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कोरोना वायरस का प्रकोप देश में घटा नहीं है, अभी भी रोज 70 हजार से अधिक मामले सामने आ रहे हैं, लेकिन अनलॉक 5 में सरकार ने 15 अक्टूबर से स्कूलों को खोलने का आदेश जारी कर दिया है. इस आदेश के बाद जहां स्कूल प्रबंधन के सामने स्कूल को सुरक्षित माहौल में खोलना एक चुनौती हैं, वहीं अभिभावक काफी डरे हुए हैं. उन्हें यह भय सता रहा है कि आखिर वे कैसे इस असुरक्षित माहौल में अपने बच्चों को स्कूल भेज दें.
वहीं दूसरे देशों से जो सूचनाएं आ रही हैं वे भी डराने वाली हैं. आज रुस से यह खबर आयी कि वहां कोरोना का संक्रमण एक बार फिर बढ़ने लगा है. ऐसे में सरकार को अचानक से सभी स्कूलों को बंद करना पड़ा, क्योंकि बच्चों में संक्रमण का खतरा बढ़ गया. अमेरिका में जब स्कूलों को काफी लंबे समय तक बंद रहने के बाद खोला गया था तो वहां 90 हजार से अधिक बच्चे संक्रमित हो गये थे. यह स्थिति डराने वाली है, ऐसे में यह सवाल लाजिमी है कि क्या अभी देश में स्कूल खोलना सही निर्णय है.
स्कूल प्रबंधन पर ना सिर्फ बच्चों के लिए सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराने की चुनौती है, बल्कि उनके सामने सिलेबस को पूरा करने की चुनौती भी है. आज भी हमारे देश में स्कूलों में बुनियादी ढांचा बहुत मजबूत नहीं है और टॉयलेट आदि में साफ-सफाई की व्यवस्था भी बहुत मजबूत नहीं है, लेकिन सरकार की गाइडलाइन के बीच स्कूल प्रबंधन के लिए हाइजीन को बनाये रखना एक बड़ी चुनौती है, जिसके लिए देशभर के स्कूलों ने तैयारी शुरू कर दी है.
दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में स्कूल सुरक्षित वातावरण में औपचारिक कक्षाओं को फिर से शुरू करने के संबंध में कोविड-19 दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार से लेकर पाठ्यक्रम को पूरा करने के वास्ते एक ''प्रभावी'' समय सीमा तय करने समेत कई कदम उठा रहे हैं. स्कलों को छह माह से भी अधिक समय के बाद फिर से खोला जा रहा है.
हालांकि दिल्ली सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर स्कूलों को बंद रखने की अवधि को 31 अक्टूबर तक बढ़ा दिया है. एनसीआर में कक्षा नौ से 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए स्वैच्छिक आधार पर शैक्षणिक मार्गदर्शन लेने के लिए कुछ स्कूल फिर से खोल दिये गये हैं. एनसीआर में पूरी दिल्ली और हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ जिले आते है.
दिल्ली पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य सगीता हजेला ने बताया, स्कूलों को बंद रखे जाने की अवधि बार-बार बढ़ाये जाने का मुख्य प्रभाव छात्रों, शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की मानसिकता में बदलाव के रूप में पड़ा है. हम सरकार के फैसले का पूरी तरह से समर्थन करेंगे, लेकिन इन नए दिशा-निर्देशों के बीच दृढ़ता की जरूरत है.'' केंद्र ने 16 मार्च को स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों समेत सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने की घोषणा की थी.
सरकार ने 25 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन लगाये जाने की घोषणा की थी. पेसिफिक वर्ल्ड स्कूल की प्रो-वाइस चेयरपर्सन निधि बंसल ने कहा कि छात्रों और शिक्षकों के लिए ये कठिन समय है, "क्योंकि वे कक्षा में जाने के आदी थे.'' उन्होंने कोविड-19 महामारी और इसके बाद लॉकडाउन का जिक्र करते हुए कहा, ''कुछ ही दिनों में, पूरा ढांचा ऑनलाइन लर्निंग मंचों पर स्थानांतरित हो गया.''
बंसल ने कहा, ''हालांकि स्कूलों को फिर से खोलने की बातें हो रही है लेकिन कोई ठोस निर्णय सामने नहीं आया है. अधिकारियों ने दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं. हमने बुनियादी ढांचे में बदलाव किया है और हमने स्टॉफ को तैयार किया है लेकिन एक निश्चित समय सीमा में यह सब किये जाने की जरूरत है. यह केवल भ्रम का माहौल पैदा कर रहा है, जो पाठ्यक्रम और अकादमिक कैलेंडर योजना को प्रभावित कर रहा है.''
कई स्कूल प्रबंधनों ने कहा कि भले ही स्कूल फिर से खुल जाएं, माता-पिता अपने बच्चों को अभी तक भेजने के लिए तैयार नहीं हैं और इसलिए, वे वैकल्पिक योजना पर काम कर रहे हैं। मॉर्डन पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य अलका कपूर ने कहा, ''हमने जो सर्वे किया है , उसके अनुसार लगभग 98 प्रतिशत अभिभावक अपने बच्चों को अभी स्कूलों में भेजने के लिए तैयार नहीं हैं, उन्हें डर है कि वे कोविड-19 से संक्रमित हो जायेंगे.''
उन्होंने कहा, ''हालांकि हमने अपने स्कूल परिसर के अंदर छात्रों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाये है. हम अभिभावकों की चिंताओं को समझ सकते हैं.'' शिक्षा मंत्रालय ने स्कूलों को फिर से खोलने के लिए सोमवार को दिशानिर्देश जारी किये थे। इनमें परिसरों की पूरी तरह सफाई और उन्हें संक्रमणमुक्त करना, उपस्थिति की नीतियों में लचीलापन रखना, तीन सप्ताह तक मूल्यांकन नहीं करना और कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान घर से पढ़ाई से सुगमता से औपचारिक स्कूल प्रणाली तक बदलाव सुनिश्चित करना शामिल है। मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से उनकी स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार स्वास्थ्य एवं सुरक्षा सावधानियों के आधार पर खुद की मानक परिचालन प्रक्रियाएं बनाने को कहा है.