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RTI में खुलासा, सरकार को नहीं पता लॉकडाउन में फंसे हैं कितने मजदूर
लॉकडाउन 3.0 चल रहा है. इस बीच सबसे ज्यादा चर्चा में वे प्रवासी मजदूर रहे जो सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने घरों के लिए पैदल ही चल पड़े. ऐसी भी कहानियां सामने आईं कि कुछ मजदूरों ने बीच में ही दम तोड़ दिया तो कुछ ने क्वरंटीन समय में. मजदूरों के लिए काम कर रही संस्था एकता परिषद ने ऐसे ही करीब 37,000 लोगों का आंकड़ा इकट्ठा किया. इस पूरी प्रक्रिया को अंजाम देने वाली टीम की अगुवाई करने वाले रमेश शर्मा कहते हैं, '' हमने उन मजदूरों को ट्रैक करना शुरू किया जो लॉकडाउन से घबराकर घरों के लिए निकल पड़े थे.
हमने श्रमिकों से उन उनके पास मौजूद राशि, खाना कितने दिन का है, या कितने पहर के लिए है? मोबाइल बैलेंस, उन्हें कितनी दूर जाना है? जैसी सूचनाएं मांगी. इस दौरान ऐसी दुखद कहानियां सामने आईं जिनको बताते हुए भी मन भारी हो जाता है. पैदल निकल पड़े कुछ श्रमिकों के समूह ऐसे थे जिनके साथ गर्भवती महिलाएं भी थीं. बुजुर्ग और बीमार लोग तो कई समूहों में थे. मोबाइल बैलेंस खत्म हो चुके थे. ऐसे लोग भी थे जिनके पास पैसे और खाना खत्म हो चुका था.'' दरअसल यह संस्था ऐसे मजदूरों को जगह-जगह पर खाना-पानी की मुहैया करवाने का काम कर रही थी.
अफरा-तफरी में मुख्य श्रम आयुक्त ने दिया आदेश?
एक तरफ तो सैकड़ों मील चलकर अपने गांवों को पहुंचने के लिए बेताब मजदूरों के सफर की दर्दनाक कहानियां तो दूसरी तरफ सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाती मजदूरों की तस्वीरें दुखद होने के साथ खौफनाक संदेश भी दे रही थीं. केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के तहत आने वाले मुख्य श्रमायुक्त (सीएलसी) ने अफरा-तफरी में 8 अप्रैल को एक सर्कुलर जारी कर दिया.
इस सर्कुलर के मुताबिक देशभर में मौजूद 20 सेंटर्स के रीजनल श्रमायुक्तों (आरएलसी) को अपने संसाधनों का इस्तेमाल कर 3 दिन के भीतर यानी 11 अप्रैल को लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों की गणना करने का निर्देश दिया गया.
यह सभी आंकड़ा जिलेवार और राज्यवार इकट्ठे करने थे. एक फार्मेट भी सर्कुलर के साथ दिया गया था कि किस तरह से आंकड़े जुटाए जाएंगे.
उन सेक्टर्स की सूची भी दी गई जिनमें यह प्रवासी मजदूर काम करते हैं.
तो क्या इकट्ठे हो गए प्रवासी मजूदरों के आंकड़े?
सवाल उठता है कि क्या इन प्रवासी मजदूरों के आंकड़े इकट्ठे हुए. मुख्य श्रममायुक्त के निर्देशानुसार स्थानीय श्रमायुक्तों ने अब तक कितना आंकड़ा भेजा?
तो इस सवाल का जवाब एक आरटीआई में मिला. कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट इनिशिएटिव (सीएचआरआई) के वेंकटेश नायक ने सूचना के अधिकार कानून के तहत मुख्य श्रम आयुक्त कार्यालय से राज्यों द्वारा एकत्र किए गए प्रवासी मजदूरों के बारे में 4 अप्रैल 2020 को पांच सवालों के जरिए जानकारी मांगी.
इसका जवाब 5 मई 2020 को आया. केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी ने इन पांच सवालों का जवाब संक्षिप्त में दिया कि आपके द्वारा मांगी गई जानकारी के मुताबिक हमारे पास कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है. ("As per the stat section is concerned, no such details are available based on requisite information.")
मुख्य श्रम आयुक्त आफिस से जारी सर्कुलर पर क्या कहते हैं क्षेत्रीय श्रम आयुक्त
सर्कुलर में नत्थी 20 रीजनल श्रम आयुक्त में से कुछ अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई.
दिल्ली में नियुक्त दो अधिकारियों, मुंबई में नियुक्त दो अधिकारियों और देहरादून के एक अधिकारी को कई बार फोन करने के बाद मुंबई के एक अधिकारी ने फोन उठाया.
उनसे इस सर्कुलर के बारे में पूछने पर उनका जवाब था कि राज्यों को इस बारे में जवाब देने थे.
ऐसा कोई आंकड़ा उनके पास नहीं है. उन्होंने कहा कि हम इस विषय पर बात करने के लिए अधिकृत नहीं है.
ऐसा ही जवाब देहरादून से भी मिला. दिल्ली के अधिकारियों के फोन की घंटियां तो बजीं लेकिन फोन उठा नहीं.
सवाल यह भी उठता है कि क्या इतने कम समय में लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों का आंकड़ा इकट्ठा करना मुमकिन है? क्या यह सर्कुलर केवल रस्म अदायगी भर नहीं था?
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