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नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्‍यार्थी ने बाल मजदूरी उन्मूलन के लिए शुरु किया विश्वव्यापी "फेयर शेयर फॉर चिल्ड्रेन" अभियान

Shiv Kumar Mishra
22 Jan 2021 6:42 PM IST
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्‍यार्थी ने बाल मजदूरी उन्मूलन के लिए शुरु किया विश्वव्यापी फेयर शेयर फॉर चिल्ड्रेन अभियान
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नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता श्री कैलाश सत्‍यार्थी ने वैश्विक नेताओं और अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के साथ मिलकर बाल मजदूरी को समाप्‍त करने के अंतरराष्ट्रीय वर्ष में "फेयर शेयर फॉर चिल्‍ड्रेन" नामक अभियान की शुरुआत की है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा सतत विकास लक्ष्य के तहत सन 2025 तक दुनिया से बाल श्रम खात्में का लक्ष्य रखा गया है। जिसके तहत साल 2021 को बाल श्रम उन्मूलन के अंतरराष्ट्रीय वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इस अवसर पर पूरी दुनिया से 2025 तक बाल श्रम को समाप्‍त करने और सतत विकास लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने हेतु संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, नोबेल पुरस्कार विजेताओं, कॉरपोरेट नेताओं, धर्मगुरुओं, अंतरराष्ट्रीय यूनियनों और युवा नेताओं को लामबंद करने का प्रयास किया जा जरा है।

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी के नेतृत्व में यह अभियान यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा कि बाल श्रम उन्मूलन के इस अंतरराष्ट्रीय वर्ष में प्रतेक मंच पर चर्चा की जाए और बाल श्रम को समाप्‍त करने हेतु हरेक मंच से विचार-विमर्श करते हुए तत्काल ठोस कार्रवाई की मांग की जाए। "फेयर शेयर फॉर चिल्ड्रेन" अभियान का मकसद बच्चों की आबादी के अनुपात के अनुसार बजट और संसाधनों आदि में उनकी उचित हिस्सेदारी सुनिश्चित कराना है। अभियान को अपना समर्थन देने के लिए इकट्ठा हुए वैश्विक नेताओं ने बाल श्रम को समाप्‍त करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करते एक शपथ पत्र पर हस्ताक्षर किया। साथ ही यह संकल्‍प भी व्‍यक्‍त किया कि संसाधनों, कानूनों, नीतियों, योजनाओं और सामाजिक सुरक्षा में बच्‍चों को उनका उचित हिस्सा यानी "फेयर शेयर" मिलना चाहिए। इसके लिए वे हर संभव प्रयास करेंगे। कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन द्वारा आभाषी माध्यम द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के महानिदेशक गाइ राइडर, विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के महानिदेशक डॉ टेड्रोस एडनॉम, ओईसीडी के महासचिव एंजेल गुरिया, इंटर पार्लियामेंटरी यूनियन के महासिचव मार्टिन चुंगॉन्ग, नोबेल शांति पुरस्कार विजेता जोस रामोस-होर्ता, विश्व प्रसिद्ध मानव अधिकार कार्यकर्ता केरी कैनेडी, ग्लोबल स्टूडेंट्स फोरम के कारमेन रोमेरो, ऑल-अफ्रीका स्टूडेंट यूनियन के महासचिव पीटर क्‍वासी, घाना की मुक्‍त बाल मजदूरन सलीमाता टोकर, जीईपी की अध्यक्ष और सह-संस्थापक नेहा शाह, धर्मगुरु स्वामी चिदानंद सरस्वती, प्रसिद्ध भारतीय उद्योगपति राहुल बजाज, आईटीयूसी के महासचिव शरण बुरु, यूएनईसीएसओ के उप-निदेशक गैब्रिएला रामोस सहित सविलि सोसायटी, यूनियनों, कार्पोरेट जगत और युवा संगठनों के तमाम नेताओं सहित जबरिया बाल मजदूरी और बाल दुर्व्‍यापार से मुक्‍त कराए गए युवा नेता मौजूद थे।

