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गांधी का अभिनय करते करते गांधी जैसे हो गए कैसर एन के जानी
चालीस से अधिक गांधी केन्द्रित फिल्मों में काम कर चुके भागलपुर के 73 वर्षीय कैसर एन के जानी का पूरा जीवन गांधी मय हो गया है। उनका कहना है कि मैंने अनेक फिल्मों में दूसरी भूमिकाएं निभाई हैं लेकिन उनसे मेरी कोई पहचान नहीं बनी और ना ही उसका कोई प्रभाव लंबे समय तक लोगों पर रहा। लेकिन गांधी की भूमिका निभाने के बाद मुझे देश विदेश में लोगों का बहुत प्यार मिला। मेरी जिंदगी में भी बहुत बदलाव आया। सबसे बड़ा बदलाव तो यही हुआ कि वे जाति,धर्म और क्षेत्र के भेदभाव से ऊपर उठ कर सोचने लगे। जीने लगे। उनकी श्रम के प्रति निष्ठा बढ़ी और मांसाहार से भी मुक्त हो गए। उन्होंने बताया कि जब गांधी जी भागलपुर आए तो उनके घर पर भी आए थे।
स्पेशल कवरेज न्यूज से बातचीत के क्रम में उन्होंने बताया कि उनका जन्म भागलपुर के बड़े घराने में हुआ था। उनका परिवार एक बड़ी हवेली में रहता था। वहां आम घरों के बच्चों का आना जाना संभव नहीं था। घर के बच्चों को उनके प्यादे आस पास के गरीब बच्चों के बीच जाने से रोकते थे लेकिन ऐन के जानी प्यादे की नजर से बचते हुए गरीब बच्चों के साथ खेलने चले जाते थे। कैसर साहब न सिर्फ उन बच्चों के साथ खेलते बल्कि उनके घरों के खाना भी खाते थे। ऐसा इसलिए संभव हुआ कि वे बचपन से ही गांधी की किताबें पढ़ने लग गए।
एन के जानी बताते हैं कि गांधी हमारे जीवन का हिस्सा बन गए हैं। गांधी के कारण उनका बहुत सम्मान बढ़ा हैै। उनको फक्र है कि वे भारतीय हैं और गांधी की तरह जीते हैं। क्योंकि वे गांधी का रोल करते करते गांधी के विचारों को समझने लगे और फिर उन्हें अमल में भी लाने लगे हैं। वे गांधी के सांप्रदायिक सद्भाव, छुआछूत का विरोध,अहिंसा,स्वच्छता और अंतिम व्यक्ति के प्रति कुछ करने जैसी बातों के कायल हो गए हैं। उन्होंने गांधीजी, नेता जी सुभाष चन्द्र बोस और सरदार भगत सिंह के बारे में नौ साल की उम्र से ही पढ़ना और समाचार पत्रों में अपने अनुभवों को लिखना शुरू कर दिया था।
उन्होंने बताया कि उन्होंने गांधी के रोल का सूट राष्ट्रपति भवन,लोकसभा,चांदनी चौंक सहित विदेशों में भी किया है। सूट के दौरान काफी लोग उनके देखने को रुक जाते हैं। सूट ख़तम होने के बाद काफी लोग उनके पैर छूने के लिए आते हैं। ऐसे समय में वे अभिभूत हो जाते हैं।
कैसार एन के जानी पिछले पचास सालों से फिल्मों में गांधी सहित अन्य भूमिकाएं निभाते अा रहे हैं। इसके अलावा मार्केटिंग,विज्ञापन और ब्रांडिंग के काम के साथ साथ टीवी के कार्यक्रमों में हिस्सा लेते रहे हैं। उन्होंने देश विदेश की बहुत यात्राएं की हैं और अनेक महत्वपूर्ण संस्थाओं में व्याख्यान भी देते रहे हैं। उन्होंने विदेशों के विश्वविद्यालयों के पुस्तकालयों में जाकर गांधी और उनसे संबंधित साहित्य को पढ़ते रहे है।