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लो, अब वैज्ञानिकों ने भी मान लिया गंगा अमर है, अमर रहेगी

Arun Mishra
10 May 2022 2:26 PM GMT
लो, अब वैज्ञानिकों ने भी मान लिया गंगा अमर है, अमर रहेगी
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जिस बात पर हिन्दुस्तान की सरजमीं को यकीन था उस पर अब दुनिया को भी यकीन हो गया लगता है।

जिस बात पर हिन्दुस्तान की सरजमीं को यकीन था उस पर अब दुनिया को भी यकीन हो गया लगता है। कैटो इसंटीट्यूट के अनुसंधान से पता चला है कि हिमालय के गंगोत्री से निकलती गंगा कभी सूख सकती है, ऐसी कोई आशंका नहीं है। मतलब ये कि गंगा अमर है- इस बात पर टिके रहने का परंपरागत दावा और पुष्ट हुआ है।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर के पिघलने की आशंका को देखते हुए इंटरनेशनल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) ने दावा किया था कि 2035 तक हिमालयी ग्लेशियर गायब हो सकते हैं। इसी दावे में यह बात भी छिपी थी कि अगर ऐसा हुआ तो ग्लेशियर से निकलने वाली गंगा का क्या होगा? वह भी गायब हो सकती है।

ताजा रिसर्च में पता चला है कि हिमालयी ग्लेशियर का संकुचित होना या छोटा होता चला जाना अब नियंत्रित हो गया है। बीते 10 साल में इसमे संकुचन नाम मात्र का देखा गया है। इस तरह हिमालय ग्लेशियर के पिघलने वाली थ्योरी पर चर्चा फिलहाल थम गयी है। अगर हिमालय ग्लेशियर पिघलकर खत्म भी हो जाता है तो क्या गंगा का अस्तित्व नहीं रहेगा?

गंगा का अस्तित्व सिर्फ ग्लेशियर से नहीं है। गंगोत्री में गंगा का उद्गम जरूर है। मगर, शनै: शनै: गंगा प्राकृतिक भूगर्भीय जल से आप्लावित होकर कब और कैसे नदी का बाल्यावस्था से किशोरावस्था को प्राप्त करती चली जाती है इसका अंदाजा कोई नहीं लगा पाया है।

कैटो इंस्टीट्यूट के रिसर्च फैलो स्वामीनाथन एस अंकलेसरिया अय्यर और ग्लेशियोलॉजिस्ट विजय के रैना के साझा रिसर्च से पता चलता है कि ग्लेशियर पिघलने क घटना हिमयुग की समाप्ति के बाद से जारी है। 11,700 सालों से ग्लेशियर पिघल रहे हैं। फिर भी कभी ऐसी स्थिति नहीं बनी कि ग्लेशियर खत्म होने का खतरा पैदा हुआ हो या फिर गंगा के अस्तित्व पर कोई संकट आ ख़ड़ी हुई है।

Arun Mishra

Arun Mishra

Sub-Editor of Special Coverage News

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