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लॉकडाउन में नोबेल शांति विजेता कैलाश सत्यार्थी ने शुरु किया चाइल्‍ड पोर्नोग्राफी के खिलाफ अभियान

Shiv Kumar Mishra
8 April 2020 3:10 AM GMT
लॉकडाउन में नोबेल शांति विजेता कैलाश सत्यार्थी ने शुरु किया चाइल्‍ड पोर्नोग्राफी के खिलाफ अभियान
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इसलिए आइए एक साथ मिलकर हम यह प्रण करें कि हमारे बच्‍चे अपने-अपने घरों में पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे।”

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए सारे ऐहतियाती कदम उठाते हुए पूरे देश में लॉकडाउन (कामबंदी) जारी है। इस अवसर पर नोबेल शांति पुरस्कार से सम्‍मानित कैलाश सत्यार्थी ने रविवार को एक ऑनलाइन अभियान शुरू किया है। अभियान के जरिए लोगों से आह्वान किया गया है कि वे अपने बच्‍चों को घरों में ही सुरक्षित रखें, क्‍योंकि संकट की इस अवधि के दौरान बाल यौन शोषण, डिजिटल चाइल्‍ड पोर्नोग्राफी और ट्रैफिकिंग का खतरा बढ़ जाता है।

अभियान को शुरू करते हुए सत्यार्थी ने लोगों को आगाह करते हुए कहा, "हम अपने घरों में कोविद-19 (Covid-19) लॉकडाउन के दौरान सुरक्षित महसूस कर सकते हैं, लेकिन घरों, आश्रय गृहों और इंटरनेट पर हमारे बच्चों को गंभीर खतरा है। यौन शोषण का खतरा, ऑनलाइन दुर्व्यवहार और ट्रैफिकिंग की आशंका इस समय कहीं ज्‍यादा बढ़ गई है। इसलिए आइए एक साथ मिलकर हम यह प्रण करें कि हमारे बच्‍चे अपने-अपने घरों में पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे।"

कैलाश सत्यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन (केएससीएफ) द्वारा इस अभियान को फिलहाल इसे सोशल मीडिया पर ऑनलाइन चलाया जा रहा है। लेकिन लॉकडाउन हटने पर इसे जमीनी स्तर पर भी चलाया जाएगा। यह एक ऐसा समय है जब बच्‍चों पर वास्तविक और आभासी दुनिया में खतरों के काले बादल ज्‍यादा मंडरा रहे हैं और वे उसके शिकार हो सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि माता-पिता को इस समय न केवल सतर्क रहना चाहिए, बल्कि अपने बच्चों को बुरी निगाहों से बचाने के लिए हमें सभी जरूरी और ऐहतियाती कदम भी उठाने होंगे। खासकर, इंटरनेट पर जहां बच्‍चे यौन शोषण के दुष्‍चक्र में फंस सकते हैं। इसलिए यह अनिवार्य है कि बच्चे घर पर रहें और किसी भी संभावित खतरे से अवगत होते रहें।

केएससीएफ का अभियान हमें यह याद दिलाता है कि बच्‍चों का यौन उत्‍पीड़न करने वालों में 93 प्रतिशत से अधिक लोग उनकी जान-पहचान के ही होते हैं। इस अभियान को डिजिटल क्रिएटिव, वेबनार और संदेशों के माध्यम से ऑनलाइन चलाया जा रहा है। अभियान ऐसे मामलों की रिपोर्टिंग को भी बढ़ावा देता है, जो पीसीआर 100, चाइल्डलाइन नंबर 1098 और बचपन बचाओ आंदोलन के हेल्पलाइन नंबर 1800 102 7222 पर की जा सकती है।

दूसरी ओर महानगरों से हजारों-लाखों प्रवासी मज़दूरों का अपने गांवों की ओर पलायन, उनके साथ जा रहे बच्‍चों को कहीं ज्‍यादा खतरों की ओर ढ़केलने का काम कर गया है। केएससीएफ के इस अभियान का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों की आर्थिक कठिनाई और सुरक्षा की लंबी अवधि के लिए जागरुकता पैदा करना है। इस अभियान के माध्‍यम से सरकारी एजेंसियों और लोगों को संवेदनशील बनाने की भी कोशिश की जाएगी। दूसरी ओर अभियान मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों और इससे उपजी संभावनाओं पर भी ध्‍यान केंद्रित करेगा, ताकि इस मुश्किल क्षण में जब बच्‍चों की ट्रैफिकिंग की आशंका बढ़ जाती है उस पर रोक लगाई जा सके।

इस अभियान को लॉकडाउन हटने के बाद जमीनी स्‍तर पर भी चलाया जाएगा। अभियान के तहत बाल यौन शोषण तथा इससे संबंधित कानूनों और बच्चों को सुरक्षित रखने के बारे में संदेश प्रसारित किए जाएंगे। सत्‍यार्थी आंदोलन लंबे समय से बच्चों को यौन शोषण और दुर्व्‍यापार से सुरक्षा देने की मांग करता रहा है। 2017 में श्री कैलाश सत्‍यार्थी के नेतृत्‍व में जो देशव्‍यापी ''भारत यात्रा'' हुई थी और जिसने जन आंदोलन का रूप अख्तियार किया था, उसका उद्देश्‍य भारत में यौन शोषण को समाप्‍त करना था। कश्मीर से कन्याकुमारी तक की इस 12,000 किलोमीटर की यात्रा में लाखों लोग अधिक लोग शामिल हुए थे।

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