जाएगा , और यह स्थिति देश के ग्रामीण उपभोक्ताओं , किसानों , गांवों तथा कुल मिलाकर समूचे देश के लिए किसी भी हालत में एक अच्छी और अग्रगामी स्थिति नहीं होगी।
डॉ राजाराम त्रिपाठी, राष्ट्रीय संयोजक, अखिल भारतीय किसान महासंघ (आईफा)