- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध+
Mother's Day 2020: जानें, हर साल क्यों बदलती है इसकी तारीख और क्या है इसके पीछे की कहानी?
क्या आप लोगों को अपने बचपन के वो दिन याद हैं जब आपको चोट लगती थी और दर्द में आपके मुंह से एक दम निकलता था…मां. मां सिर्फ एक शब्द नहीं बल्कि संसार की सबसे ज्यादा बहादुर और शक्तिशाली शख्स ही मां है. उसके इसी त्याग, प्यार और बलिदान को सम्मान देने के लिए 'मदर्स डे' (Mother's Day) मनाया जाता है. जबकि एक दिन वास्तव मां को सम्मान देने के लिए पर्याप्त नहीं है.
मई के दूसरे रविवार में मनाया जाता है मदर्स डे
यह दिन दुनिया भर के कई देशों में हर साल मनाया जाता है. जबकि इसकी तारीख हर साल बदलती है. आमतौर पर हर साल मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है. इस साल यह 10 मई को मनाया जाएगा.
कैसे शुरू हुआ मदर्स डे?
यह माना जाता है कि मदर्स डे का जश्न सबसे पहले अमेरिका (US) में शुरू हुआ था. क्योंकि अन्ना जार्विस (Anna Jarvis) नाम की एक महिला चाहती थी कि इस दिन को मनाया जाए क्योंकि उसकी अपनी मां ने ऐसी इच्छा व्यक्त की थी. जब उनकी मौत हुई, तो जार्विस ने पहल की और उनकी मौत के तीन साल बाद, 1908 में अपनी मां के लिए एक प्राथना सभा रखी.
यह वेस्ट वर्जीनिया के सेंट एंड्रयूज मैथोडिस्ट चर्च में किया गया था. ऐसा कहा जाता है कि अन्ना जार्विस खुद इसमें शामिल नहीं हुई थी, लेकिन उन्होंने वहां मौजूद लोगों के नाम एक टेलीग्राम भेजा, जिसमें इस दिन के महत्व के बारे में बताया गया. जार्विस उन्हें पांच सौ सफेद कार्नेशन फूल भी भेजे. उस समय प्रथम विश्व युद्ध (World War I) चल रहा था और अपनी मां की इच्छा के बाद अन्ना ने घायल सैनिकों के इलाज के लिए एक मदर्स डे क्लब (Mother's Day Club) भी बनाया.
तत्कालीन राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने दी मंजूरी
इसके नौ साल के बाद तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन (Woodrow Wilson) ने आदेश पर हस्ताक्षर किए और हर मई के दूसरे रविवार को देश में मदर्स डे के रूप में मनाने के लिए देश भर में अवकाश घोषित किया.
एक मां की ममता की यूं तो कोई सीमा नहीं होती है, लेकिन कहा जाता कि आप जब बड़े होते हैं, नौकरी करने बाहर जाते हैं, तो सब आपसे आपकी नौकरी और कमाई के बारे में पूछते हैं लेकिन एक मां ही होती है जिसका सबसे पहला सवाल यही होता है कि…बेटा खाना खाया?