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Ramadan Moon 2022: रमज़ान का चांद दिखा, देश के अलग-अलग हिस्सों में दिखा चांद, कल पहला रोज़ा, शाही इमाम ने कही ये बात
देश में शनिवार को रमजान का चांद दिखाई दिया. चांद दिखने के बाद रमजान के पाक महीने की आज से शुरुआत हो गई. जामा मस्जिद के शाही इमाम ने इसका ऐलान किया. एक महीने तक चलने वाले पाक महीने के बाद मीठी ईद मनाई जाएगी. चांद दिखने के बाद यूपी के अल्पसंख्यक मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने ईदगाह पहुंचकर नमाज पढ़ी. मुस्लिम धर्म गुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने मंत्री दानिश अंसारी को नमाज पढ़ाई.
लखनऊ ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि रमजान पर 2 साल बाद हम लोग आजादी की तरह खुशी मनाएंगे. लोगों ने कोविड-19 के चलते दो साल तक रमजान खुलकर सेलिब्रेट नहीं किया था. मौलाना ने बताया कि इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया और प्रशासन के बीच एक मीटिंग भी हुई है, जिसमें तमाम जगहों पर साफ-सफाई के बंदोबस्त की बात कही गई. गर्मी ज्यादा होने की वजह से पानी के इंतजाम पर भी जोर दिया जा रहा है.
सभी रोजा रखने वालों से अपील है कि 2 साल बाद मस्जिद में जो इफ्तार होगा, उसमें जरूर शामिल हों. अल्लाह से अपने मुल्क की हिफाजत की दुआ करें. बता दें कि रमजान के पाक महीने में लोग अल्लाह की इबादत करते हैं और बिना कुछ खाए-पिए रोजा रखते हैं. रमजान को इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना माना जाता है.
चांदनी चौक स्थित फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती मोहम्मद मुकर्रम अहमद ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया, "दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान समेत कई राज्यों में शनिवार शाम में चांद नज़र आ गया है."
उन्होंने कहा कि इस्लामी कलेंडर के नौवें महीने का रमज़ान का पहला दिन रविवार, तीन अप्रैल को होगा यानी पहला रोज़ा होगा. जामा मस्जिद के शाही इमाम सैय्यद अहमद बुखारी ने कहा, "हिंदुस्तान के अलग अलग शहरों में रमज़ान का चांद नज़र आया है, लिहाज़ा ऐलान किया जाता है कि तीन अप्रैल को पहला रोज़ा होगा."
कैसे शुरू हुई रोजा रखने की परंपरा?
इस्लाम में रोजा रखने की परंपरा दूसरी हिजरी में शुरू हुई है. मुहम्मद साहब मक्के से हिजरत (प्रवासन) कर मदीना पहुंचने के एक साल के बाद मुसलमानों को रोजा रखने का हुक्म आया. इस तरह से दूसरी हिजरी में रोजा रखने की परंपरा इस्लाम में शुरू हुई. हालांकि, दुनिया के तमाम धर्मों में रोजा रखने की अपनी परंपरा है. ईसाई, यहूदी और हिंदू समुदाय में अपने-अपने तरीके से रोजा रखा जाता है.
ऐसे रखा जाता है रोजा
रोजे रखने वाले मुसलमान सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के दौरान कुछ भी नहीं खाते और न ही कुछ पीते हैं. सूरज निकलने से पहले सहरी की जाती है, मतलब सुबह फजर की अजान से पहले खा सकते हैं. रोजेदार सहरी के बाद सूर्यास्त तक यानी पूरा दिन कुछ न खाते और न ही पीते. इस दौरान अल्लाह की इबादत करते हैं या फिर अपने काम को करते हैं. सूरज अस्त होने के बाद इफ्तार करते हैं. हालांकि, इसके साथ-साथ पूरे जिस्म और नब्जों को कंट्रोल करना भी जरूरी होता है. इस दौरान न किसी को जुबान से तकलीफ देनी है और न ही हाथों से किसी का नुकसान करना है और न आंखों से किसी गलत काम को देखना है.