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Chief Justice : भारत के 49वें प्रधान न्यायाधीश बने जस्टिस उदय उमेश ललित, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ
नई दिल्ली : न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित ने भारत के 49वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में आज शपथ ग्रहण की है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित संक्षिप्त समारोह में न्यायमूर्ति ललित को शपथ दिलाई. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कई केंद्रीय मंत्री इस समारोह में शामिल हुए. न्यायमूर्ति ललित से पहले प्रधान न्यायाशीध के रूप में सेवाएं देने वाले न्यायमूर्ति एन वी रमण भी इस मौके पर मौजूद थे. एन वी रमणा शुक्रवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश के पद से रिटायर हो गए हैं. उनके बाद अब इस पद को जस्टिस उदय उमेश ललित ने संभाला लिया है.
बता दें कि 102 साल से ललित परिवार वकालत के पेशे में है. जस्टिस उदय उमेश ललित के दादा महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में वकालत करते थे. उनके पिता उमेश रंगनाथ ललित जो अब 90 साल के हो चुके है वो नामी वकील रहे हैं, जो बॉम्बे हाईकोर्ट में जज रह चुके हैं. जस्टिस उदय उमेश ललित की पत्नी अमिता ललित शिक्षाविद हैं जो नोएडा में बच्चों का स्कूल चलाती हैं .
जस्टिस ललित के दो बेटे हैं श्रीयस और हर्षद. श्रीयस पेशे से वकील बन गए हैं, जो IIT गुवाहाटी से मैकेनिकल इंजीनियर हैं और उनकी पत्नी रवीना भी वकील हैं. जबकि हर्षद वकालत में नहीं हैं और वो अपनी पत्नी राधिका के साथ अमेरिका में रहते हैं. हर्षद फिलहाल अपनी पत्नी के साथ अमेरिका से दिल्ली आए हैं.
ऐसा नहीं है कि जस्टिस उदय उमेश ललित को वकालत में सफलता विरासत में मिली. जब वो दिल्ली आए तो मयूर विहार के दो कमरों के फ्लैट में रहते थे. लेकिन इसके बाद वो देश के टॉप क्रिमिनल वकीलों में शुमार हो गए. वे हाई प्रोफाइल मामलों में पेश हुए. यहां तक कि 2 G घोटाले मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें स्पेशल पीपी नियुक्त किया.
क्राइम लॉ में एक्सपर्ट हैं नए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ललित
भारत के नए चीफ जस्टिस ललित क्रिमिनल लॉ में एक्सपर्ट हैं. वह 2जी मामलों में सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक के रूप में काम कर चुक हैं. लगातार दो कार्यकाल तक वह सुप्रीम कोर्ट की कानूनी सेवा समिति के सदस्य भी रह चुके हैं. बेहद सौम्य स्वभाव वाले उदय उमेश ललित भारत के इतिहास में ऐसे दूसरे चीफ जस्टिस हैं जो सुप्रीम कोर्ट का जज बनने से पहले किसी हाई कोर्ट में जज नहीं रहे. वह सीधे वकील से इस पद पर पहुंचे हैं. उनसे पहले 1971 में देश के 13वें मुख्य न्यायाधीश एस एम सीकरी ने यह उपलब्धि हासिल की थी.
अयोध्या-बाबरी केस से खुद को अलग कर सुर्खियों मे रहे
10 जनवरी 2019 को न्यायाधीश उदय उमेश ललित ने खुद को अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही 5 जजों की बेंच से अलग कर सुर्खी बटोरी थी. ऐसा करने के पीछे उन्होंने तर्क दिया था कि करीब 20 साल पहले वह अयोध्या विवाद से जुड़े एक आपराधिक मामले में यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह के वकील रह चुके थे.