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मोदी सरकार के जल शक्ति मंत्री ने राज्यसभा में जल संकट को लेकर दिया बयान
नई दिल्ली। जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आज यानि 15 जुलाई को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान जल संकट को लेकर बड़ा बयान दिया। जल संकट से निपटने के लिए वर्षा जल संरक्षण करना बहुत जरुरी हो गया। और कहा कि प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता 2001 में 1,816 घन मीटर थी जो 2011 में घट कर 1,544 घन मीटर रह गई। जनता दल यू की कहकशां प्रवीण ने पूछा था कि क्या सरकार सांसदों को आवंटित घरों में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति कर वहां लगे आरओ को हटाने की योजना बना रही है। उनका कहना था कि आरओ के कारण कई गुना अधिक पानी बर्बाद हो रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को इसकी शुरुआत सांसदों के आवास से ही करनी चाहिए।
विपक्ष के सवालों के जवाब में शेखावत ने कहा ''जल संरक्षण हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है। जागरूकता के माध्यम से जल संरक्षण को जन आंदोलन में बदलने की जरूरत है। कई देशों में नाले नालियों के पानी को पेय जल बनाने के लिए पुन:चक्रित (रीसाइकिल) किया जा रहा है लेकिन भारत में ऐसी कोई जरूरत फिलहाल नहीं है।पानी राज्य का विषय है और जलापूर्ति की योजना, निधि की व्यवस्था, कार्यान्वयन एवं रखरखाव मुख्यत: राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। ''
उन्होंने बताया कि नीति आयोग के दस्तावेज ''नए भारत की रणनीति'' के अनुसार, बढ़ती आबादी की वजह से देश में प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता 2011 में घट कर 1,544 घन मीटर रह गई जो कि 2001 में 1,816 घन मीटर थी। उन्होंने कहा कि जलसंरक्षण पर और पानी की कमी के दौरान प्राथमिकता के आधार पर ग्रामीण क्षेत्रों की पेयजल जरूरत पूरी करने के लिए पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने 20 मई 2019 को राज्यों को परामर्श जारी किया है।
शेखावत ने बताया कि केंद्रीय बजट अभिभाषण, 2019-20 में की गई घोषणा के अनुसार, जल जीवन मिशन के तहत वर्ष 2024 तक सभी ग्रामीण परिवारों को हर घर जल (पाइपयुक्त जलापूर्ति) सुनिश्चित करने की परिकल्पना की गई है। इससे अन्य जरूरतों के साथ साथ बढ़ती हुई मांग का भी समाधान होगा। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी 17वी लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान जल संरक्षण के बारे में बता चुके है। साथ ही लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार 30 जून को मन की बात में जल संकट और जल संरक्षण के बारे में अवगत करा चुके है।