

डॉलर की तुलना में रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर. एक डॉलर की क़ीमत 71 रुपये. गिरते रुपये को काबू में क्यों नहीं कर पा रही है सरकार? 2014 में तत्कालीन मनमोहनसिंह सरकार को मौजूदा पीएम मोदी हर सभा में ललकारते थे. कहते थे ये दिल्ली में बैठी निकम्मी सरकार कुछ नहीं कर सकती है. तो अब क्या हुआ जो अब भी रुपया नहीं रुक रहा है.
जिस तरह भारतीय करेंसी डॉलर की अपेक्षा गिरती जा रही है उससे देश में डीजल पेट्रोल और सोना चांदी की कीमतों पर भी असर पड़ेगा. देश के सभी आर्थिक गतिविधियाँ कमजोर हो जाएँगी. हमारी मुद्रा की कीमत गिरते है सभी चीजें महंगाई का रुख कर लेती है.
जिस तरह पिछली सरकारों में बीजेपी इन सब बातों को लेकर हमलावर रहती थी अब इन बातों का जबाब भी देना उचित नहीं समझती है. इसके चलते ही जनता में भी अब पीएम मोदी की लोकप्रियता भी गिरती नजर आ रही है. लेकिन जनता गिरते रूपये से भी परेशान है उसके साथ बड़ी डीजल की कीमत भी उलझन बनी हुई है.