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भारत ने चीन की ब्रह्मपुत्र नदी के बहाव को लेकर चलाए जा रहे वाटर डायवर्जन स्कीम का जवाब देने के लिए एक बड़ी योजना पर काम कर रही है। दरअसल चीन अपने क्षेत्र में ब्रह्मपुत्र नदी पर इस वाटर डायवर्जन स्कीम पर काम कर रहा है। अब का जवाब देने के लिए भारत ने अरुणाचल प्रदेश में यिंगकिओंग में ब्रह्मपुत्र नदी पर देश के दूसरे सबसे बड़े बांध के निर्माण की योजना बनायी है।
लाइवमिंट को दिए एक इंटरव्यू में जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा है कि अरुणाचल प्रदेश के उपरी इलाकों में प्रस्तावित बांध में लगभग 10 अरब क्यूसेक मीटर पानी स्टोर किया जा सकता है। स्टोरेज क लिहाज से इंदिरा सागर डैम 12.2 बीसीएम क्षमता के साथ भारत का सबसे पड़ा बांध है।
प्रस्तावित बांध में लगभग 50000 करोड़ रुपए के निवेश होने का अनुमान है और यह प्रस्तावित अपर सियांग मल्टी परपज स्टोरेज प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जो हाइड्रोपावर का भी उत्पादन करेगी।
आपको बता दें कि चीन की 14वीं पांच वर्षीय योजना में ब्रह्मपुत्र नदी पर एक बड़ा बांध बनाने का प्रस्ताव है। इस नदी को चीन में यारलुंग त्सांगपो के नाम से जाना जाता है। चीन के इस प्रोजेक्ट के सामरिक प्रभावों को देखते हुए भारत की चिंताएं बढ़ गईं हैं। जून, 2020 में हिमालयी सीमा पर सेनाओं के बीच टकराव के चलते भारत और चीन के संबंध बिगड़ गए हैं, जिसमें भारत के 20 जवानों की मौत हो गयी थी।
गर्मी के मौसम में तिब्बत के पहाड़ों पर बर्फ पिघलने के बाद ब्रह्मपुत्र नदी में पानी आता है। चीन के पाना का रुख मोड़ने के लिए स्ट्रक्चर खड़ा करने की स्थिति में भारत की जल सुरक्षा बनाए रखने के लिए इस बांध से पानी छोड़ने की योजना है। साथ ही उपरी इलाकों से चीन के पानी छोड़ने की स्थिति में, यह डैम पानी को स्टर करके बाढ़ की स्थिति से बचाने में मददगार साबित होगा।
जलशक्ति मंत्री शेखावत ने कहा है कि हमने अरुणाचल प्रदेश के उपरी इलाकों में एक बांध के निर्माण के साथ यिंगकि ओंग में एक प्रोजेक्ट की योजना बनायी है। यह संभवत: भारत के सबसे बड़े बांधें में से एक होगा। हम पानी को रोकेंगे और गर्म सीजन में पानी रिलीज करेंगे, जब बारिश नहीं होती है।