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करतारपुर गलियारा: भारत-पाकिस्तान के बीच तीसरे दौर की बातचीत खत्म, दो मुद्दों पर नही बनी बात
सिख श्रद्धालुओं के लिए प्रस्तावित करतारपुर गलियारे के मसौदा समझौते को अंतिम रूप देने के उद्देश्य से भारत और पाकिस्तान के बीच बुधवार को अटारी बॉर्डर पर दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत हुई। इस दौरान अधिकारियों ने बताया कि अमृतसर के अटारी में हो रही संयुक्त सचिव स्तर की बैठक में शामिल होने के लिए 20 सदस्यीय पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल भारत पहुंचा था।
वार्ता के दौरान फैसला लिया गया कि भारत के सिख श्रद्धालु अब बिना वीजा के पूरे साल करतारपुर साहिब के दर्शन करने के लिए जा सकेंगे. इस कॉरिडोर के जरिए भारतीय मूल के वैसे लोग जिनके पास OCI (Overseas Citizenship of India) कार्ड है वो भी करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए आ-जा सकेंगे, हालांकि दो मुद्दे ऐसे रहे जिन पर दोनों देशों के बीच सहमति नहीं बन पाई।
भारत-पाकिस्तान के बीच हुए समझौते के बाद करतारपुर कॉरिडोर के जरिए रोजाना 5000 श्रद्धालु दर्शन के लिए जा सकेंगे. विशेष मौकों पर ज्यादा श्रद्धालु भी यहां पहुंच सकेंगे. पाकिस्तान ने भारत को भरोसा दिलाया है कि वो श्रद्धालुओं की अधिकतम संख्या को करतारपुर कॉरिडोर आने की इजाजत देना चाहता है।
करतारपुर कॉरिडोर साल के 365 दिन खुला रहेगा. श्रद्धालुओं के पास ये विकल्प होगा कि वे अकेले जा सकेंगे या फिर उनके पास समूह में जाने की सुविधा होगी. व्यवस्था के मुताबिक श्रद्धालु पैर ही यहां पर आएंगे. दोनों ही पक्ष बुढ़ी रावी नहर (Channel) पर पुल बनाने को राजी हो गए हैं।
बुधवार को दोनों देशों के बीच हुई बैठक में करतारपुर कॉरिडोर से आपात निकासी पर भी चर्चा हुई. दोनों देश आपात निकासी प्रक्रिया पर राजी हो गए है, खासकर उन मौकों के लिए जब मेडिकल इमरजेंसी की हालत हो. इस उद्देश्य के लिए बीएसएफ और पाकिस्तान रेजर्स के बीच सीधी बातचीत की व्यवस्था होगी. दोनों देश कॉरिडोर से करतारपुर जाने वाले यात्रियों की जानकारी को मुहैया कराने की प्रक्रिया पर भी सहमत हो गए हैं।
पाकिस्तान श्रद्धालुओं के बीच बंटने वाले प्रसाद और लंगर के लिए भी जरूरी इंतजाम करने पर सहमत हो गया है. दोनों देश यात्रियों को सुरक्षित और सौहार्द्रपूर्ण माहौल मुहैया कराने पर सहमत हुए हैं. भारत ने पाकिस्तान से एक बार फिर से आग्रह किया है कि वो सिख यात्रियों के साथ भारत के प्रोटोकॉल ऑफिसर को जाने दे, ताकि यात्रियों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो
बतादें कि करतारपुर सिखों का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है यहां गुरु नानक देव जी की याद में एक गुरुद्वारा बनाया गया है. यह पाकिस्तान के नारोंवाल जिले में स्थित है. यह भारतीय सीमा से 3 या 4 किलोमीटर दूर है. लाहौर से इसकी दूरी 120 किलोमीटर है. गुरु नानक देव जी 1522 में करतारपुर आए थे और अपना आखिरी वक्त उन्होंने यही गुजारा था, जिस जगह पर यह गुरुद्वारा है यहीं 1539 में उन्होंने चोला त्यागा था. यह पहला गुरुद्वारा माना जाता है जिसकी नींव गुरु साहिब ने खुद रखी थी. एक बार यह गुरद्वारा रावी नदी की बाढ़ में बह गया था, उसके बाद महाराजा रणजीत सिंह ने इसका पुनः निर्माण करवाया. यहां गुरु नानक देव जी की समाधि और कब्र दोनों मौजूद है।
जब भारत और पाकिस्तान में बंटवारा हुआ तो यह हिस्सा पाकिस्तान में चला गया और श्रद्धालुओं को इस के दर्शन के लिए आज वीजा लेने की जरूरत पड़ती है. जो लोग यहीं गुरुद्वारे के दर्शन करना चाहते हैं वे भारत में डेरा बाबा नानक में शहीद बाबा सिद्ध सेन रंधावा गुरुद्वारे में दूरबीन की सहायता से इस के दर्शन करते हैं. सिख समुदाय को बरसों से यह उम्मीद है कि यह कॉरिडोर एक दिन खोल दिया जाएगा. परंतु भारत-पाक में तनावपूर्ण संबंधों के कारण आज तक ऐसा संभव नहीं हो पाया था।