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तुम बड़बोले हो, झूठे हो, मक्कार हो, ठग हो, धर्म के नाम पर पाखंड़ करके सनातन हिंदुत्व के नाम पर हिंदुओं को जाहिल बना आत्ममुग्ध रहते हो
वीरेंद्र सिंह सेंगर
कुछ तो शर्म करो यारो!पानी सिर से ऊपर आने लगा है।अब डूब ज्यादा दूर नहीं है।फिर वही अहंकार और फुंकार। कहते हैं राज सत्ता मिलने के बाद महा मूर्खों में भी जिम्मेदारी का कुछ भाव आ जाता है। लेकिन तुम नहीं बदले। सत्ता से तुम्हारा मद और बढ़ गया है। तुम्हारी जातिवादी, गोत्रवादी व जहरीली सांप्रदायिक सोच का विषवमन और विकराल हो गया है। तुम बड़बोले हो। झूठे हो। मक्कार हो। ठग हो। धर्म के नाम पर पाखंड़ के परनाले बहाते हो। सनातन हिंदुत्व के नाम पर आम हिंदुओं को जाहिल बनाने का पाप करते हो। आत्ममुग्ध रहते हो। प्रभु राम जी के नाम पर रावणी हरकतें करते हो।
इसी को बेशर्मी से रामराज कहते हो। कृपालु ईश्वर के नाम पर तुम क्या धतकर्म नहीं करते? तुम्हारे राज में बेटियां हैवानियत का शिकार होती हैं।जीते जी दोजख में पहुंच जाती हैं। इस पर शर्म करने के बजाए तुम अपने सुशासन का दैत्यीय अट्ठाहस करते हो।तुम्हें शर्म तो आती ही नहीं?तुम कोई एक चेहरा नहीं हो।मुखौटों का अंबार हो।नाम कुछ भी हो सकता है।लेकिन न तुम सच्चे संत हो।न कोई योगी हो।फकीर हो भी तो झांसे के!तुम्हारा एक नाम भले गिरिराज हो।दरअसल, तुम में दम तो एक चूहे मानिंद भी नहीं !तुम अफवाहों और पाखंड के गिरिराज जरूरहो सकते हो।यही तुम्हारी तुच्छ सीमा है।तुम बड़े जरूर हो।पैसे में।दमन में।मूर्खता में।हिटलर जैसे राक्षस योनि के लोग तुम्हारे आदर्श होंगे ।रोल माडल होंगे।किसी हिटलर को समय के पहले अपना अंत नहीं दिखाई पड़ता। तुम्हें भी नहीं दिखाई पड़ता।कोई बात नहीं।
हर हिटलर डीएनए वाले की यही त्रासदी होती है
लेकिन मैं देख रहा हूं।तुम्हारी फाइनल गति।मैं देख रहा हूं बिल्कुल उसी तर्ज का तुम्हारा कुटिल राष्ट्रवाद! इस भक्तवाद पर मोहित होते लोग।तुम्हारी सफल होती रणनीति।बर्बाद होता मुल्क।प्रयोग दर प्रयोग! ठेंगे पर आ गया है मुल्क का लोकतंत्र! इसके चारों स्तंभ तुम्हारी जी हुजूरी में लग गये है।मुझे तो साफ साफ नजर आ रहा है।मेरे जैसे और बहुत सयाने हैं।वे भी दूर की इबारत पढ़ लेते हैं।अब तो दलित, वंचित और अल्पसंख्यक तुम्हारी असली सूरत देख रहे हैं।वे फड़फड़ा रहें हैं, तुम्हारे चुंगल में।इस बार तुम्हारी धर्म की अफीम उतनी कारगर नहीं है।लोग भगवान नहीं, रोजगार और रोटी मांग रहे हैं।तुम किसी जोकर की तरह कह रहे हो।रोजगार के पहले अयोध्या के बन रहे भव्य मंदिर को याद करो।जब वह बुनियादी अधिकारों की बात करना चाहे ,तो तुम पाकिस्तान से खतरे की बात करते हो।भूखों को राफेल विमान की खूबियों की लोरी सुनाते हो।ताकि जागने वाले भी सो जांए।
इस पर भी मेरे सच्चे चौकीदार तुम्हारी पोल खोलें,तो आराम से तुम्हारी मंडली उन्हें देशद्रोही बताती है
लेकिन ये हथियार भी भोथरा हो रहा है। जिन गरीबों को झांसा देकर मोहित किया था वो भी तुम्हारा रावणी चेहरा पहचानने लगे हैं। यूपी में रामराज है।वहां तमाम निर्भयाएं चीत्कार करके दम तोड़ रही हैं।हाथरस जो कहकहे के लिए मशहूर काका हाथरसी का शहर था।अब रावणी अत्याचार के लिए चर्चा में है।यहां शासन प्रशासन ने भी दलित बिटिया की लाश के साथ आदिम बर्बरता कर डाली।वो भी सुशासन के नाम पर।पूरा देश देख रहा है।बिका हुआ रीढ़हीन मीडिया गुमराह करने में जुटा रहा।मारे शर्म के उसे अर्ध सत्य तो दिखाना ही पड़ा।जिसे तुम पप्पू कहते थे वही नायक बन रहा है।वो तुम्हारी बंदर घुड़कियों से डरा नहीं।सड़क पर निकल कर जूझा।तुम्हारा अंहकार ऐसा ही रहा तो सच्चाई वाला कोई पप्पू ही तुम्हें पस्त कर देगा।सुनों! रावण!आज तुम्हें ये समझाइश अच्छी नहीं लगेगी।किसी रावणी को अच्छी नहीं लगती।फिर भी कहीं राम जी से कुछ भी लगाव हो,तो सुधरो।अभी देर नहीं हुई।
यूपी में क्या हो रहा है?
हाथरस के बाद बलराम पुर में दलित छात्रा के साथ गैंग रेप।बर्बर हत्या।आजमगढ़ और बुलंदशहर में भी बेटियां के साथ जघन्यता।उसके बाद भी अपनी शाबाशी की बेशर्मी।कहां से लाते हो इतनी फरेबी ऊर्जा!मेरे जैसे सामान्य हिंदू भी भगवान राम में आस्था रखते हैं।तुम ही राम के ठेकेदार नहीं हो।राम के नाम पर सियासत का कोठा चलाते हो।तुम्हें शर्म नहीं आती।लेकिन मुझे अफसोस है कि तुम्हारी कारीगीरी का शिकार भगवान भी हो गये।कब तक रामराज को सपना दिखाकर बेटियों की चीत्कार सुनवाओगे!मैं बहुत आहत हूं,हाथरस की रावणलीला से।इसीलिये बहुत बड़ी कुर्सी वालों को आप नहीं, तुम कह रहा हूं।ये तुम, अपनापे वाला नहीं है रावण!ये बस ,एक खुद्दार नागरिक की चीत्कार है । मेरा गुस्सा अकेले का नहीं हैं।गुस्सा एक पर ही नहीं है।पूरे सड़े सिस्टम के खिलाफ है एक अपील।खासतौर पर उनसे ज्यादा रंज है ,जो धर्म के नाम जहर बेचने की सियासत कर रहे हैं।यही इंसानियत के दुश्मन हैं।यही लोकतंत्र के रावण हैं।ये कोरोना से बड़ी महामारी है। जय लोकतंत्र!