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मुसलमानों ने ईद एक दूसरे के सामने बैठकर मनाई, जानिये कैसे सभी पाबंदीयाँ कुछ नहीं बिगाड़ पाई!
यह पहला मौक़ा है जब ईद के दिन ये दस्तूर नहीं निभाया जाएगा। ईद का मतलब होता है जश्न। ख़ुशी इस बात की कि खुद को परहेज़गार बनाने की ट्रेनिंग यानि रमज़ान पूरा हुआ है। इस दिन सबको ख़ुशी में शामिल किया जाता है। सबकी ख़ुशी में शामिल हुआ जाता है। सारे गिले शिकवे भुला दिए जाते हैं। अपने पराए का फर्क़ मिट जाता है। ईद मनाने लोग दूर दराज़ से अपने घर लौटते हैं। ज़्यादातर इस बार नहीं जा पाए।
ऐसा पहली बार हुआ है। ईद पर मैं भी अपने गाँव नहीं जा सका। ईद के मौक़े पर छोटे भाइयों के साथ नहीं हूं। बहन के यहां नहीं जा पाउंगा। सुसराल नहीं जा पाऊंगा। रिश्तेदारों से भी मुलाक़ात नहीं हो पाएगी। क्या करें! लॉकडाअन का पालन भी करना है। ईद भी मनानी है। समाजी फ़ासले का भी ख़्याल रखना है। इस बर ईद कुछ अलग तरह से मनायाहै। इसे अलग तरह से मनाने में लगे हैं।
तब हमने मिलकर ऐसा किया। सब अपने मोबाइल में कोई भी meeting app कर ईद की मौजूदगी जीवित रखी। zoom या फिर google meet ईद मिलन की Meeting रखकर मजे लिए। सभी रिश्तेदारों को आमंत्रित कर बात की । तय समय पर सब एक साथ Meeting join की। सब अपने-अपने घर रहते हुए जुड़ जाएंगे। सच सब साथ होंगें तो दूर होने का अहसास नहीं होगा। इस तरह ईद मनाएं।
सभी दोस्तों और उनके परिवारों को तहे दिल से ईद मुबारक।