राष्ट्रीय

Jama Masjid Shahi Imam: कौन हैं सैयद शाबान बुखारी? जो बने दिल्ली जामा मस्जिद के 14वे शाही इमाम

Special Coverage Desk Editor
27 Feb 2024 1:30 PM IST
Jama Masjid Shahi Imam: कौन हैं सैयद शाबान बुखारी? जो बने दिल्ली जामा मस्जिद के 14वे शाही इमाम
x
Jama Masjid Shahi Imam: दिल्ली के जामा मस्जिद को नया शाही इमामशब-ए-बारात के दिनमिल गया है। नए इमाम का एलान 25 फरवरी को हुआ।

Jama Masjid Shahi Imam: दिल्ली के जामा मस्जिद को नया शाही इमामशब-ए-बारात के दिनमिल गया है। नए इमाम का एलान 25 फरवरी को हुआ। शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने 'दस्तारबंदी'यानी पगड़ी पहनाने की रस्म करके अपने बेटे सैयद शाबान बुखारी कोनया इमाम घोषित किया है। कई शख्सियत इस दौरान जामा मस्जिद में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मौजूद रही। उनकी उम्र इस समय 29 साल है। उनके परिवार ने अपनी पिछली 13 पीढ़ियों से जामा मस्जिद की अध्यक्षता की है। जामा मस्जिद का निर्माण 1650 में किया गया था।

एमिटी यूनिवर्सिटी से हासिल की यह डिग्री

सैयद शाबान बुखारी का जन्म दिल्ली में 11 मार्च 1995 को हुआ था। उन्होंने एमिटी यूनिवर्सिटी से सोशल वर्क में मास्टर डिग्री ले चुके हैं। सैयद शाबान बुखारी ने इस्लामी धर्मशास्त्र में आलमियत और फजीलत की है। इसके अलावा इस्लाम की बुनियाद तालीम के साथ व्यापक अध्यन मदरसा जामिया अरबिया शम्सुल उलूम दिल्ली से की है।

2015 में हुई थी शादी

शाबान बुखारी ने गाजियाबाद की एक हिंदू लड़की से 13 नवंबर 2015 को शादी की थी। शुरुआत में इस शादी के लिए उनके परिवार राजी नहीं था लेकिन बाद में पूरा परिवार शादी के लिए राजी हो गया और धूमधाम से उनकी शादी हई थी। 15 नवंबर को महिपालपुर के एक फार्महाउस में शादी के बाद ग्रैंड रिसेप्शन दिया गया। बता दें, शाबान बुखारी के 2 बच्चे और उनकी पत्नी शबानी है। जानकारी के लिए आपको बता दें, शाबान बुखारीजामा मस्जिद के 14वे शाही इमाम बने हैं। जामा मस्जिद से जुड़े लोगों के अनुसार शाबान को नायब इमाम की जिम्मेदारी 2014 में मिली थी। जिसके बाद शाबान देश के अलावा विदेश में भी धर्म से जुड़ी ट्रेनिंग ले रहे थे। शाही इमाम के पद पर होने के लिए इस्लाम से जुड़ी तमाम तरह की जानकारी होना जरूरी होता है।

इतनी मिलती है सैलारी

मस्जिदों के इमाम को सैलारी सरकार से नहीं बल्कि वक्फ बोर्ड अपनी संपत्तियों से मिलने वाली आए अपने कर्मचारियों और मस्जिद के इमाम को देते हैं। फिलहाल शाही इमाम की सैलरी 16 से 18 हजरा रुपए है जो वक्फ बोर्ड की और से दिया जाता है। साल 1650 में मुगल बादशाह शाहजहां ने मस्जिद का निर्माण कराया था। तब उन्होंने बुखारा के शासकों को इमाम की जरूरत बताई थी। अब्दुल गुफार बुखारी को इसके बाद भारत भेजा गया और उनको शाही इमाम का खिताब दिया गया। शाही का अर्थ राजा होता है। इमाम वह होते हैं जो मस्जिद में नमाज अदा करते हैं। ऐसे में शाही इमाम का अर्थ होता है राजा की ओर से नियुक्त किया गया इमाम।

Special Coverage Desk Editor

Special Coverage Desk Editor

    Next Story