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इस कारण से रूस में अगले महीने होने वाले चीन और पाकिस्तान के साथ युद्धाभ्यास में भाग नहीं लेगा भारत
भारत ने शनिवार को घोषणा की कि उसने अगले महीने रूस में होने वाले बहुपक्षीय युद्धाभ्यास में भाग नहीं लेने का फैसला किया है. एक सप्ताह पहले ही भारत ने सैन्याभ्यास में भाग लेने की पुष्टि की थी जिसमें चीन और पाकिस्तान के सैनिक भी भाग ले सकते हैं. रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने देर रात जारी एक बयान में कहा कि भारत ने कोरोना वायरस महामारी और अन्य कठिनाइयों के मद्देनजर अभ्यास के लिए अपनी टुकड़ी को नहीं भेजने का फैसला किया है. इस पूरे मामले के जानकार लोगों का कहना है कि सैन्याभ्यास में चीन की भागीदारी भारत के फैसले के पीछे मुख्य वजह है.
भारत ने पिछले हफ्ते रूस को सूचित किया था कि वह 15 से 26 सितंबर के बीच दक्षिण रूस के अस्त्राखान इलाके में होने वाले रणनीतिक कमान-पोस्ट अभ्यास में शामिल होगा. रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ए भारत भूषण बाबू ने कहा, ''रूस और भारत करीबी और गौरवान्वित रणनीतिक साझेदार हैं. रूस के निमंत्रण पर भारत कई अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में शामिल होता रहा है. हालांकि महामारी और साजो-सामान के बंदोबस्त समेत अन्य कठिनाइयों के मद्देनजर भारत ने इस साल कवकाज-2020 में अपनी टुकड़ी नहीं भेजने का फैसला किया है.''उन्होंने कहा कि रूस को इस फैसले से अवगत करा दिया गया है. समझा जाता है कि सेना और विदेश मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों के विचार-विमर्श के बाद फैसला लिया गया.
उल्लेखनीय है कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगते कई इलाकों में गत साढ़े तीन महीने से भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध बना हुआ है. दोनों देश विवाद को सुलझाने के लिए सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत कर रहे हैं. चीन और पाकिस्तान सहित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सभी सदस्य राष्ट्रों समेत करीब 20 देशों के इस युद्धाभ्यास में शामिल होने की उम्मीद है. भारतीय अधिकारियों ने मंगलवार को वोल्गोग्राड में भाग लेने वाले देशों के प्रतिनिधियों की बैठक में भाग लिया था जिसमें युद्धाभ्यास के अनेक पहलुओं पर चर्चा की गयी.
सैन्याभ्यास में भाग नहीं लेने का भारत का फैसला रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगले सप्ताह रूस की प्रस्तावित यात्रा से पहले लिया गया है. वह एससीओ की एक अहम बैठक में भाग लेने रूस जाने वाले हैं. एससीओ के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य तथा भू-रणनीतिक घटनाक्रमों पर विचार-विमर्श किया जा सकता है. भारत ने पहले इस युद्धाभ्यास में भारतीय थल सेना के करीब 150 कर्मियों, वायुसेना के 45 कर्मियों और नौसेना के कुछ अधिकारियों को भेजने की योजना बनाई थी. रूस रक्षा क्षेत्र में भारत का बड़ा साझेदार रहा है और दोनों के बीच सहयोग लगातार बढ़ता जा रहा है.