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कोरोना की मार से धीरे-धीरे 'वुहान' बन रहे हैं दुनिया के कई शहर
वुहान का नाम तो याद होगा आपको. चीन का वही शहर जहां से निकल कर कोरोना ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है. अब ठीक उसी कोरोना की तरह दुनिया के कई शहर भी धीरे-धीरे वुहान बनते जा रहे हैं. फिर चाहे वो इटली का शहर लोम्बार्डी हो, स्पेन की राजधानी मेड्रिड, लंदन या फिर न्यूयार्क. ये वो शहर हैं, जहां कोरोना ने सबसे ज्यादा लाशे बिछाई हैं. पर खतरे की ये बात ये है कि बस यही अकेले चंद ऐसे शहर नहीं हैं. बल्कि कोरोना की वजह से लगातार चीन के बाद दुनिया के अलग अलग हिस्सों में नए-नए वुहान शहर पैदा हो रहे हैं.
कोरोना के आंकड़े बता रहे हैं कि दुनिया की सांसें अटकी हैं. और हालात बता रहे हैं कि हर देश कोरोना के कहर की कहानियां सुन-सुनकर दहला हुआ है. ऐसे में सवाल ये उठ रहे हैं कि दुनिया अगले कुछ महीनों में किस करवट बैठेगी. और अगर इस महामारी का इलाज नहीं मिला तो दुनिया का हुलिया अगले दो चार महीने बाद क्या होगा. क्योंकि बात अब हाथ से निकल चुकी है. दवा बन भी गई तो वो उतने लोगों तक नहीं पहुंच पाएगी. जितने नए मामले रोज़ाना की तादाद से बढ़ रहे हैं. और मौजूदा आकड़े बताते हैं कि 10 मार्च के बाद से हर रोज़ औसतन 1 हज़ार लोग कोरोना की चपेट में आकर अपनी जान गंवा रहे हैं.
अकेले इटली के लोम्बार्डी शहर का आलम ये है कि 10 मार्च के बाद से यहां औसतन साढ़े 400 लोग रोज़ाना कोरोना की मौत मर रहे हैं. और इसलिए अब इस शहर को कोरोना का नया एपिसेंटर मान लिया गया है. यानी दुनिया का दूसरा वुहान. कोरोना से हुई मौत के मामले में लोम्बार्डी ने चीन के वुहान को भी पीछे छोड़ दिया है. चीन के हुबई प्रांत में करीब 2500 से ज़्यादा मौतें अकेले वुहान शहर में हुई हैं. वहीं लोम्बार्डी में अब तक करीब 3500 लोगों की जान जा चुकी है. और ये तादाद हर गुज़रते दिन के साथ बढ़ती जा रही है. अब तक दुनिया के किसी भी शहर में सबसे ज्यादा मौतें यहीं हो रही हैं. यहां हर तीसरे दिन मौत की संख्या दोगुना रफ्तार से बढ़ रही है.
चीन ने तो जैसे तैसे वुहान में कोरोना पर काबू पा लिया. लेकिन इटली के इस वुहान का तो हाल बहुत ही बुरा हैं. कोरोना ने लोम्बार्डी में इटली सरकार को बेबस कर दिया है. आलम ये है कि यहां लाशों को अब दफनाने की जगह भी नहीं बची है. दुनिया भर में अपने पांव पसार चुके कोरोना से पार पाने में अब उन देशों तक को रोना आ गया है, जिन्हें अपने हेल्थ सिस्टम पर बड़ा गुरूर हुआ करता. इटली के बाद बदकिस्मती से स्पेन भी उसी तबाही के रास्ते पर है. स्पेन में कोरोना से अब तक करीब 4 हज़ार लोगों की जान जा चुकी है. 50 हजार से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं.
अकेले मैड्रिड में कोरोना के अब तक करीब 15 हज़ार केस सामने आ चुके हैं. और इससे मरने वालों की तादाद भी यहां करीब 2 हज़ार तक पहुंच गई है. यानी स्पेन की कुल मौतों में तकरीबन आधी मौतें राजधानी मैड्रिड में हुई हैं. यानी ये दुनिया का तीसरा वुहान बन चुका है. लोम्बार्डी और मैड्रिड के बाद ब्रिटेन की राजधानी लंदन भी अब कोरोना का बड़ा सेंटर है. यहां भी कोरोना से मौत का आंकड़ा काफी तेजी से बढ़ रहा है. हर दूसरे दिन इस शहर में मौत की तादाद दोगुनी रफ्तार से बढ़ रही है. जो ब्रिटेन के बाकी हिस्सों के मुकाबले बहुत ज़्यादा है.
कोरोना से अब तक ब्रिटेन में मरने वालों की तादाद 500 के करीब पहुंच चुकी है. जबकि कोरोना वायरस के करीब 10 हज़ार कंफर्म केसेज़ सामने आ चुके हैं. इनमें से लगभग 200 मौत और ढाई हज़ार मामले अकेले लंदन के हैं. ब्रिटेन में पिछले एक हफ्ते में मौतों का ये आंकड़ा छह गुना बढ़ हैं. अगर आपको लगता है कि यूरोप ही कोरोना के कहर से दो चार है तो ज़रा सुपर पॉवर अमेरिका का हाल भी सुन लीजिए.
अमेरिका में अब तक करीब 70,000 मामले सामने आ चुके हैं. यहां मरने वालों का आंकड़ा 1100 के करीब है. जो हर घंटे के हिसाब से बढ़ रहा है. अकेले न्यूयॉर्क सिटी में कोरोना के करीब 16 हज़ार मामले सामने आ चुके हैं और मरने वालों की तादाद 200 के करीब पहुंच चुकी है. ये आंकड़े तब हैं, जब अमेरिका कोरोना की थर्ड स्टेज पर अभी पहुंचा भी नहीं है यानी इटली और स्पेन के बाद अमेरिका कोरोना का बड़ा शिकार बनने वाला है.
वुहान के बाद अब दुनिया में एक नहीं दर्जनों वुहान बन चुके हैं. इटली कोरोना से बर्बादी की कगार पर है. स्पेन के कई शहरों में हालात बिगड़ रहे हैं. और अमेरिका तक को इस महामारी से निपटने का कोई रास्ता सूझ नहीं रहा है. मतलब अब दुनिया के ऐसे ऐसे देश कोरोना को लेकर जूझ रहे हैं. जिनके हेल्थ सिस्टम को बेहतरीन माना जाता है.
तो सोचिए मेडिकल सुविधाओं के मामले में हम कहां ठहरते हैं. यहां के सरकारी अस्पतालों की स्थिति तो किसी से छुपी नहीं हैं. हमारे यहां आलम ये है कि यहां अस्पतालों में हर 1 हज़ार मरीज पर एक बेड भी मय्यसर नहीं हैं. जबकि इटली में इतनी बेहतरीन मेडिकल सुविधाएं और कम आबादी होने के बावजूद वहां हर एक हज़ार मरीज के लिए करीब 4 बेड हैं. लिहाज़ा बस एहतियात बरतिये और दुआ मांगिए कि ऐसे हालात हिंदुस्तान में पैदा ना हों.