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भारत में इस समय पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें आसमान छू रही है. जहाँ हमारे से बहुत छोटे छोटे मुल्क इन पदार्थों की कीमतों पर अंकुश लगाने कामयाब है. वहीं हमारे देश में पेट्रोल और डीजल तथा घरेलू गैस की कीमतें आसमान छू रही है.
इस दौरान आज पीएम मोदी का २३ मई २०१२ का एक लेख याद रहा है जिसमें उन्होंने लिखा था कि देश में पेट्रोलियम पदार्थो की कीमतें बेतहाशा बढ़ रही है. उन्होंने उस दौरान गुजरात के सीएम की हैसियत से लिखा था कि पेट्रोल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए की विफलता का मुख्य उदाहरण है. इससे गुजरात पर सैकड़ों करोड़ का बोझ पड़ेगा. संसद सत्र समाप्त होने के एक दिन बाद आने वाला यह फैसला संसद की गरिमा पर डांट है!
अब चूँकि इस पद पर स्वंय गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे नरेंद्रदामोदर दास मोदी आज देश के प्रधानमंत्री के पद पर सुशोभित है. फिर डीजल पेट्रोल के दामों में लगी आग रोकेगा कौन. तो इसमें सबसे बड़ा सवाल यह है कि तब के मोदी जी में और अब के मोदी जी इतना बदलाब क्यों?
अगर उस समय मोदी जी ठीक थे तो क्या अब मोदी जी पेट्रोल डीजल , रसोई गैस के दम बढ़ाकर देश की जनता को क्या संदेश देना चाहते है. देश में आम जन मानस इन कीमतों से बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. डीजल के दाम अब पूरे देश में ९० और १०० रूपये के बीच में है. तो जब मोदी जी सीएम थे तब डीजल की कीमत बढने पर परेशान थे तो वहीं मोदी जी आज पीएम है तो बढती कीमतों पार खामोश क्यों है?