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एक माह में 70 सैनिकों की शहादत के बाद एयर स्ट्राइक के जश्न में डूबे राष्ट्र भक्त मोदी को प्रणाम!
फरवरी से लेकर अब तक देश के सत्तर से ज्यादा सैनिक इस देश की सीमा की सुरक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देकर हमें सुरक्षित कर गये. उनके दुःख से हम तनिक भी दुखी न होकर हम और हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एयर स्ट्राइक का जश्न मना रहे है. इतना ही नहीं पूरी नरेंद्र मोदी सरकार और पूरी बीजेपी इस स्ट्राइक पर जश्न मना रही है.
जिस दिन एक विंग कमांडर अभिनंदन की वापसी पर हम ख़ुशी के मारे उछल रह थे उसी दिन देश के दस वीर जवान अपनी प्राणों की आहुति दे चुके थे. लेकिन हमें उनके बारे में सोचना भी उचित नहीं समझा. जबकि उसी के दूसरे दिन जब शहीदों के शव घर पर पहुंच रहे थे तो बिहार में पीएम मोदी की रैली थी और उस रैली के चलते बिहार के जाबांज के अंतिम संस्कार में सरकार का कोई मंत्री भी शामिल नहीं हुआ. जिससे भी मोदी और नीतीश कुमार की भारी फजीहत हुई.
मेरा मानना है कि अगर इन सत्तर शहीद की माँ और विधवाओं से इनके दुःख पुंछ लिए जाय तो कितना अच्छा होता. अगर एक सैनिक की वापसी पर हम इतना खुश है तो जिन सत्तर परिवारों से अर्थी उठी है उन जगहों पर कितना बड़ा मातम होगा कभी सोचा है मोदी जी आपने. उन सत्तर शहीदों के मासूम बच्चों से पूंछा कि हम जश्न मनाकर सच्चे राष्ट्र भक्त होने के नाटक कर रहे है. अरे सच्चे राष्ट्र भक्त तो वो है जिन्हें हमने गालियाँ भी दी तो भी कुछ नहीं बोले और शहीदों का सम्मान ही करते रहे.
हम सिर्फ यह जानना चाहते है कि सच्चे राष्ट्र भक्त की परिभाषा आप किस प्रकार करते है. हम समझ नहीं पाये और किस को राष्ट्र भक्त नहीं मानते हुए आप दोषी ठहराते है. अगर आप इसी तरह से काम करते रहे तो यह देश निरंतर प्रगति की और अग्रसर रहेगा क्योंकि यह राष्ट्र भक्त होने का देश को बड़ा खामियाजा उठाना पड़ेगा.
अब हम आपको बता दें की सत्तर सैनिक कैसे शहीद हुए, पैंतालीस सैनिक पुलवामा में शहीद हो गये और पन्द्रह सैनिक फुटकर शहीद हो गये. जबकि छह जवान एयर स्ट्राइक के दुसरे दिन शहीद हुए जब हमारा विमान क्रेश हुआ उसके बाद छह सैनिक उस दिन शहीद हुए जब अभिनंदन की वापसी हो रही थी.