इस अवसर पर वैश्विक नेताओं और युवाओं को संबोधित करते हुए श्री कैलाश सत्‍यार्थी ने कहा, "हम न्यायपूर्ण और समानता की एक नई संस्कृति विकसित करने के लिए बच्‍चों के लिए एक उचित हिस्सेदारी यानी फेयर शेयर की मांग करते हैं। अब हम उस बदलाव की आग को प्रज्‍ज्‍वलित कर रहे हैं जो बुझने वाली नहीं है। यह मानवता के खिलाफ सदियों पुराने बाल श्रम के अपराध को समाप्त कर देगी। हम इस अभियान के लिए अब आगे बढेंगे, ताकि सभी बच्‍चों को उनका हक मिल सके। अब हम बाल श्रम को समाप्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।"


अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के महानिदेशक गाइ राइडर ने बाल श्रम उन्‍मूलन अभियान को आईएलओ की ओर से पूरा समर्थन देने का वादा किया और कहा, "आईएलओ बाल श्रम उन्मूलन अभियान के अंतराष्ट्रीय वर्ष में वैश्विक प्रयासों का एक अभिन्न अंग है। बाल श्रम उन्‍मूलन का यह अंतर्राष्ट्रीय वर्ष हमें "फेयर शेयर अभियान" की प्रतिबद्धता को पूरा करने का मौका देता है। संसाधनों, कानूनों और सामाजिक सुरक्षा में बच्‍चों को उनका उचित हिस्सा दिलाने के दृष्टिकोण को यह अभियान प्राथमिकता देता है। आईएलओ अभियान के शुरुआती समर्थक होने पर प्रसन्‍नता व्‍यक्‍त करता है।"

फेयर शेयर फॉर चिल्ड्रेन अभियान का समर्थन करते हुए विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के महानिदेशक डॉ टेड्रोस ने कहा, "कोविड-19 महामारी से उत्पन्न सामाजिक और आर्थिक संकट का परिणाम यह निकला है कि पहले से ही बेहद गरीबी में जी रहे 386 मिलियन बच्चों में से 66 मिलियन बच्चे अत्यधिक गरीबी में चले गए हैं। हम इसको स्‍वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं और हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इन बच्चों और उनके परिवारों को संसाधनों, कानूनों और सामाजिक सुरक्षा में उनका उचित हिस्‍सा मिलें।" वहीं, बच्चों की सुरक्षा पर जोर देते हुए ओईसीडी के महासचिव एंजेल गुरिया ने सुरक्षित बचपन के लिए पूरा दुनिया को मिल कर काम करने की अपील की। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा, "हर 10 में से 1 बच्चा अभी भी सुरक्षित और संरक्षित बचपन से वंचित है। यह असहनीय है। दुनिया को इस संकट से लड़ते रहने की जरूरत है। हमें बच्चों की सुरक्षा के लिए मजबूत उपायों पर जोर देते रहना।"


इंटर पार्लियामेंटरी यूनियन के महासिचव मार्टिन चुंगॉन्ग ने कहा, "हमें विश्वास है कि बाल श्रम की समाप्ति के लिए हम सभी लोगों और संस्‍थाओं को जोड़ कर इसे समाप्‍त कर सकते हैं। वर्ष 2025 तक बाल श्रम को समाप्‍त करने की समय-सीमा हम सभी को अपने प्रयासों की गति को तेज करने की चुनौती देती है।" एजुकेशन इंटरनेशनल के महासचिव डेविड एडवर्ड्स के अनुसार, "हम यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करते हैं कि प्रत्येक बच्चा स्कूल में हो। उसे गुणवत्‍तापूर्ण शिक्षा हासिल हो और जिंदा रहने के लिए उन्‍हें काम नहीं करना पड़े।"

