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अमेरिका पर भड़का भारत, कहा-Fake News के सहारे भारत को बदनाम करने की कोशिश
अमेरिका और ब्रिटेन के कई ऐसे संगठन हैं, जो भारत विरोधी खाद-पानी पर ही जिंदा है. ये संगठन भारत को कठघरे में खड़ा करने के लिए एक अदद मौके की तलाश में रहते हैं. भले ही बात सही हो या गलत, इन्हें भारत की मुखालफत करनी ही है. इस बार सबब बना है कोरोना वायरस संक्रमण और उसके खिलाफ जंग. कोविड-19 के खिलाफ जंग में अमेरिका की ओर से धार्मिक रंग दिए जाने की कोशिश पर भारत ने करारा जवाब दिया है. दरअसल, एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग ने भारत के कोरोना वायरस से निपटने के तरीके पर चिंता जताई थी. मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि अहमदाबाद के एक सरकारी अस्पताल में संक्रमित मरीजों को धर्म के आधार पर अलग कर इलाज किया जा रहा है.
भारत ने कहा गुमराह करने वाली रिपोर्ट
'अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिका के आयोग' की आलोचना को खारिज करते हुए भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने साफ कहा कि अमेरिकी आयोग की ओर से की गई आलोचना एक गुमराह करने वाली रिपोर्ट पर आधारित है. उन्होंने आगे कहा कि गुजरात सरकार पहले ही साफ कर चुका है कि अहमदाबाद में कोविड-19 के मरीजों को धार्मिक पहचान के आधार पर अलग करने की बात सिरे से गलत और भ्रामक है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग की टिप्पणी क्या पहले ही काफी नहीं है, जो वह अब भारत में कोविड-19 से निपटने के लिए पालन किए जाने वाले पेशेवर मेडिकल प्रोटोकॉल पर गुमराह करने वाली रिपोर्टों को फैला रहा है.
यूएससीआईआरएफ धार्मिक रंग देने से आए बाज
प्रवक्ता ने दोहराया कि सिविल अस्पताल में धर्म के आधार पर मरीजों को अलग नहीं किया जा रहा है. श्रीवास्तव ने कहा कि यूएससीआईआरएफ को कोरोना वायरस महामारी से निपटने के भारत के राष्ट्रीय लक्ष्य को धार्मिक रंग देना बंद करना चाहिए. गौरतलब है कि अमेरिका की इसी संस्था ने नागरिकता संशोधन कानून पर भी भारत को कठघरे में खड़ा करते हुए अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव और हिंसक बर्ताव का आरोप लगाया था. उस वक्त भी भारत ने तथ्यों और धरातल के आधार पर जवाब देकर आयोग की बोलती बंद कर दी थी.