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रक्तदान करने वालों की संख्या में कोरोना की तीसरी लहर के दौरान 50 फीसदी तक की कमी आई है। दिल्ली के प्रमुख ब्लड बैंकों में 25 से 50 फीसदी तक रक्तदान में कमी देखी गई है। जिस वजह से थैलेसीमिया से पीड़ित मरीजों से लेकर कैंसर, किडनी और अन्य गंभीर मरीजों को रक्त के लिए अस्पतालों में भटकना पड़ रहा है। यह हाल तब है जब अस्पतालों में गैर जरूरी सर्जरी बंद है।
एम्स में एक चौथाई की कमी
बता दें कि एम्स के मुख्य ब्लड बैंक में काम करने वाले एक अधिकारी के मुताबिक, तीसरी लहर के दौरान पिछले डेढ़ महीने में रक्तदान करने वाले लोगों की संख्या में करीब 25 फीसदी तक की कमी आई है।
एम्स के मुख्य ब्लड बैंक में पहले हर रोज 180 से 190 लोग रक्तदान करते थे, लेकिन अब इनकी संख्या 140 से 150 रह गई है। सफदरजंग अस्पताल का तो और भी बुरा हाल है। यहां रक्तदान करने वाले 50 फीसदी तक कम हो गए हैं। इसके अलावा रेड क्रॉस के सूत्रों के मुताबिक उनके यहां भी रक्तदान में 50 फीसदी की कमी देखी गई है। यहां कोरोना की वजह से रक्तदान के लिए लंबे समय से स्वयंसेवी कैंप भी नहीं लगे हैं।
थैलेसीमिया पीड़ित को भी दिक्कत
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हरियाणा के रोहतक के रहने वाले रोहित कुमार (बदला नाम) थैलेसीमिया मेजर रोग से पीड़ित हैं। इन्हें हर 15 दिन में रक्त चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। रोहित ने बताया कि वे 29 वर्ष के हैं। बचपन से ही यह परेशानी है। सर गंगाराम अस्पताल में हर 15 दिन में रक्त चढ़ता है। तीसरी लहर में डोनर मिलना मुश्किल हो रहा है। पिछले दो महीने में चार बार रक्त चढ़ाया गया, लेकिन किन्हीं दो लोगों से अपने लिए रक्तदान कराया है। भाई ही रक्तदान कर सकता है। ऐसे में हर बार लोगों से गुहार लगानी पड़ती है।
किडनी के मरीज भी परेशान
मीडिया में छपी खबरों के अनुसार दिल्ली के सरिता विहार स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में 60 वर्षीय रजा पिछले 20 दिनों से भर्ती हैं। उन्हें कोरोना संक्रमण के अलावा किडनी की बीमारी भी है। इलाज के दौरान उनका हीमोग्लोबिन कम हो गया। डॉक्टरों ने सात यूनिट ब्लड देने के लिए कहा। बता दें कि रजा के बेटे अब्बास ने बताया कि चार यूनिट ब्लड वह शाम तक जमा कर चुके थे और बाकी के लिए दोस्तों से मदद मांग रहे थे। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दिनों से रक्तदान के मामले कम होने की वजह से दिक्कत आ रही है।