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कोरोना काल में कानून बन सकते हैं तो रद्द क्यों नहीं हो सकते : राकेश टिकैत

Shiv Kumar Mishra
26 May 2021 10:15 PM IST
कोरोना काल में कानून बन सकते हैं तो रद्द क्यों नहीं हो सकते : राकेश टिकैत
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नई दिल्ली: संयुक्त मोर्चा की ओर से मनाए गए काला दिवस और बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन (Farmers Protest) की अगुवाई कर रहे भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कहा कि हमारे लिए इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि हमें बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर काला दिवस मनाना पड़ रहा है, हालांकि यह मात्र तिथि का संयोग है. भारत बुद्ध का देश है और हम बुद्ध के अनुयायी. टिकैत ने कहा कि किसान अपने आंदोलन को शांति पूर्वक चलाएंगे.

राकेश टिकैत ने कहा कि आंदोलनकारी किसानों को हमेशा यह बात याद रहे, इसके लिए आंदोलन स्थल पर एक सफेद ध्वज स्थापित किया जाएगा. मंच से किसानों को संबोधित करते हुए भाकियू नेता टिकैत ने कहा कि आंदोलन लंबा चलेगा. कोरोना काल में कानून बन सकते हैं तो रद्द क्यों नहीं हो सकते. सरकार आंदोलन को कुचलने का प्रयास करती रही है और आगे भी करेगी लेकिन किसान दिल्ली की सीमाओं को छोड़ने वाला नहीं है. किसान एक ही शर्त पर लौट सकता है, तीनों नए कानून रद्द कर दो और एमएसपी के लिए कानून बना दो.

राकेश टिकैत ने कहा कि आंदोलन का हश्र क्या होगा, नहीं पता लेकिन इतना पता है, आंदोलन असफल हुआ तो सरकार मनमर्जी करेगी. आंदोलन सफल रहा तो किसानों की आने वाली पीढ़ियों को इसका लाभ मिलेगा. सरकार पर हमला बोलते हुए टिकैत ने कहा कि कोरोना काल में सरकार ने क्या किया, समझ नहीं आया. ऑक्सीजन मांगने वाले को लाठी मिली. समझ में नहीं आया कि सरकार देना क्या चाहती थी. आखिर क्यों 400 रुपये का इंजेक्शन 40 हजार रुपये में मिला. बीमारी के नाम पर देश को लूटने का प्रयास किया गया.

आंदोलन के छह माह पूरे होने के अवसर पर टिकैत ने एक बार फिर मंच से दोहराया कि रोटी तिजोरी की वस्तु न बने, इसलिए किसान छह माह से सड़कों पर पड़ा है. भूख का व्यापार हम नहीं करने देंगे और आंदोलन की वजह भी यही है लेकिन किसान शांति के साथ आंदोलन चलाते रहेंगे और एक दिन सरकार को झुकने पर मजबूर कर देंगे. बस किसानों को संयम से काम लेना है. जब तक भी करना पड़े, आंदोलन के लिए तैयार रहना है. इस आंदोलन को भी अपनी फसल की तरह सींचना है, समय लगेगा. बिना हिंसा का सहारा लिए लड़ते रहना है.

राकेश टिकैत ने किसानों का आह्वान करते हुए कहा कि गांवों में बैठे लोग नहीं आएंगे तो आंदोलन कैसे चलेगा. आंदोलन की रखवाली खेत की तरह करनी पड़ेगी, फसल की तरह करनी पड़ेगी. आए दिन आंधी-तूफान आते हैं और आंदोलनकारियों के टेंट उखड़ जाते हैं. यहां ट्रालियां और बांस के अलावा चारपाई व अन्य सामान चाहिए. चिंता की कोई बात नहीं है. सब गांव से आएगा. आंदोलन लंबा चलाना है तो सामान को संभाल कर रखो. शांति से वार्ता व आंदोलन दोनों जारी रहेंगे. आंदोलन स्थल पर पानी, बिजली नहीं कटने देंगे. प्रशासन तंग करेगा तो किसान अपने क्षेत्र में इलाज करेंगे. काला दिवस के मौके पर किसानों ने बॉर्डर पर मोदी सरकार का पुतला फूंका, हालांकि इस दौरान पुलिस ने पुतला छीनने का प्रयास किया और एक किसान का पैर भी मामूली सा झुलस गया.

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