राष्ट्रीय

गांव-घर नहीं मौत की तरफ बढ़ रहे मजदूर!

गांव-घर नहीं मौत की तरफ बढ़ रहे मजदूर!
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-लौट रहे लोगों में से कइयों के मरने की आने लगी खबरें

- मरने वालों की तादाद बढ़ी तो कोरोना से भी जानलेवा हो जाएगा यह पलायन

साथ में गठरी/पोटली और पत्नी-बच्चों को लेकर सैकड़ों-हजारों किलोमीटर का सफर पैदल करके आने वाले गरीब अब इस जानलेवा सफर से जान भी गंवाने लगे हैं। कहीं से खबर आ रही है कि कुछ लोग दुर्घटना में मारे गए तो कहीं से खबर आ रही है कि पैदल चलते- चलते रास्ते में या घर पहुंचकर बीमार होकर मर गए। ऐसी ही एक खबर अभी मऊ के किसी रणजीत सिंह की पढ़ी, जो बनारस से मऊ पैदल ही चले गए और घर पहुंचकर सूजे हुए पांव और बेदम हालत में बीमार होकर जान गंवा बैठे। Satyendra PS जी ने ऐसे ही किसी 32 वर्षीय विनोद तिवारी की मौत खबर एक मार्मिक चित्र के साथ शेयर की है, जिसमें तिवारी की पत्नी रोती हुई तो उनकी मासूम बेटी उन्हें निहारती हुई नजर आ रही है। तिवारी शायद कंपनी में सेल्समैन थे और मोपेड से ही परिवार के साथ गांव निकल पड़े थे। ऐसी ही दुखद खबर एक मुरादाबाद की भी पढ़ने को मिली थी कि एक व्यक्ति ने रास्ते में दम तोड़ दिया।

मोदी जी के एक और तुगलकी फरमान नोटबंदी से भी लोग ऐसे ही मारे जा रहे थे, तड़प रहे थे, बिलख रहे थे, बर्बाद हो रहे थे। अब इस लॉक डाउन से भी बर्बाद होने, भटकने, बिलखने और मरने की खबरें आने लगी हैं। ऐसे ही थोड़ी मोदी जी की तुलना तुगलक से की जाती है। जिन्होंने इतिहास पढ़ा होगा, उन्होंने यह भी पढ़ा ही होगा कि तुगलक के दो फरमान देश के लोगों के लिए इसी तरह तबाही, बर्बादी और मौत लाये थे। पहला फरमान मुद्राबंदी और दूसरा फरमान तुगलकाबाद में प्लेग की महामारी फैलने के बाद वहां की जनता को आननफानन में 1500 मील दूर स्थित दिल्ली लौट आने का...

इतिहास में वर्णित मुद्राबंदी का नजारा लगभग साढ़े छह सौ साल पहले देश में जैसा था, ठीक वैसा ही मोदी जी की नोटबंदी में भी देखने को मिला। इसी तरह प्लेग की महामारी से दौलताबाद के लोगों को बचाने के लिए 1500 मील दूर का सफर जनता को तुरंत और जबरन करवाने का जो जानलेवा परिणाम उस वक्त देखने को मिला, ऐन उसी तरह का नजारा अब कोरोना से जनता को बचाने के लिए किए गए मोदी जी के लॉक डाउन से भी देखने को मिल रहा है। इतिहासकार लिखते हैं कि महामारी से बचाने की नीयत से जनता को 1500 मील का सफर करवाने के तुगलक के फरमान के चलते उस वक्त जो मौतें हुईं, वह प्लेग से मरने वालों की तादाद से ज्यादा ही थीं। ईश्वर न करे, भविष्य में मोदी जी के बारे में भी यही लिखा जाए कि आनन फानन में किये गए लॉक डाउन के उनके इस तुगलकी फरमान से लोग कोरोना से तो कम मरे, सैकड़ों- हजारों किलोमीटर के जानलेवा सफर से ज्यादा मौतें हुईं...

इसलिए अभी भी वक्त है सरकार, जाग जाइये...लॉक डाउन के बाद रोज कुँवा खोद कर पीने वालों का पलायन तो रोक पाना इस देश में किसी के बस की बात नहीं...बस इतनी मेहरबानी कर दीजिए हुजूर कि इन मजदूरों के लिए गांव पहुंच जाने का सफर ही काल न बन जाये...कैसे भी करके इन्हें इनके गांव पहुंचने का इंतजाम कर दीजिए। क्योंकि पलायन आप रोक नहीं पा रहे और इनके इस तरह बड़ी तादाद में इकठ्ठा होने से कोरोना का प्रसार रोकने की भी आपकी कोशिश बेकार ही हो चुकी है। अब बेहतर यही होगा कि इन्हें सफर में यूं बेबस होकर मरने तो न दिया जाए...

अश्वनी कुमार श्रीवास्त�

अश्वनी कुमार श्रीवास्त�

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