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MSP, APMC, कॉन्ट्रेक्ट फॉर्मिंग…पीएम मोदी ने 'मिसालों' से दूर किए किसानों के भ्रम, पढ़ें संबोधन की 10 बड़ी बातें
नई दिल्ली : दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को विभिन्न केंद्रीय योजनाओं के लाभार्थी छह किसानों के साथ बात की. कार्यक्रम में पीएम मोदी कृषि कानूनों पर किसानों के मन में जो भी भ्रम हैं उनको चुन-चुनकर दूर किया. उन्होंने कृषि कानूनों के लाभ भी लोगों से साझे किए. इसके साथ-साथ पीएम मोदी ने विपक्षी पार्टियों पर भी हमला बोला.
पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के नौ करोड़ से अधिक लाभार्थियों के बैंक खाते में योजना की अगली किश्त के तौर पर 18,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि भेजने के कार्य का बटन दबाकर शुभारंभ किया. इनमें पूर्वोत्तर के उत्तर प्रदेश से लेकर देश में किसानों की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के किसान शामिल थे. पीएम मोदी के संबोधन की 10 बड़ी बातें
मुझे आज इस बात का अफसोस है कि मेरे पश्चिम बंगाल के 70 लाख से अधिक किसान भाई-बहनों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है. बंगाल के 23 लाख से अधिक किसान इस योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर चुके हैं. लेकिन राज्य सरकार ने वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को इतने लंबे समय से रोक रखा है. जो लोग 30-30 साल तक बंगाल में राज करते थे, एक ऐसी राजनीतिक विचारधारा को लेकर उन्होंने बंगाल को कहां से कहां लाकर खड़ा कर दिया है, ये सारा देश जानता है. आप ममता जी के 15 साल पुराने भाषण सुनेंगे तो पता चलेगा कि इस विचारधारा ने बंगाल को कितना बर्बाद कर दिया था. जो दल पश्चिम बंगाल में किसानों के अहित पर कुछ नहीं बोलते, वो यहां दिल्ली में आकर किसान की बात करते हैं. इन दलों को आजकल APMC- मंडियों की बहुत याद आ रही है. लेकिन ये दल बार-बार भूल जाते हैं कि केरला में APMC- मंडियां हैं ही नहीं. केरल में ये लोग कभी आंदोलन नहीं करते.
कुछ राजनीतिक दल जिन्हें देश की जनता ने लोकतांत्रिक तरीके से नकार दिया है, वो आज कुछ किसानों को गुमराह करके जो कुछ भी कर रहे हैं, उन सभी को बार-बार नम्रतापूर्वक सरकार की तरफ से अनेक प्रयासों के बावजूद भी किसी न किसी राजनीतिक कारण से ये चर्चा नहीं होने दे रहे हैं. पिछले दिनों अनेक राज्यों, चाहे असम हो, राजस्थान हो, जम्मू-कश्मीर हो, इनमें पंचायतों के चुनाव हुए. इनमें प्रमुखत ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने, किसानों ने ही भाग लिया. उन्होंने एक प्रकार से किसानों को गुमराह करने वाले सभी दलों को नकार दिया है.
आज नए कृषि सुधारों को लेकर असंख्य झूठ फैलाए जा रह हैं. कुछ लोग किसानों के बीच भ्रम फैला रहे हैं कि MSP समाप्त की जा रही है. कुछ लोग अफवाहें फैला रहे हैं कि मंडियों को बंद कर दिया जाएगा. मैं आपको फिर ध्यान दिलाना चाहता हूं कि इन कानूनों को लागू हुए कई महीने बीत गए हैं, क्या आपने देश के किसी एक भी कोने में एक भी मंडी बंद होने की खबर सुनी है? ये कृषि सुधारों और नए कृषि सुधार कानूनों के बाद भी हुआ है. सरकार किसान के साथ हर कदम पर खड़ी है. किसान चाहे जिसे अपनी उपज बेचना चाहे, सरकार ने ऐसी व्यवस्था की है कि एक मजबूत कानून किसानों के पक्ष में खड़ा रहे.
इन कृषि सुधार के जरिए हमने किसानों को बेहतर विकल्प दिए हैं. इन कानूनों के बाद आप जहां चाहें जिसे चाहें अपनी उपज बेच सकते हैं. आपको जहां सही दाम मिले आप वहां पर उपज बेच सकते हैं. आप न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर अपनी उपज बेचना चाहते हैं? आप उसे बेच सकते हैं. आप मंडी में अपनी उपज बेचना चाहते हैं? आप बेच सकते हैं. आप अपनी उपज का निर्यात करना चाहते हैं ? आप निर्यात कर सकते हैं. आप उसे व्यापारी को बेचना चाहते हैं? आप बेच सकते हैं. आपको जहां सही दाम मिले आप वहां पर उपज बेच सकते हैं. देश के किसान को इतने अधिकार मिल रहे हैं तो इसमें गलत क्या है? अगर किसानों को अपनी उपज बेचने का विकल्प ऑनलाइन माध्यम से पूरे साल और कहीं भी मिल रहा है तो इसमें गलत क्या है?
