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Jammu & Kashmir : मेजर चित्रेश सिंह की होनी थी सात मार्च को शादी, जब मिली होने वाली दुल्हन को खबर तो
पाकिस्तान की नापाक हरकत से देश ने एक और लाल खो दिया है. शनिवार को LOC पर राजौरी जिले के नौशेरा सेक्टर में IED को डिफ्यूज करते समय एक धमाका हुआ. इस धमाके में सेना के मेजर चित्रेश सिंह बिष्ट शहीद हो गए. 31 साल के चित्रेश अगले महीने मार्च में शादी के बंधन में बंधन वाले थे. वह देहरादून के रहने वाले थे और उनके पिता उत्तराखंड पुलिस में इंस्पेक्टर थे. मेजर चित्रेश के अलावा एक और जवान शहीद हो गया था. उसे एयरलिफ्ट करके इलाज के लिए उधमपुर कमान अस्पताल भेजा गया है.
सेना के सूत्रों के मुताबिक, नौशेरा सेक्टर के लाम झंगड़ इलाके के सरैया क्षेत्र में लगाई गई IED की सूचना मिली. इसके बाद इसे डिफ्यूज किया जा रहा था. तीन IED को सफलतापूर्वक डिफ्यूज कर लिया गया था, लेकिन चौथे IED को डिफ्यूज करते समय ब्लास्ट हो गया. इस दौरान इंजीनियरिंग विभाग के मेजर चित्रेश बिष्ट शहीद हो गए. वह 21जीआर में तैनात थे. इससे पहले 15 अगस्त को चित्रेश ने 15-18 IED को खुद डिफ्यूज किया, जो उनकी कंपनी के बेस कैंप में लगाए गए थे.
बताया जा रहा है कि चित्रेश भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून से वर्ष 2010 में पासआउट हुए थे. चित्रेश के पिता एसएस बिष्ट, उत्तराखंड के रानीखेत के पीपली गांव के रहने वाले हैं. चित्रेश की सात मार्च को शादी होने वाली थी. इसके लिए शादी के निमंत्रण पत्र भी बंट चुके थे. शनिवार को चित्रेश के पिता शादी का कार्ड बांटकर घर लौटे थे, तभी उनको बेटे की शहादत की खबर मिली. अब माना जा रहा है कि शहीद चित्रेश का पार्थिव शरीर रविवार को देहरादून पहुंचेगा. फिलहाल, घर में मातम का माहौल है. परिवारवालों का रो-रोकर बुरा हाल है.
पिता एसएस बिष्ट ने बताया कि चित्रेश तीन फरवरी को ही छुट्टी से ड्यूटी पर गए थे. इससे पहले वह मध्यप्रदेश के महू में ट्रेनिंग करने गए थे. 28 फरवरी को चित्रेश को शादी के लिए छुट्टी लेकर घर आना था. उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि मैं चित्रेश के बलिदान को नमन करते हुए उनके परिजनों के प्रति सांत्वना व्यक्त करता हूं. साथ ही भरोसा दिलाता हूं कि दुख की इस घड़ी में पूरा देश उनके साथ खड़ा है.
इससे पहले जम्मू और कश्मीर के ही पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती हमला किया गया. इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे. शनिवार को शहीद जवानों का शव उनके घर पहुंचा. शहीदों को अंतिम विदाई दी गई.