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पीएम नरेन्द्र मोदी, अमित शाह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने वीर सावरकर को किया नमन, रूढ़िवादी परंपरा का भी विरोधी थे

Sujeet Kumar Gupta
28 May 2019 5:45 AM GMT
पीएम नरेन्द्र मोदी, अमित शाह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने वीर सावरकर को किया नमन, रूढ़िवादी परंपरा का भी विरोधी थे
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सावरकर एक नास्तिक और एक कट्टर तर्कसंगत व्यक्ति थे,

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीर सावरकर की 136वीं जयंती पर उनको नमन किया।श्री मोदी ने ट्वीट किया, वीर सावरकर को हम उकी जयंती पर नमन करते हैं। वीर सावरकर ने भारत को मजबूत बनाने के लिए असाधारणसाहस, देशभक्ति और असीम प्रतिबद्धता का परिचय दिया। उन्होंने देशवीशियों को राष्ट्र के निर्माण के प्रति खुद को समर्पित करने के लिए प्रेरित किया।,

अमित शाह ने ट्वीट में कहा - वीर सावरकर ने राष्ट्रसेवा के साथ-साथ जातिप्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ी और हमारी भाषा में व्याप्त कमियों को दूर करने का भी काम किया। ऐसे प्रखर राष्ट्रभक्त, महान स्वतंत्रता सेनानी और अनुकर्णीय युगदृष्टा की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन। वीर सावरकर एक ऐसे अद्वितीय क्रांतिकारी थे जिन्होंने करोड़ों लोगों के हृदय में उत्कृष्ट राष्ट्रभक्ति का दीप प्रज्ज्वलित किया। उन्होंने भारतीय राजनीति में तुष्टिकरण की नीति का पुरजोर विरोध किया और उसे भारत के लिए बड़ा खतरा बताया।

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी ट्वीट किया कि वीर सावरकर जी एक महान क्रांतिकारी, चिंतक, दूरदर्शी व ऐसे अद्वितीय राजनेता थे जिन्होंने करोड़ों लोगों के हृदय में उत्कृष्ट राष्ट्रभक्ति का दीप प्रज्ज्वलित किया। ऐसे प्रखर राष्ट्रभक्त, महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और अनुकरणीय युगदृष्टा की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन।

विनायक दामोदर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को महाराष्ट्र के नासिक में हुआ था। वह बाद में स्वातंत्र वार सावरकर के रुप में प्रसिद्ध हुए। हिन्दू राष्ट्र की राजनीतिक विचारधारा (हिन्दुत्व) को विकसित करने का बहुत बडा श्रेय सावरकर को जाता है। वे न केवल स्वाधीनता-संग्राम के एक तेजस्वी सेनानी थे अपितु महान क्रान्तिकारी, चिन्तक, सिद्धहस्त लेखक, कवि, ओजस्वी वक्ता तथा दूरदर्शी राजनेता भी थे।

सावरकर ने भारत के एक सार के रूप में एक सामूहिक "हिंदू" पहचान बनाने के लिए हिंदुत्व का शब्द गढ़ा। उनके राजनीतिक दर्शन में उपयोगितावाद, तर्कवाद और सकारात्मकवाद, मानवतावाद और सार्वभौमिकता, व्यावहारिकता और यथार्थवाद के तत्व थे। सावरकर एक नास्तिक और एक कट्टर तर्कसंगत व्यक्ति थे, जो सभी धर्मों में रूढ़िवादी विश्वासों का विरोध करते थे।

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