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भारत का मीडिया जहर की खेती कर रहा है, ध्यान रखियेगा आप भी उसके खेल में बराबर के साझीदार है
सुनील कुमार मिश्र
बात दिसम्बर सन 2013 की है👉 भारत के एक प्रमुख हिन्दी समाचार पत्र के एक पत्रकार है। वह मुझे बड़े भाई का सम्मान देते है। उससे मैने पूँछा कि तुम्हारे समाचार पत्र मे जो भी 2G घोटाले के विषय मे छप रहा है, वह वास्तविकता से बहुत दूर है। यह सही है की 2G मे घोटाले हुआ है। वास्तविक घोटाला पर यूपीए सरकार ने कड़ी कार्रवाई भी की है। सरकार चाहती तो 2G घोटाले की वास्तविकता छिप सकती थी, लेकिन मनमोहन सिंह की सरकार ने उसको जनता के पटल पर रक्खा और कार्यवाही स्वरूप एक मंत्री जेल मे है और कई बड़े नाम जेल जाने की कगार पर है। लेकिन तुम्हारा समाचार पत्र कौव्वा कान ले गया की तर्ज पर अवास्तविक चीजे को ही प्रमुखता से छाप रहा है। ऐसा नही है कि जो बात हम जैसे छोटे पाठक की समझ आती हो वो छापने वाले एडिटर की समझ में ना आती हो। ऐसा क्यों?
उस पत्रकार ने जो जवाब दिया कि भईया हम वर्तमान की दिल्ली सरकार की नीतियों को 5 वें पन्ने पर आधा पन्ना दे रहे है। बाकी के तीन पन्ने में वही जैसा आप कह रहे है कि कौव्वा कान ले गया छाप रहे है। आज हमारे समाचार पत्र को हिन्दी मे अग्रणी समाचार पत्र का दर्जा प्राप्त है। वो दिन और आज का दिन मैने उस समाचार पत्र का मुख्य पृष्ठ नही देखा। मैने टीवी पर न्यूस चैनल देखना पहले से बन्द कर दिया था।
यह बात इसलिये लिखनी पड़ी कि जब मै सोशल मीडिया पर बुद्धिजीवी वर्ग को हिन्दी के न्यूस चैनलों के कृत्यों पर खीज निकालते देखता हूँ, तो सोचने को मजबूर हो जाता हूँ। जो मीडिया दिखा रहा है उसमे नया क्या है। आप उसे देख तो रहे ही है, भले आप उसके प्रसारण से सहमत हो या ना हो। लेकिन आप उनकी टीआरपी का हिस्सा हो कर ही आये है और वह खीज आप सोशल मीडिया पर व्यक्त कर रहे है।
भारत का मीडिया जहर की खेती कर रहा है। देश उसके एजेंडे से कब का गायब हो चुका है। ध्यान रखियेगा आप भी उसके खेल में बराबर के साझीदार है। जो लोग भी मीडिया की पत्रकारिता से सहमत नही है, अगर न्यूस चैनल देखना बन्द कर दे, तो 10 दिन में आपकी यह असहमति की ताकत मीडिया को एहसास करा सकती है कि देश के लोग आपकी पत्रकारिता से सहमत नही है। अगर वास्तविकता में आपको ऐसा लगता है कि न्यूस चैनल देश की महत्वपूर्ण खबरों को दफन कर रहे है👉तो देश के साथ खड़े हो और न्यूस चैनल देखना बन्द करें..