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PAK सरकार ने मानी भारत की मांग, कुलभूषण जाधव मामले में भारत को दिया सशर्त कॉन्सुलर ऐक्सेस

Arun Mishra
16 July 2020 12:12 PM GMT
PAK सरकार ने मानी भारत की मांग, कुलभूषण जाधव मामले में भारत को दिया सशर्त कॉन्सुलर ऐक्सेस
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Kulbhushan Jadhav
अब पाकिस्तान स्थित भारतीय दूतावास के 2 अधिकारियों को जाधव के पास पहुंचने की अनुमति होगी.

पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव के लिए भारत को दूसरे कॉन्सुलर एक्सेस की मांग को मान लिया है. पाक की जेल में बंद जाधव के मामले में भारत ने पाकिस्तान से बिना रोकटोक कॉन्सुलर एक्सेस की मांग की थी. अब पाकिस्तान स्थित भारतीय दूतावास के 2 अधिकारियों को जाधव के पास पहुंचने की अनुमति होगी.

इस बीच दोनों भारतीय अफसरों की जाधव से मुलाकात हो रही है, हालांकि किस जगह हो रही जगह की जानकारी नहीं है. जाधव जिस जगह है उस सब जेल घोषित किया गया है. उन्हें अलग कार से पहुंचाया गया. उनकी गाड़ियां पाक विदेश मंत्रालय के ऑफिस में पार्क की गई हैं.

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में रिव्यू पीटिशन दायर करने से पहले भारत ने पाकिस्तान से यह मांग की थी. हालांकि पाक ने जाधव से अकेले मिलने की मांग को ठुकरा दिया है, लेकिन 2 अफसरों को जाधव तक पहुंचने की अनुमति दे दी है.

कॉन्सुलर एक्सेस का समय तय

शाम 4.30 बजे (पाक समय 4 बजे) कॉन्सुलर एक्सेस का समय दिया गया है. जाधव जिस जगह कैद है उसे सब जेल घोषित किया गया है. अब 60 दिनों के अंदर जाधव की ओर से रिव्यू पिटीशन दाखिल किया जा सकेगा. स्थानीय नियम के अनुसार, 60 दिनों के अंदर रिव्यू दाखिल करने की अनुमति है.

पाक विदेश ऑफिस की प्रवक्ता आइशा फारुकी ने कहा कि जाधव को कॉन्सुलर एक्सेस मामले पर पाकिस्तान मीडिया को जानकारी देगा. उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि जाधव मामले पर भारत पाकिस्तान का सहयोग करेगा.

भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों ने पाकिस्तान विदेश कार्यालय (MOFA) में दक्षिण एशिया के महानिदेशक से कुलभूषण जाधव के लिए दूसरे कॉन्सुलर एक्सेस की अनुमति देने को संबंध में मुलाकात की. हालांकि भारत की कई मांगों को पाकिस्तान की ओर से नहीं माना गया, जिसमें जाधव के साथ अकेले में मुलाकात भी शामिल था. इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) के अनुसार कॉन्सुलर एक्सेस और स्वतंत्र-निष्पक्ष ट्रायल होना चाहिए.

क्या है Consular Access?

बता दें कि 'जासूसी और आतंकवाद' के आरोपों पर अप्रैल 2017 में पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। इसके कुछ हफ्ते बाद, भारत ने जाधव को राजनयिक पहुंच नहीं दिए जाने और मृत्युदंड को चुनौती देते हुए आईसीजे का रूख किया था। दरअसल, 1963 में बनी संयुक्त राष्ट्र संघ की 'विएना कन्वेन्शन ऑन कॉन्सुलर रिलेशंस' संधि के मुताबिक अगर किसी देश में किसी दूसरे देश के नागरिक को जासूसी या आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है, तो उसे उसके देश के राजनियक से मिलने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। पाकिस्तान इसी के आधार पर भारत को कॉन्सुलर ऐक्सेस की इजाजत नहीं दे रहा था क्योंकि उसका दावा है कि जाधव भारतीय जासूस हैं। हालांकि, भारत इस आरोप को खारिज करता है और इसीलिए कॉन्सुलर ऐक्सेस की मांग करता है।

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