
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, सबरीमाला मंदिर में अब महिलाएं भीं कर सकेंगीं प्रवेश, जानें- क्या था मामला

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने केरल के सबरीमाला मंदिर पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। 53 साल पुरानी परंपरा तोड़ते हुए कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर लगी हुई रोक को हटा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि महिलाओं को मंदिर में जाने से नहीं रोक नहीं सकते क्योंकि पुरूषों के बराबर महिलाओं को भी अधिकार है। अब हर उम्र की महिलाएं सबरीमाला मंदिर जा पाएंगी।
महिलाओं के प्रवेश को लेकर दायर की गई कई याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने महिलाओं के लिए मंदिर के दरवाजे खोल दिए हैं। बता दें कि आठ दिनों तक चली सुनवाई के बाद 3 अगस्त को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया गया था।
इस मामले में जस्टिस मिश्रा, जस्टिस आर एफ नरीमन, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदू मल्होत्रा की पीठ ने पहले कहा था कि महिलाओं को प्रवेश से अलग रखने पर रोक लगाने वाले संवैधानिक प्रावधान का 'उज्ज्वल लोकतंत्र' में 'कुछ मूल्य' हैं।
क्या है मामला?
केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 साल से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश वर्जित है। खासकर 15 साल से ऊपर की लड़कियां और महिलाएं इस मंदिर में नहीं जा सकतीं हैं। यहां सिर्फ छोटी बच्चियां और बूढ़ी महिलाएं ही प्रवेश कर सकती हैं। इसके पीछे मान्यता है कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे। ऐसे में युवा और किशोरी महिलाओं को मंदिर में जाने की इजाजत नहीं है। सबरीमाला मंदिर में हर साल नवम्बर से जनवरी तक, श्रद्धालु अयप्पा भगवान के दर्शन के लिए जाते हैं, बाकि पूरे साल यह मंदिर आम भक्तों के लिए बंद रहता है। भगवान अयप्पा के भक्तों के लिए मकर संक्रांति का दिन बहुत खास होता है, इसीलिए उस दिन यहां सबसे ज़्यादा भक्त पहुंचते हैं।