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सुप्रीमकोर्ट के ऐतिहासिक फैसले से राजनितिक दलों की उडी नींद, वकील अश्वनी उपाध्याय की याचिका पर हुआ फैसला
नई दिल्ली: राजनीति का अपराधीकरण रोकने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला दिया है. आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जारी दिशा निर्देश में कुछ और बाते जोड़ी हैं . कोर्ट ने कहा है कि राजनीतिक दलों को जनता को यह बताना होगा कि उन्होंने दागी नेताओं को क्यों टिकट दी है.
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों से उमीदवारों पर दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी अखबारों और सोशल मीडिया डालने को कहा है. अदालत ने कहा, 'अगर राजनीतिक पार्टी ऐसा नही करती है तो चुनाव आयोग इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को देगा.'
बता दें कि साल 2018 के सितंबर महीने में 5 जजों की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह गंभीर अपराध में शामिल लोगों के चुनाव लड़ने और पार्टी पदाधिकारी बनने पर रोक लगाने के लिए तत्काल कानून बनाए.
इसके बाद भाजपा नेता और पेशे से वकील अश्विनी उपाध्याय ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल कर आरोप लगाया था कि राजनीति का अपराधीकरण रोकने के लिए कोर्ट के आदेश के बावजूद पिछले 6 महीने में कोई गंभीर प्रयास नहीं किया गया. वकील अश्विनी की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने भारत सरकार के कैबिनेट सचिव और विधि सचिव से जवाब मांगा था.
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने 25 सितंबर 2018 को चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि नामांकन करते समय प्रत्येक उम्मीदवार उसके खिलाफ उसके खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी बोल्ड अक्षर में देगा. किसी राजनीतिक दल के टिकट पर चुनाव लड़ने वाला कैंडिडेट अपनी पार्टी को उसके खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी देगा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राजनीतिक पार्टी की जिम्मेदारी होगी कि वह प्रत्येक कैंडिडेट के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी अपनी पार्टी की वेबसाइट पर डाले. सुप्रीम कोर्ट ने दिशानिर्देश दिया था कि यह सूचना नामांकन होने के बाद कम से कम तीन बार प्रकाशित कराई जाएगी.
गौरतलब है कि उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड और संपत्ति आदि का ब्योरा मीडिया में प्रकाशित प्रचारित करने के आदेश पर अमल न होने का मुद्दा उठाने वाली दूसरी अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब मांगा था. कोर्ट ने उपाध्याय की अवमानना याचिका में उठाए गए मामले को गंभीर बताते हुए तीन चुनाव उपायुक्तों को नोटिस जारी कर एक सप्ताह में जवाब मांगा था.