आंदोलन में कई सच्चे किसान भी हैं, सब किसी पार्टी-विचारधारा के नहीं हैं. जो आंदोलन कर रहे हैं उनसे आप सीक्रेटली पूछोगे की कितने में बेचा, तो वो बोलेंगे की हां हमने बेचा MSP पर बेचा. नए कानून बनने के बाद बढ़े हुए MSP पर सरकार ने रिकॉर्ड खरीददारी की है. सरकार ने अपनी जिम्मेदारी बढ़ाई है. अग्रीमेंट फॉर्मिंग की बात करें तो पहले समझौता तोड़ने पर किसानों को पेनल्टी लगती थी, हमारी सरकार ने इसे खत्म किया. अब कोई जुर्माना नहीं लगेगा. खरीददार आपकी फसल का भुगतान करने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य हुआ है, सिर्फ तीन दिन में भुगतान ना होने पर कानूनी रास्ते का विकल्प है. अगर किसी वजह से फसल अच्छी नहीं होती या बर्बाद हो जाती है. इस स्थिति में भी किसान को दाम मिलेगा. अग्रीमेंट को ट्रेडर चाहे तो खत्म नहीं कर सकता, किसान चाहे तो ऐसा कर सकता है.
एक बार वाजपेयी ने पूर्व पीएम को याद करते हुए कहा था कि रुपया चलता है तो रुपया घिसता है, रुपया घिसता है तो हाथ में लगता है और धीरे से हाथों में चला जाता है. आज ना रुपया घिसता है, ना किसी गलत हाथ में जाता है. दिल्ली से रुपया जिस गरीब के लिए निकलता है सीधा उसकी जेब में जाता है. पीएम किसान निधि इसका उत्तम उदाहरण है. किसानों के खाते में आज सीधा 18 हजार करोड़ से ज्यादा की रकम जमा हो गई.
पीएम मोदी ने सबसे पहले अरुणाचल प्रदेश के किसान गगन से बात की. उसने बताया कि उसे अबतक 6 हजार रुपये मिले. किसान से बात करते हुए पीएम ने कहा कि लोग इस बात का भ्रम फैला रहे हैं कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से किसानों की जमीन चली जाएगी. जबकि ऐसा नहीं है. पीएम ने आगे ओडिशा के किसान नवीन से बात की. किसान ने बताया कि उसने मिले पैसे से खाद, बीज और कीटनाशक खरीदा. मोदी ने पूछा कि क्या उन्हें किसान क्रेडिट कार्ड मिला है. किसान ने बोला कि 12 मार्च 2019 को क्रेडिट कार्ड मिला था. उसने 4 फीसदी के ब्याज से लोन लिया था. किसान ने कहा कि पहले 20 फीसदी पर साहूकार से पैसा लेना पड़ता था. मोदी ने पूछा कि उनके पास कितनी जमीन है. किसान ने बताया कि वह फिलहाल धान की फसल उगा रहा है लेकिन आगे और फसल भी उगाना चाहता है.
पीएम ने आगे हरियाणा के फतेहबाद के किसान से बात की. किसान ने बताया कि वे सारे भाई मिलकर खेती कर रहे हैं. किसान ने बताया कि वह पहले धान की खेती करता था, लेकिन अब बागवानी कर रहे हैं. फिलहाल उनके पास 10 एकड़ में बाग है. तीन एकड़ में नींबू, 7 एकड़ में अमरूद. सारा माल छोटी मंडियों में बेच देते हैं. किसान ने बताया कि फसल को AMPC से बाहर बेचते हैं और MSP से ज्यादा पैसा भी लेते हैं. तमिलनाडु के किसान से भी पीएम मोदी से बात की. उनकी हिंदी सुनकर पीएम खुश हो गए हैं. यह किसान पहले फौज में थे.
महाराष्ट्र के लातूर के किसान गणेश से बात की. किसान ने बताया कि उसके पास 3 हेक्टेयर जमीन है जिसपर वह सोयाबीन और तूर की फसल उगाता है. किसान ने बताया कि वह इसके साथ पशुपालन का काम भी करता है. मोदी ने पूछा कि खेती में ज्यादा कमाई है या पशुपालन में. मोदी ने पूछा कि क्या उन्होंने किसान बीमा फसल का लाभ लिया है. किसान ने बताया कि हां उसने इसका लाभ लिया है. उसने ढाई हजार का प्रीमियम भरा था, फिर फसल बर्बाद होने पर उन्हें 54 हजार से ज्यादा रुपये मिले. किसान ने कहा कि यह बहुत अच्छी स्कीम है.
मध्य प्रदेश के धार के किसान मनोज ने पीएम मोदी से बात की. किसान ने बताया कि वह मक्का की खेती करता है और उसे पीएम किसान का लाभ मिला है. किसान ने कहा कि उसे वक्त पर पैसा मिला. मोदी ने पूछा कि कृषि कानून आने के बाद क्या कुछ बदलाव हुआ. किसान ने बोला कि अब उसे फसल बेचने का नया विकल्प मिला है. अब उसने आईटीसी को 41 रुपये क्विंटल के हिसाब से सोयाबीन बेचा. मोदी ने बोला कि राजनीतिक पार्टियां नए कानूनों को गलत बता रही हैं. किसान ने कहा कि ऐसा नहीं है. अगर ऐसा कुछ होगा तो उसे ना बेचने का विकल्प भी है. किसान ने कहा कि वह जंगली जानवरों की वजह से काफी परेशान रहते हैं क्योंकि वे फसल खराब कर जाते हैं. मोदी बोले कि इसका समाधान निकाला जाएगा. मोदी बोले कि जो ये किसान आंदोलन के नाम से बैठे हुए हैं, उन्हीं की विचारधारा के लोग पर्यावरण के नाम पर आंदोलन चलाकर उस किसान को जेल भिजवा देते थे जिसने किसी ऐसे नुकसान करने वाले जानवर को मार दिया हो.