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फिर खुली पुलिस की पोल, रेप केस में सजा काट रहे नारायण साईं के पास से मिला मोबाइल

Arun Mishra
24 Oct 2020 12:41 PM IST
फिर खुली पुलिस की पोल, रेप केस में सजा काट रहे नारायण साईं के पास से मिला मोबाइल
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आसाराम बापू के बेटे हैं और इन दिनों लाजपोर सेंट्रल जेल में बंद हैं.

सूरत रेप केस में जेल की सजा काट रहे नारायण साईं के पास से मोबाइल फोन बरामद हुआ है. नारायण साईं, नाबालिग लड़की से रेप के अभियुक्त और अपने को आध्यात्मिक गुरु कहने वाले आसाराम बापू के बेटे हैं और इन दिनों लाजपोर सेंट्रल जेल में बंद हैं. जेल प्रशासन ने नारायण साईं के पास से मोबाइल पकड़े जाने के मामले में स्थानीय सचिन पुलिस थाने में मामला दर्ज करवाया है.

जेल की A/2 बैरक नंबर- 55 में आजीवन कारावास की सजा काट रहे नारायण उर्फ नारायण साईं आसुमल हरपलानी के अलावा इसी बैरक के चार अन्य कैदियों के पास से भी मोबाइल फोन बरामद हुआ है. सूरत की जेल से मोबाइल मिलने की ये कोई पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी यहां से मोबाइल पकड़े जा चुके हैं.

नारायण साईं कथा और प्रवचन की आड़ में महिलाओं को अपनी हवस का शिकार बनाता था. नारायण साईं के खिलाफ सूरत की जिन दो रेप पीड़िता ने गवाही दी उन्हें भी कथा और प्रवचन के आड़ में नारायण साईं ने अपना शिकार बनाया था.

दोनों बहनों ने नारायण साईं पर आरोप लगाया था कि उसने कथा के बहाने कई बार उनके साथ रेप और अप्राकृतिक सेक्‍स भी किया. यही नहीं, वह उन्हें यह बताने की कोशिश करता था वह लड़कियों से बेहद प्यार करता है इसलिए वह उन्हें लव लेटर्स भी लिखा करता था.

सूरत की दोनों पीड़ित बहनें आसाराम के आश्रम में साधक बनकर रह रही थीं. उन्होंने बताया कि आसाराम और उसके बेटे नारायण साईं के सामने उनकी पत्नियां ही उन्हें ले जाती थी. इसके बाद नारायण साईं उन्हें हवस का शिकार बनाता था. रेप पीड़िताओं ने बताया था कि नारायण साईं उसके साथ कई जगहों पर दुष्कर्म और शारीरिक शोषण किया.

नारायण साईं अक्सर ऐसा कई लड़कियों के साथ करता था. उसने कई लड़कियों से जिस्मानी रिश्ते बनाए थे. जब लड़कियों ने उसके खिलाफ रेप की शिकायत की थी तो नारायण साईं कहता था कि वह तो उससे प्यार करता था.

दूसरी ओर, सूरत में मौजूद लाजपोर जेल अप्रैल महीने में भी सुर्खियों में रही थी. जब कोरोना के खिलाफ लड़ाई में कैदियों ने अपने पारिश्रमिक के 1 लाख 11 हजार 111 रुपये मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा किए थे. सूरत की लाजपोर जेल पहली जेल थी जहां के कैदियों ने अपने मेहनताना में से जमा रकम को मुख्यमंत्री राहत कोष में दिया.

जेल अधीक्षक मनोज निनामा ने कहा कि दुनिया भर में फैली इस महामारी के खिलाफ लड़ने के लिए कैदी भी सामने आए हैं, क्योंकि वह भी समाज का एक अभिन्न हिस्सा हैं, भले ही वे जेल में ही क्यों ना हों. उन्होंने कहा कि हमारी जेल में बंद कैदियों ने इस मुश्किल वक्त में देश की मदद कर एक ऐसी मिसाल कायम की है, जिससे लोगों में मदद करने का जज्बा जरूर बढ़ेगा.

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