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शारजाह में लिया गया सर सैयद तहरीक को जिंदा करने का संकल्प, सलमान खुर्शीद बोले अल्पसंख्यक चरित्र एएमयू का संवैधानिक अधिकार इसे कोई नहीं छीन सकता

Yusuf Ansari
24 Nov 2018 2:47 AM GMT
शारजाह में लिया गया सर सैयद तहरीक को जिंदा करने का संकल्प, सलमान खुर्शीद बोले अल्पसंख्यक चरित्र एएमयू का संवैधानिक अधिकार इसे कोई नहीं छीन सकता
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"शारजाह में लिया गया सर सैयद तहरीक को जिंदा करने का संकल्प। सलमान खुर्शीद ने जताई अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की संस्कृति को बचाने की चिंता तो यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर जमीरउद्दीन शाह बोले अपने बच्चों को मोटरसाइकिल की जगह लैपटॉप खरीद कर दे मुस्लमान।"

युसूफ अंसारी

शारजाह। सर सैयद तहरीक को फिर से जिंदा करने और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से उठने वाली इल्म की रोशनी को पूरी दुनिया में फैलाने का संकल्प शारजाह में लिया गया। सर सैयद डे पर हुए ख़ास कार्यक्रम में आए मुख्य अतिथि के तौर पर पूर्व कानून और विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के सामने अल्पसंख्यक चरित्र नहीं बल के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मूल चरित्र बचाने की चुनौती है। उन्होंने कहा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना मुसलमानों को विश्व स्तरीय शिक्षा दिलाने के मकसद से की गई थी। इसकी बुनियाद ही इस मकसद से रखी गई थी कि देश के मुसलमान बेहतर तालीम हासिल करें। इस यूनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक चरित्र इसका संवैधानिक अधिकार है उसे इससे कोई नहीं छीन सकता।

उन्होंने अपने नाना पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन को याद करते हुए कहा कि एक ज़माने में जाकिर हुसैन साहब ने कहा था कि देश अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के साथ कैसा सलूक करेगा इसका अंदाजा इस बात से होगा कि देश मुसलमानों के साथ कैसा शुरू करेगा। उन्हें कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक चरित्र को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। तयह अब मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबा खिंचता जा रहा है इसके बावजूद हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में जल्द ही इंसाफ करेगा। उन्होंने कहा कि देश के विकास में शैक्षिक और सामाजिक विकास में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का बड़ा योगदान है और इस योगदान को किसी भी सूरत में नकारा नहीं जा सकता। सलमान खुर्शीद ने इस कार्यक्रम में मौजूद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों से सर सैयद तहरीक को फिर से जिंदा करने के लिए ठोस कदम उठाने की खाने को कहा। उन्होंने सुझाव दिया कि कम से कम 100 लोगों की एक कमेटी बनाई जाए जो इस बात पर गौर करके अपनी रिपोर्ट दें कि अगले 100 साल में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में क्या-क्या सुधार होने चाहिए और इसका कितना विस्तार होना चाहिए। सलमान खुर्शीद की बातों को कार्यक्रम में मौजूद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों ने बहुत गंभीरता से लिया और वादा किया कि वह उन्हें निराश नहीं करेंगे और जल्दी एक मास्टर प्लान बनाकर उस पर अमल करेंगे।



इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर पधारे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर और भारतीय सेना के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल जमीरउद्दीन शाह ने मुसलमानों से अपील की कि वह आज कंप्यूटर की भाषा की अहमियत को समझें और अपने बच्चों को कंप्यूटर की भाषा सिखाए। उन्होंने मुसलमानों को हिदायत देते हुए कहा कि अपने बच्चों को मोटरसाइकिल खरीद कर देने के बजाय लैपटॉप खरीद कर दे। उन्हें कंप्यूटर की भाषा सिखाएं ताकि बदलते दुनिया के बदलते माहौल में वह खुद को मजबूत कर सके और इंटरनेट की दुनिया से जुड़कर अपनी रोजी-रोटी का इंतजाम कर सकें। जमीरउद्दीन शाह ने सर सैयद तहरीक को मजबूती देने के लिए कहा कि हर शहर में सर सैयद के नाम पर एक स्कूल मुसलमानों को खोलना चाहिए। उन्होंने कहा कि निजी तौर पर उन्होंने इस मुहिम की शुरुआत कर दी है। पहला स्कूल मुजफ्फरनगर दंगों में प्रभावित इलाकों में खोला गया जहां पर बेघरार हो चुके लोगों के बच्चे बहुत ही सस्ती शिक्षा पा रहे हैं। दूसरा स्कूल उन्होंने अपने पुश्तैनी शहर सरधना में खोला है। खुलासा किया कि उनके परिवार ने अपनी पुरानी हवेली को सर सैयद के नाम पर स्कूल चलाने के लिए दान कर दिया है। इसी तरह तीसरा स्कूल सैयद के नाम पर खोला गया है। उन्होंने कहा कि उनकी कोशिश है कि उत्तर प्रदेश और बिहार के सभी बड़े शहरों में सर सैयद के नाम पर स्कूल खोले जाएं जिनमें गरीब बच्चों को बहुत ही कम फीस के साथ अच्छी तालीम दी जाए। उन्होंने कहा कि आज से 50 साल पहले इंग्लिश रोजी रोटी की भाषा थी लेकिन आज कंप्यूटर की भाषा रोजी-रोटी की भाषा है और मुसलमानों को इसे अपना कर अपने आने वाली नस्लों को देश के बदलते माहौल में खुद को मजबूत करके करके कदम रखने कदम रखने के लिए तैयार करना होगा।




कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर आए अलीगढ़ से दो बार विधायक रह चुके ज़मीर उल्ला खान ने कहा कि अगर सर सैयद की तारीख को फिर से जिंदा करना है तो हैसियतमंद मुसलमानों को अपने परिवार के लोगों ।और अपने गरीब रिश्तेदारों को आर्थिक रूप से मदद देकर अपने बराबर लाकर खड़ा करना होगा। एक दूसरे का हाथ थाम कर ही अशिक्षा की चुनौती से पार पाया जा सकता है। उन्होंने वादा किया कि सर सैयद तहरीक को फिर से जिंदा करने के लिए अपनी पूरी जान लगा देंगे और इसके लिए उन्हें जो भी करना होगा वह करेंगे।



अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र यूनियन के अध्यक्ष सलमान इम्तियाज ने इस मौके पर अलीगढ़ के पूर्व छात्रों से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विस्तार और विकास के लिए आर्थिक मदद देने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस वक्त यूनिवर्सिटी को आपकी आर्थिक मदद की जरूरत है क्योंकि यूनिवर्सिटी में तमाम पुराने हॉस्टल बहुत ही जर्जर हालत में है। छात्रों की लगातार बढ़ती तादाद को देखते हुए हॉस्टल्स की कमी महसूस होती है। इसलिए नए हॉस्टल भी बनाने हैं उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी के मौजूदा वाइस चांसलर तारीक मंसूर साहब ने उन्हें इस बात की इजाज़त दी है कि वो आप के बीच आकर यूनिवर्सिटी की मदद करने की अपील करें। सलमान की इस अपील पर कार्यक्रम में आए तमाम लोगों ने अपनी अपनी हैसियत के मुताबिक यूनिवर्सिटी की आर्थिक मदद करने का भरोसा दिया है।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों जय संगठन के अध्यक्ष क़ुतुब उर रहमान ने कार्यक्रम के शुरू में ही यह साफ कर दिया था ई सर सैयद डे के नाम पर होने वाले तमाम कार्यक्रमों से यह कार्यक्रम इस मायने में अलग होगा कि आज यहां से सैयद तहरीक को जिंदा करने की योजना का एक खाका तैयार किया जाएगा। यहां मेहमान बुलाए गए तमाम वक्ताओं को यह जिम्मेदारी दी जाएगी कि अगले साल जब सर सैयद डे मनाया जाए तो इस बात की रिपोर्ट पेश की जाए कि किसने किस क्षेत्र में कितना काम किया है। इस बारे में सर सैयद डे का यह कार्यक्रम बेहद अहम और खास रहा की कई लोगों ने सर सैयद की तहरीक को जिंदा करने के लिए ठोस मशवरे दिए और उन पर आयोजकों की सहमति बनती दिखी। इस सम्मेलन के बाद ही उम्मीद की जा रही है कि मुसलमानों के बीच शिक्षा के प्रसार के लिए अलीगढ़ में पढ़े लिखे पुराने छात्र दिल खोलकर आर्थिक मदद करेंगे ताकि आज के दौर में सर सैयद तहरीक को फिर से जिंदा किया जा सके।

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