चारा घोटाला में लालू यादव को 2024 तक राहत, बेल के खिलाफ CBI की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने की ये टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चारा घोटाला मामले में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को दी गई जमानत को चुनौती देने वाली केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अपील को अगले साल जनवरी के अंतिम हफ्ते तक के लिए स्थगित कर दिया। न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ पूर्व विधायक को जमानत देने के आदेश के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। आखिरी मौके पर, यादव की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि सत्तर साल के व्यक्ति को उनकी बढ़ती उम्र और पहले ही सजा काट चुके समय के आधार पर 'वापस जेल जाने' के लिए नहीं कहा जा सकता है। हालाँकि, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने विरोध करते हुए कहा, "वह बैडमिंटन खेल रहे हैं!"
कोर्ट ने मंगलवार को लिस्ट इस मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील से कहा कि आपकी बात मान भी लें तो उनको वापस जेल में डालना मुश्किल होगा। जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच में पूर्व रेल मंत्री लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से मिले बेल के खिलाफ सीबीआई की अपील पर सुनवाई के दौरान कोर्ट की तरफ से यह टिप्पणी की गई। बेंच ने सीबीआई से कहा- "अगर हम आपके पक्ष में आदेश देते हैं तो भी उनको वापस अंदर करना मुश्किल होगा।"
सीबीआई की तरफ से पेश एडमिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने कोर्ट को बताया कि इस केस में ट्रायल कोर्ट की सजा के व्याख्या को लेकर एक छोटे से कानूनी सवाल को तय करना है।
सीबीआई का कहना है कि हाईकोर्ट ने त्रुटिपूर्ण अनुमान के आधार पर यह मानकर लालू यादव को जमानत दी है कि चारा घोटाला के अलग-अलग केस की सजा एक साथ चलनी है, ना कि एक सजा खत्म होने के बाद दूसरी सजा शुरू होनी है। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि हाईकोर्ट ने यह तय करने में गलती की है कि लालू ने आधी सजा काट ली है। सीबीआई के मुताबिक लालू को दी गई सजा एक के बाद एक चलनी थी, ना कि एक साथ और इस हिसाब से लालू यादव को 14 साल जेल में रहना है। सीबीआई का कहना है कि जिस समय लालू यादव को बेल मिला उस समय उन्होंने लगभग एक साल की ही सजा काटी थी।