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नोबेल विजेता कैलाश सत्यार्थी के जीवन पर लिखी पुस्तक के मराठी संस्करण ‘सामान्य जनतेज़ा नोबेलमैन : कैलाश सत्यार्थी’ का विमोचन
नोबेले शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी के जीवन पर लिखी पुस्तक ‘कैलाश सत्यार्थी के जीवन के प्रेरक प्रसंग’ के मराठी संस्करण ‘सामान्य जनतेज़ा नोबेलमैन: कैलाश सत्यार्थी’ का राजधानी नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में विमोचन किया गया। इस अवसर पर नोबेल विजेता कैलाश सत्यार्थी, जानी-मानी समाज सेविका सुमेधा कैलाश, आयुष मंत्रालय के सलाहकार मनोज नेसरी, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की निदेशक प्रो. तनूजा नेसरी और मूल हिंदी पुस्तक के लेखक शिवकुमार शर्मा और प्रसिद्ध वैद्य देवेंद्र त्रिगुणा भी मौजूद थे। इस पुस्तक का प्रकाशन साकेत प्रकाशन ने किया है जबकि मूल हिंदी पुस्तक का प्रकाशन प्रभात प्रकाशन ने किया है।
प्रो. तनुजा नेसरी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि बाल मजदूरी के खिलाफ कैलाश सत्यार्थी की लड़ाई एक बेहतर समाज बनाने के लिए हमारी उम्मीदों की रोशनी देती है। उनके जीवन पर आधारित यह पुस्तक लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
हिंदी में लिखी गई इस पुस्तक का 87 वर्ष की आयु में वयोवृद्ध लेखिका हेमलता नेसरी ने मराठी में अनुवाद किया है। इस अवसर पर उन्होंने कहा, ‘जब मूल पुस्तक मेरे पास आई तो मेरी शारीरिक व मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। लेकिन इसे पढ़ने के बाद मेरे अंदर काफी सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ और मैंने तय किया कि यह किताब मराठी में भी लोगों के पास पहुंचेगी। इसके बाद मैंने बीमारी की अवस्था में ही इसका अनुवाद किया।” उन्होंने सत्यार्थी को संत बताते हुए कहा कि यह पुस्तक लोगों की ज़िंदगी बदल सकती है।
इस अवसर पर नोबेल विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा, “हमें एक समाधान मूलक समाज का निर्माण करना है। आज जरूरत है करुणा पर आधारित एक ऐसे समाज की जो विवेकपूर्ण तरीके से नि:स्वार्थ काम करे। आज सारी चीजों का भूमंडलीकरण हो चुका है और इसके बावजूद दुनिया युद्ध, शोषण और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं से घिरी है। इनके समाधान के लिए सबसे पहली जरूरत करुणा के भूमंडलीकरण की है। एक ऐसा वैश्विक समाज जो दूसरों के दुख दर्द को महसूस कर सके। जीडीपी केंद्रित विकास सिर्फ उत्पादन और उपभोग को बढ़ावा देता है। ऐसा विकास हमारे सामने मौजूद समस्याओं का हल नहीं निकाल सकता।”
मूल रूप से हिंदी में लिखी गई इस पुस्तक में लेखक शिवकुमार शर्मा ने कैलाश सत्यार्थी के जीवन से जुड़ी ऐसी घटनाओं और प्रसंगों का उल्लेख किया है जो उनके संवेदनशील और जुझारू व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं को उनके विविध रंगों में सामने लाते हैं। अच्छी खासी नौकरी छोड़कर बच्चों के हक की आवाज उठाने वाले कैलाश सत्यार्थी को वर्ष 2014 में दुनिया के सर्वोच्च सम्मान नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। बचपन बचाओ आंदोलन के जरिए वे अब तक सवा लाख से अधिक बच्चों को बाल श्रम से मुक्ति दिला चुके हैं। अंत में डॉ. मनोज नेसरी धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन किया।