इस अवसर पर नोबेल शांति पुरस्कार विजेता जोस रामोस-होर्ता ने कहा, "पिछले 20 वर्षों में दुनिया की वार्षिक संपत्ति में 30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि हुई है, फिर भी 10 में से 1 बच्चा आज भी जीने के अधिकारों से वंचित है। वे इतने गरीब हैं कि जिंदा रहने के लिए खेतों, कारखानों, खानों और घरों में काम करने को मजबूर हैं। यह तब नहीं होगा जब संसाधन, नीतियों और सामाजिक सुरक्षा में उनका उचित हिस्‍सा होगा।" विश्व प्रसिद्ध मानव अधिकार कार्यकर्ता केरी कैनेडी ने कहा, "हम बगैर आर्थिक न्‍याय के हर बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकते। आज दुनिया की 100 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से 75 बहुराष्ट्रीय निगम हैं। उनकी जिम्‍मेदारी है कि वे उस सप्‍लाई चेन को खत्‍म करें जो बच्‍चों का शोषण करने का काम करते हैं।"


परमार्थ निकेतन के संस्थापक धर्मगुरु स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा, "यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम हर जाति, रंग, पंथ, धर्म के बच्चों को सुरक्षित और उनका संरक्षण करें। हम सभी बच्‍चों को अपना मानें और 2021 में अधिक से अधिक बच्चों के लिए काम करें, ताकि वे किसी भी तरह की गुलामी या उत्‍पीड़न का शिकार नहीं होने पाएं।" ग्लोबल स्टूडेंट्स फोरम के कारमेन रोमेरो ने कहा, "अगर हम एक बेहतर दुनिया चाहते हैं, तो हमें बच्चों के अधिकारों के लिए और मुखर होने की जरूरत है। हम चैरिटी की मांग नहीं करते हैं, हम न्याय की मांग करते हैं। फेयर शेयर अभियान इसी प्रक्रिया का एक हिस्‍सा है।" घाना की मुक्‍त बाल मजदूरन सलीमाता टोकर ने अपनी पीड़ा और दर्द बयां करते हुए कहा, "जब मैं बच्‍ची थी, तो मछली बेचने का काम करती थी। बाल श्रम से जब मुझे मुक्‍त कराया गया तब मैंने आजादी महसूस की। मैं इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय संगठनों से अपील करना चाहती हूं कि वे बाल श्रम में लिप्त सभी बच्‍चों को बचाने का अपना वादा उसी तरह निभाएं, जिस तरह उन्‍होंने मुझे बचा के निभाया।"

ऑल-अफ्रीका स्टूडेंट यूनियन के महासचिव पीटर क्‍वासी ने कहा, "पिछले साल "100 मिलियन फॉर 100 मिलियन कैम्‍पेन" के तहत दुनियाभर से इकट्ठे हुए हम लोगों ने कोविड-19 रिकवरी फंड का उचित हिस्सा मांगने के लिए सबसे अधिक लोगों का समर्थन जुटाया था। हम सभी इस बात पर सहमत हुए थे और प्रतिबद्धता जताई थी कि बच्‍चों को संसाधनों, कानूनों और सामाजिक सुरक्षा में उनकी उचित हिस्‍सेदारी दिलाकर रहेंगे। मैं इस अवसर पर सभी, विशेषकर युवाओं और छात्रों से इस अभियान में शामिल होने का आह्वान करता हूं।"

इस अवसर पर जीईपी की अध्यक्ष और सह-संस्थापक नेहा शाह ने कहा, "कंपनियों की आर्थिक ज़िम्मेदारी और नैतिक दायित्व है कि वे उन सभी अन्याय को समाप्त करें जो उनकी आपूर्ति श्रृंखलाओं में सीधे या परोक्ष रूप से बाल श्रम के लिए जिम्‍मेदार हैं।" आईटीयूसी के महासचिव शरण बुरु ने कहा, ''बाल श्रम मानवता पर एक बड़ा धब्‍बा है। यह एक सामूहिक जिम्मेदारी है कि इसे खत्‍म किया जाए। यह हमारी एक व्‍यावसायिक जिम्मेदारी भी है।"

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