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प्राकृतिक खेती कॉरिडोर के नाम पर गंगा नदी और गंगा बेसिन खेती की जमीन पर कॉरपोरेट कब्जे की साजिश
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प्रबल प्रताप शाही
बजट 2022 मे वित्त मंत्री निम॔ला सीतारमन ने घोषणा किया, कि गंगा नदी बेसिन के पास की 5 किमी जमीन की लंबाई और 10. किमी चौड़े पर प्राकृतिक खेती का कॉरिडोर बनाया जाएगा, वह भी उत्तराखंड से लेकर बंगाल तक ऐसे कई कारिडोर बनाए जाएगे, इन कारिडोर बिना यूरिया, कीटनाशक के खेती किया जाएगा. पहली नजर में यह घोषणा जनहित मे लगेगी, लेकिन जब आप इसके तह मे जाएगे और वत॔मान मोदी सरकार की किसान को लेकर नीति का आंकलन किया जाए, तो मन मे संशय पैदा होगी.
क्योंकि इसी सरकार ने कॉरपोरेट के समथ॔न में भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन की कोशिश, जिससे किसानों की जमीन आसानी से कॉरपोरेट को दिलाई जा सके. लेकिन किसानों के विरोध के कारण यह संशोधन वापस लेना पड़ा, फिर इसी सरकार ने तीन काले कानून लाकर किसानों की जमीन पर कॉरपोरेट कब्जे की कोशिश की. परंतु एक वष॔ तक चले ऐतिहासिक किसान आंदोलन के आगे मोदी सरकार को झुकना पड़ा और कानून वापस लेना पड़ा.
अब मोदी सरकार ने प्राकृतिक खेती कॉरिडोर के नाम पर गंगा बेसिन की उपजाऊ खेती की जमीन के साथ गंगा नदी पर कॉरपोरेट कब्जा का तीसरा प्रयास है, अगर सरकार को गंगा नदी की इतनी चिंता है तो वह गंगा बेसिन के सभी किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए किसी योजना की चचा॔ करते परंतु सरकार बस कॉरिडोर की बात करती है, कॉरिडोर से बस काॕरपोरेट को फायदा होता है.
गंगा नदी के शुद्धिकरण के नाम पर भविष्य में उस कॉरिडोर से लगे हुए गंगा नदी को कॉरपोरेट को दे दिया जाएगा, इस देश मे करीब सैकड़ो नदियों को कॉरपोरेट को दे दिया गया है| तो आनेवाले समय में गंगा नदी को भी टुक़डे में कॉरपोरेट को देने की कोशिश की जाएगी.