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बिजली मंत्री आर के सिंह ने सशक्त 'विवाद निवारण तंत्र' के गठन को मंजूरी दी
पीआईबी, नई दिल्ली : केंद्रीय विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह द्वारा 'स्वतंत्र अभियंता' (आईई) के माध्यम से एक "विवाद निवारण तंत्र" के गठन को मंजूरी दी गई है। जल विद्युत परियोजनाओं को क्रियान्वित करने वाले सीपीएसई के निर्माण अनुबंधों में एक तीसरे पक्ष के 'स्वतंत्र इंजीनियरों' की अगुवाई में एक टीम की नियुक्ति करना अनिवार्य है।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख बुनियादी परियोजनाओं में इस तरह के स्वतंत्र इंजीनियरों की टीम का व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। स्वतंत्र इंजीनियरों टीम के पास परियोजना के बारे में विशेषज्ञता होती है। इसके साथ-साथ ही वाणिज्यिक और कानूनी सिद्धांतों के विषय में विशेषज्ञता होती है।
स्वतंत्र इंजीनियरों की टीम सभी प्रमुख हितधारकों के साथ सीधे बात करने के साथ परियोजना की नियमित निगरानी कर सकता है और ठेकेदार और नियोक्ता के बीच विवाद न हो इसके लिए प्रभावी भूमिका निभा सकता है। स्वतंत्र टीम प्रारंभिक असहमति के मुद्दो को बातचीत से हल निकालकर उसे विवाद के रूप में लेने से रोकता है। साथ ही उचित और निष्पक्ष तरीके से असहमति के बिंदु को शीघ्र समाप्त करने का प्रयास करता है। इससे समय और पैसे की बर्बादी रोकने में मदद मिलेगी। इससे परियोजनाओं का काम समय पर पूरा करना सुनिश्चित किया जा सकेगा।
हाइड्रो सीपीएसई लागतार इस बात को लेकर सवाल उठाता रहा है कि हाइड्रो पावर क्षेत्र में विवाद समाधान का वर्तमान तंत्र नियोक्ता और ठेकेदार के बीच विवाद सुलझाने के लिए पर्याप्त नहीं है। इस क्षेत्र में स्थापना से लेकर अब तब दोनों पार्टियों के बीच विवाद नोटिफाई हो जाने के बाद ही इस पर ध्यान दिया जाता है। इसाको देखते हुए फिल्ड स्तर के मुद्दों और और इन मुद्दों के समाधान पर पहुंचने में आने वाली कठिनाइयों का अध्ययन करने के लिए बोर्ड स्तर के अधिकारियों की एक समिति का गठन किया गया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी जिस पर मंत्रालय में विचार-विमर्श किया गया। इस विचार-विमर्श में हाइड्रो सीपीएसई के सीईए और बोर्ड स्तर के अधिकारियों ने भी भाग लिया।