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मोदी सरकार का किसानों को बडा झटका, यूरिया की बोरी में मिलेगा 40 किलो यूरिया और देनी पड़ेगी इतनी कीमत
भारत सरकार ने अभी अभी ऐलान कर दिया कि किसानों को यूरिया की बोरी अब चालीस किलोग्राम वजन की उसी कीमत में मिलेगी । बता दें कि पहले यूरिया की बोरी में 50 किलोग्राम यूरिया मिलता था जो अब घटते घटते 40 किलोग्राम वजन पर आ गया है।
केंद्र सरकार ने यूरिया के कट्टे का वजन एक बार फिर घटा दिया है। Rs 266.50 में यूरिया का 45 Kg का कट्टा मिलता था। अब Rs 266.50 में यूरिया का किलो का 40 Kg कट्टा मिलेगा। दाम वही लेकिन यूरिया की मात्रा घटा दी गई। किसानों की आमदनी दोगुनी करने की मुहीम में मोदी सरकार का एक और कदम बढ़ गया है।
इससे पहले केंद्र में मौजूद मनमोहन सरकार के समय यूरिया 50 किलोग्राम वजनी खाद की बोरी में मिलता था। इस तरह की बात करने से भारत का किसान सरकार से नाराज जरूर होगा।
रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने सभी उर्वरक कंपनियों के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीएमडी को पत्र भेजकर बताया है कि आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने सल्फर कोटेड यूरिया की शुरुआत के लिए जो मंजूरी दी थी उस पर आगे बढ़ते हुए सल्फर कोटेड यूरिया के 40 किलो के बैक में शुरूआत को संबंधित अथारिटी से मंजूरी मिल गई है।
सल्फर कोटेड यूरिया के 40 किलोग्राम के बैग का अधिकतम खुदरा मूल्य (जीएसटी समेत) नीम कोटेड यूरिया के 45 किलोग्राम बैग के बराबर 266.50 रुपये रहेगा। सल्फर कोटेड यूरिया के बैग की कीमत तो नीम कोटेड यूरिया के बराबर ही होगी, लेकिन इसमें 5 किलो यूरिया कम होगा। यानी सल्फर कोटेड यूरिया मीम कोटेट यूरिया से करीब 12.50 फीसदी महंगा पड़ेगा। पत्र में कहा गया है कि मंत्रालय की ओर से इस बारे में जल्द ही अधिसूचना जारी की जाएगी। पिछले साल 28 जून, 2023 को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने "यूरिया गोल्ड" के नाम से बिकने वाले सल्फर कोटेड यूरिया के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
उद्योग जगत के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र की उर्वरक उत्पादक कंपनी नेशनल फर्टिलाइर्स लिमिटेड (एनएफएल) के पास सल्फर कोटेट यूरिया की टेक्नोलॉजी है और उसने इसका उत्पादन भी किया है। पहले उर्वरक उद्योग को सल्फर कोटेड यूरिया के लिए 10 फीसदी अधिक दाम लेने की अनुमति थी। इसके साथ ही आरसीएफ ने भी सल्फर कोटेड यूरिया का उत्पादन शुरू किया था। सरकार के ताजा फैसले के बाद सल्फर कोटेड यूरिया का उत्पादन बढ़ने की संभावना है। इसके चलते किसानों को फसलों की उर्वरक जरूरत के मुताबिक एक और उत्पाद उपलब्ध हो जाएगा।
सल्फर कोटेड यूरिया सल्फर के फोर्टिफिकेशन से तैयार किया जाता है। सामान्य यूरिया में 46 फीसदी नाइट्रोजन (एन) होता है। यूरिया गोल्ड मेंं 37 फीसदी नाइट्रोजन होगा जबकि इसमें 17 फीसदी सल्फर (एस) होगा। इसका फायदा जहां मिट्टी में सल्फर की कमी है वहां लिया जा सकेगा साथ ही दालों और तिलहन फसलों में काफी प्रभावी हो सकता है। भारत दालों और खाद्य तेल दोनों में आयात पर काफी निर्भर है। ऐसे में अगर दाल और तिलहन उत्पादक क्षेत्र में यूरिया गोल्ड को बढ़ावा दिया जाता है तो यह उत्पादन बढ़ाने में मददगार होगा।
इसके साथ ही इसका फायदा नाइट्रोजन यूज एफिशिएंसी (एनयूई) में भी मिलेगा। सल्फर की कोटिंग होने से नाइट्रोजन की रिलीज प्रक्रिया की धीमी हो जाती है। किसानों द्वारा यूरिया उपयोग का फैसला फसल की हरियाली को देखकर लिया जाता है इसमें कमी आने पर वह यूरिया अप्लाई करते हैं। अगर फसल अधिक समय तक हरी रहेगी तो यह स्थिति किसानों की यूरिया उपयोग के फैसले को प्रभावित करेगी और उसका नतीजा गेहूं और धान में यूरिया की कम खपत के रूप में आ सकता है।