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आज 27 जुलाई को पूर्व राष्ट्रपति मिसाइल मैन एपीजे अबुल कलाम की सातवीं पुण्यतिथि है, इस बहाने देश एपीजे अबुल कलाम को याद कर रहा है। देश याद कर रहा है डाक्टर एपीजे अब्दुल कलाम होने का मतलब क्या है। डाक्टर एपीजे अबुल कलाम को बतौर वैज्ञानिक याद किया जाए या उनके राष्ट्रपति के रूप में अविस्मरणीय कार्यकाल को याद किया जाए। बतौर वैज्ञानिक या राष्ट्रपति डाक्टर अब्दुल कलाम के दोनों जीवन एक दूसरे पर भारी नजर आते हैं।
एक बार डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम से एक छात्र ने सवाल किया के कामयाबी हासिल करने का सबसे बड़ा राज क्या है? इस पर उन्होंने जवाब दिया कि कामयाबी हासिल करने के लिए चार बातें बहुत अहम हैं, जो भी इंसान चार चीजों को अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लेता है बड़ी से बड़ी कामयाबी उसके कदमों में आ गिरती है। कामयाबी के लिए सबसे बड़ी चीज है कि एक बड़े लक्ष्य को सामने रखा जाए और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए जितना संभव हो ज्ञान अर्जित किया जाए। ज्ञान प्राप्ति के बाद इस लक्ष्य को पाने के लिए सख्त से सख्त मेहनत की जाए और आखिरी बात यह है कि लक्ष्य के प्राप्त होने तक आदमी पीछे मुड़कर न देखे और पराजित होने का कोई भी ख्याल अपने दिमाग से निकाल दे। वह कहते थे कि जिंदगी ऐसे जियो कि मरने के बाद भी दुनिया आपको हमेशा याद रखे। डाक्टर एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन स्वयं भी इसी संघर्ष का साक्षी रहा है।
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के शहर रामेश्वरम में एक गरीब घर में पैदा हुए थे। स्कूल के जमाने में एक बार डॉक्टर अब्दुल कलाम अपनी क्लास की पहली पंक्ति में किसी धनी छात्र के साथ बैठ गए, इस पर मास्टर ने कहा कि एक गरीब कैसे पहली पंक्ति में बैठ सकता है और मास्टर ने थप्पड़ मारकर पीछे वाली पंक्ति में बिठा दिया। अपनी ऑटोबायोग्राफी में डाक्टर अब्दुल कलाम लिखते हैं कि पीछे बैठने वाला छात्र भी दुनिया को बदल सकता है। डाक्टर अब्दुल कलाम का परिवार एक तो गरीब था ऊपर से उनके भाई बहन भी कई थे। इसलिए बचपन में डॉक्टर अब्दुल कलाम अखबार बेचकर अपना खर्च पूरा करते थे। डाक्टर अब्दुल कलाम को बचपन से ही पढ़ाई का बहुत शौक थर। रात के वक्त मिट्टी के तेल से चलने वाले लालटेन में पढ़कर डॉक्टर अब्दुल कलाम ने तमाम ऊंचाईयों को छुआ। अपनी ऑटो बायोग्राफी में डाक्टर अब्दुल कलाम कहते हैं कि अगर कोई इंसान सूरज की तरह चमकना चाहता हो तो उसे इससे पहले सूरज की तरह जलना होगा।
डाक्टर अब्दुल कलाम का जीवन संघर्ष और कुछ कर गुजरने का जजबा ही इतना था कि अपनी शादी ही करना भूल गए। कई बार शादी की तारीखें तय की गई लेकिन शादी में नहीं पहुंचे। बचपन से ही डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम को आसमान की बुलंदियों पर उड़ने का शौक था इसलिए उन्होंने एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग को ही पसंद किया। डाक्टर अब्दुल कलाम को काम का जुनून इतना था कि हर रोज 20 घंटे काम करते थे और इसरो निदेशक के रूप् में 10 सालों के कार्यकाल में सिर्फ 2 दिन छुट्टी पर रहे, एक बार बाप की मृत्यु पर दूसरी मां के निधन पर। इसी कर्मनिष्ठा से डाक्टर अब्दुल कलाम ने देश को परमाणु शक्ति बनाने में सफल रहे। मिसाइल मैन का लकब हासिल करने वाले अब्दुल कलाम को भारत का राष्ट्रपति बनने का गौरव भी हासिल हुआ। बतौर राष्ट्रपति उनके कार्यकाल को भी उनके कुछ फैसलों के लिए याद रखा जाता है। भारतीय राष्ट्रपति के रबर स्टैंप वाली छवि को भी अब्दुल कलाम बदलने में कामयाब रहे थे। लेकिन उनके कुछ फैसलों को लेकर तारीफ भी हुई लेकिन आलोचनाएं भी उन्हें झेलनी पड़ी। डाक्टर एपीजे अब्दुल कलाम को छात्रों के बीच रहना, उन्हें समझाना बहुत पसंद था और अपने पसंदीदा काम को अंजाम देते हुए ही उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा।