
लोकसभा चुनाव से पहले मंत्रिमंडल में फेरबदल कर सकते हैं पीएम मोदी

राष्ट्रीय राजधानी के सत्ता के गलियारों में केंद्रीय मंत्रिमंडल में संभावित फेरबदल के बारे में अटकलें शुरू हो गई हैं। अगले आम चुनावों के पहले यह मोदी मंत्रिमंडल का आखिरी बदलाव हो सकता है। चूंकि मोदी-शाह टीम का ध्यान उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीटों को बनाए रखने, पूवरेत्तर की सभी 25 सीटें हासिल करने और प. बंगाल की आधी सीटों तथा आंध्र प्रदेश में सेंध लगाने पर है, इसलिए मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व इन्हीं योजनाओं के अनुरूप होगा।
उत्तर प्रदेश से भाजपा के केवल तीन केंद्रीय कैविनेट मंत्री हैं- राजनाथ सिंह, मेनका गांधी और मुख्तार अब्बास नकवी जबकि राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ महेश शर्मा , मनोज सिन्हा , शिवप्रताप शुक्ला , अनुप्रिया पटेल सत्यपाल सिंह , जनरल वीके सिंह, संतोष गंगवार , क्रष्णा पासी , साध्वी निरंजन ज्योति। जबकि पूवरेत्तर से केवल एक राज्यमंत्री किरण रिजिजु हैं। खेल मंत्री सर्बानंद सोनोवाल को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद असम का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। महाराष्ट्र से नौ मंत्रियों की बड़ी संख्या है, जबकि बिहार में सहयोगी दलों को हिस्सा नहीं मिलने से उनमें नाराजगी है। कम से कम पांच केंद्रीय मंत्री ऐसे हैं जिनके पास एक से अधिक पोर्टफोलियो हैं, जबकि अन्य के पास काम ही नहीं है।
शिवसेना न्याय की प्रतीक्षा कर रही है और जनता दल (यू) को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व मिलने का इंतजार है, क्योंकि अब यह स्पष्ट है कि वह भाजपा के साथ गठबंधन में रहेगा। एक साथ चुनावों के बारे में प्रधानमंत्री मोदी अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में जो भी कहें और भाजपा इसका जितना भी ढोल पीटे, लेकिन लोकसभा चुनाव अपने निर्धारित समय पर ही होंगे। भाजपा हाईकमान और प्रधानमंत्री कार्यालय भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों पर अपने राज्यों में किए गए कार्यो के बारे में एक के बाद दूसरा डाटा उपलब्ध कराने के लिए जोर डाल रहे हैं। मुख्यमंत्रियों सहित राज्यों के भाजपा नेता केंद्रीय नेतृत्व की चुनावों के संदर्भ में की जा रही मांगों को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं।