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दो बच्चों के प्रयास से राजधानी में प्रदूषण कम करने के लिए उठाए गए कई कदम
दिल्ली के दो किशोर भाइयों के प्रयास से देश की राजधानी में प्रदूषण का मुद्दा गरमा गया है। सरकार से लेकर नगर निगम और अदालत तक इस मुद्दे पर सक्रिय हो गई हैं औऱ कई कदम उठाकर गैस चैंबर बनी दिल्ली को सांस लेने लायक बनाने का प्रयास कर रही हैं। 17 वर्षीय विहान और 14 वर्षीय नव अग्रवाल को वायु प्रदूषण के खिलाफ सराहनीय प्रयासों के लिए हाल ही में इस वर्ष का प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार दिया गया है। दोनों भाइयों को बाल शांति पुरस्कार से सम्मानित किए जाने के बाद राजधानी में बढ़ते प्रदूषण पर अंतरराष्ट्रीय जगत में चर्चा होने लगी। इसका असर यह हुआ कि दिल्ली सरकार फौरन हरकत में आई और उसने महानगर को प्रदूषण मुक्त करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपायों की घोषणा की।
इस सिलसिले में दिल्ली सरकार ने कई कदम उठाते हुए राज्य में सभी निर्माण कार्य और परियोजनाओं को कुछ दिनों के लिए रोक दिया। साथ ही आवश्यक वाहनों को छोड़कर शेष सभी वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध सहित सभी शैक्षणिक संस्थानों को भी कुछ समय के लिए बंद कर दिया। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में बिगड़ती वायु प्रदूषण की स्थिति की जांच और ठोस उपाय करने के लिए 24 घंटे का अल्टीमैटम जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों के स्कूलों को फिर से खोलने और प्रदूषण से उनकी बिगड़ती हालत के लिए दिल्ली सरकार की जमकर खिंचाई भी की। नगर निगम ने भी राजधानी के वायू प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए नए कदम उठाए।
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता श्री कैलाश सत्यार्थी ने दोनों भाइयों के वायु प्रदूषण को दूर करने के प्रयासों की सराहना की और कहा कि दुनियाभर में बच्चों के प्रयासों से बदलाव आ रहा है। उन्होंने ही पिछले महीने द हेग में नव और विहान को बाल शांति पुरस्कार प्रदान किया था। श्री सत्यार्थी कहते हैं, "बच्चों ने हमेशा दुनिया को रास्ता दिखाया है। वास्तव में दुनियाभर में बच्चों के साहस और बहादुरी का सबसे जरूरी वैश्विक मुद्दों से निपटने पर बहुत प्रभाव पड़ता है। मुझे खुशी है कि विहान और नव जैसे किशोरों ने प्रदूषण का मुद्दा उठाया है, जिसे सरकार और एंजेंसिया संज्ञान में ले रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्देश इस बात के प्रमाण हैं कि प्रदूषण की समस्या को गंभीरता से लेने की जरूरत है।''
अंतरराष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार प्रदान करने वाली संस्था किड्स राइट्स फाउंडेशन के संस्थापक और अध्यक्ष मार्क डुलार्ट भी मानते हैं कि हाल के वर्षों में अंतरराष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार का प्रभाव बढ़ा है और इसे प्राप्त करने वाले बच्चे अपने कार्यों से समाज पर प्रभाव छोड़ रहे हैं। वे कहते हैं-"हमने यह पुरस्कार इस विश्वास के साथ देना शुरू किया कि बच्चे भी दुनिया बदल सकते हैं। पुरस्कृत बच्चों के अलावा अन्य नामांकित बच्चों का प्रयास भी यह दिखाता है कि उनके कार्यों का व्यापक प्रभाव पड़ रहा है।" बच्चों के प्रयासों पर नीति निर्माताओं का ध्यान आकर्षित करते हुए मार्क डुलाट कहते हैं, "मैं आशा करता हूं कि अधिक से अधिक नीति निर्माता इन चेंजमेकर बच्चों पर ध्यान देंगे। दुनियाभर में बच्चों के अधिकारों की गारंटी के लिए अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है। उदाहरण के लिए जलवायु परिवर्तन को ही लीजिए, जो एक अरब बच्चों के जीवन को प्रभावित करने के लिए तैयार है।''
उल्लेखनीय है कि 2020 में दिल्ली लगातार तीसरे वर्ष दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी थी। दमा के साथ बड़े हुए विहान दिल्ली शहर की खराब वायु गुणवत्ता के कारण अक्सर बीमार हो जाते थे और यही वजह थी कि दोनों भाई अकसर ही बाहर खेलने में असमर्थ रहते थे। विहान का अस्थमा से पीडि़त होना दोनों भाइयों के लिए कोई बाधा नहीं बना और उसने उनको कुछ नया करने की प्रेरणा दी। दिल्ली के गाजीपुर लैंडफिल ढहने, कचरे और वायु प्रदूषण के बीच की कड़ी को समझने की प्रक्रिया ने दोनों भाइयों को वन स्टेप ग्रीनर बनाने के लिए प्रेरित किया।
यह एक ऐसी पहल थी जिसमें कचरे को अलग करना और कचरा पिकअप ड्राइव आयोजित करना शामिल था। सिर्फ 15 घरों से, वन स्टेप ग्रीनर अब 1,000 से अधिक घरों, स्कूलों और कार्यालयों से कचरा इकट्ठा करने वाला एक शहरव्यापी अभियान बन गया और इसने 1,73,630 किलोग्राम कचरे का पुनर्नवीनीकरण किया है। दोनों भाइयों द्वारा बनाई गई शिक्षण सामग्री का उपयोग दिल्ली के 100 से अधिक स्कूलों में किया जाता है और उन्होंने 45,000 से अधिक लोगों को कचरे के विषय पर जानकारियां दी हैं। वन स्टेप ग्रीनर में अब पांच कर्मचारी और 11 समर्पित युवा वालंटियर हैं जो 'कचरा मुक्त भारत' के लक्ष्य की दिशा में काम कर रहे हैं। किशोर भाइयों की यह जोड़ी इस प्रकार दुनिया में बदलाव लाने वाले बच्चों की प्रभावशाली कारवां में शामिल हो गई है।